अहकामे शरई
-
शरई अहकामः
अय्याम-ए-फातिमिया (स) के रूप में कौन सा दिन मनाया जाना उपयुक्त है?
हौज़ा / इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने "अय्याम ए अज़ा ए हज़रत ज़हरा (स) के हुक्म का वर्णन किया है।
-
शरई अहकामः
गर्भ मे (लड़का या लड़की) के लिंग का निर्धारण करना
हौज़ा / इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता ने "गर्भ मे (लड़का या लड़की) के लिंग का निर्धारण" के संबंध में एक प्रश्न का उत्तर दिया है।
-
शरई अहकामः
मृतक के शरीर के अंगों को जरूरतमंद मरीजों को दान करना!
हौज़ा/ सर्वोच्च क्रांति के नेता ने एक सवाल के जवाब में मृतक के शरीर के अंगों को जरूरतमंद मरीजों को दान करने के बारे में बताया।
-
शरई अहकामः
नमाज़ के कलमात अदा करने की कैफ़ीयत
हौज़ा / नमाज़ में यह अनिवार्य है कि कलमात को इस तरह से पढ़ा जाए कि इसे पाठ कहा जा सके, इसलिए कलमात को दिल में पढ़ना या बिना उच्चारण के केवल होंठ हिलाना पर्याप्त नहीं है। पढ़ने की निशानी यह है कि नमाज़ पढ़ने वाला (जबकि उसके कान भारी न हों और उसके आसपास कोई शोर न हो) जो पढ़ा और किया जा रहा है उसे अपने काने से सुन सके।
-
शरई अहकामः
पुरुषों के लिए अहले-बैत (अ) की मजलिस में गैर-महरम महिलाओं के रोने की आवाज सुनने का क्या हुक्म है?
हौज़ा | जब तक इसमें कोई बुराई या भ्रष्टाचार न हो तब तक इसमें कोई बुराई नहीं है।
-
शरई अहकामः
क्या मजलिस मे मरसिया और नौहा पढ़ रही औरत के लिए यह जायज़ है कि वह अपनी आवाज़ किसी ग़ैर मर्द को सुनाए? और क्या किसी पुरुष के लिए इसे सुनना जायज़ है?
हौज़ा / यदि आवाज़ में सूक्ष्मता, सुंदरता, संरचना और उत्तेजना नहीं है, तो एक महिला के लिए अपनी आवाज़ सुनाना जायज़ है, हालांकि, एक पुरुष के लिए उसकी आवाज़ सुनना जायज़ है जब वह कामुक नहीं हो
-
शरई अहकामः
क्या मजलिसो मे ``या अली मदद'' कहना या ``नारा ए हैदरी'' लगाना जायज़ है?
हौज़ा / आयतुल्लाहिल उज़्मा हाफ़िज़ बशीर हुसैन नजफ़ी से पूछा गया सवाल और उसका जवाब: क्या मजलिसो में "या अली मदद" कहना या "नारा ए हैदरी" लगाना जायज़ है?
-
शरई अहकामः
दूसरों को काम दिलाने (रीकमेंट करने) के लिए पैसे लेना
हौज़ा / आयतुल्लाहिल उज़्मा ख़ामेनई से "दूसरों को काम दिलाने (रीकमेंट करने)" के संबंध में पूछा गया प्रश्न और उसका उत्तर।
-
शरई अहकाम:
क्या मस्जिद के वक्फ पानी को 2 या 3 गैलन पीने के लिए इस्तेमाल करने में कोई हर्ज है?
हौज़ा / मोतवल्ली की इजाज़त से इस्तेमाल करने में कोई हाई नहीं है।
-
शरई अहकाम:
बाप को सलाम न करने वाले बेटे के लिए क्या हुक्म हैं?और अगर बेटा सलाम करें और बाप जवाब ना दे तो उसका क्या वज़ीफा हैं?
हौज़ा / मां-बाप पर एहसान और उनका एहतेराम वाजिब है यहां तक कि अगर वह जवाब ना भी दे आप फिर भी इन्हें सलाम करें।
-
अगर कोई औरत माहे रमज़ान उल मुबारक में सुबह की आज़ान के नज़दीक हैज़ या नेफास से पाक हो जाए और ग़ुस्ल या तयम्मुम किसी के लिए वक्त बाकी ना हो तो क्या वह रोज़ा रख सकती हैं?
हौज़ा /अगर ग़ुस्ल या तयम्मुम किसी चीज़ का वक्त ना हो तो और रोज़ा रख सकती है और उसका रोज़ा सही हैं।
-
दिन की हदीस:
क्या सर को पानी में डुबोने से रोज़ा बातिल हो जाता है?
हौज़ा / सर पानी में डुबोने से रोज़ा बातिल नहीं होता है लेकिन शदीद मकरूह हैं।
-
शरई अहकामः
चेहरा न छुपाने वाली महिला के लिए, चेहरे और आईब्रो के बाल बनवाना और उन पर हल्का पाउडर लगाना कैसा है?
हौज़ा | चेहरे और आईब्रो के बाल बनाकर चेहरा खुला छोड़ने में कोई बुराई नहीं है, लेकिन शर्त यह है कि इसे हराम से बचाया जा सके।
-
शरई अहकाम:
दोस्तों की महफिलों में इस्काफ वगैरा के बगैर फोटो खींचना कैसा हैं?
हौज़ा/ऐसे मौको पर खुद फोटो खींचने में कोई हर्ज नहीं है और ना महरम को दिखाने पर दिखाने वालों को गुनाह पड़ेगी,
-
शरई अहकाम:
क्या फोटो ग्राफर के लिए शादी की ऐसी पार्टियों की दावत कबूल करना जिस में शराब पी जाती हो जायज़ हैं?
हौज़ा/शराब और इस तरह की दूसरी पार्टियों जो हराम है इनमें फोटो खींचना जायज नहीं है।
-
शरई अहकाम:
क्या बच्चों के लिए अपने माता-पिता के साथ बहस करना जायज़ है? और वह कौन सी सीमा है जिसे बच्चों को पार नहीं करना चाहिए?
हौज़ा / बच्चों के लिए अपने माता-पिता से ऐसे मामलों में बहस करना जायज़ है जिसमें उन्हें लगता है कि माता-पिता की राय सही नहीं है, लेकिन बहस करते समय उनसे शांति से बात करना ज़रूरी है।
-
शरई अहकामः
आक़ के मामले में बच्चों को माता-पिता की विरासत मिलेगी?
हौज़ा | यदि कोई व्यक्ति अपने किसी बच्चे को आक़ करके कहे, "मैंने तुझे आक़ कर दिया है" तो उस पर क्या प्रभाव पड़ेगा? क्या ऐसे बच्चों को अपने माता-पिता की विरासत मिलेगी?
-
शरई अहकाम:
यदि पति-पत्नी के बीच मतभेद के कारण माँ अपने बेटे को पत्नी को तलाक देने का आदेश देती है, तो क्या उसके लिए माँ की बात मानना अनिवार्य है?
हौज़ा | इस मामले में उनका आज्ञापालन अनिवार्य नहीं है और शरीयत के दृष्टिकोण से इस कहावत (आक़) की कोई हैसियत नहीं है।
-
शरई अहकाम:
क्या ऐसी शादियों की महफिल आयोजन करना जायज़ है कि जिसमें मर्द औरत साथ जमा हो जबकि हिजाब की भी रियायत की गई हो?
हौज़ा/भावनाओं को भड़काने वाली संयुक्त महफिल का आयोजन जायज़ नहीं है और ज़ाहिर है की शादी बिवाह की महफिलों में ऐसा ही होता हैं लिहाज़ा संयुक्त महफिलों के बजाय अलग अलग इंतजाम किया जाना चाहिए
-
शरई अहकामः
अगर किसी को ग़ुस्ल करने में बहुत शक होता हो और हर बार ग़ुस्ल करने मे एक घंटे से अधिक समय लगता हो और नमाज़ क़ज़ा हो जाती हो तो उसे क्या करना चाहिए?
हौज़ा | यह काम जायज़ नहीं है। सामान्य से अधिक समय न बिताएं, यानी दूसरों की तरह ग़ुस्ल करें, समय के मामले में भी और पानी खर्च करने के मामले में भी फिजूलखर्ची हराम है, और शैतान से बचें। सज़ा कड़ी है।
-
शरई अहकाम:
अस्पताल के स्टाफ़ पर एहतेज़ार की हालत मे मरीज़ को टच करने पर क्या ग़ुस्ले मसे मय्यत वाजिब होता है?
हौज़ा | नहीं, लेकिन शरीर ठंडा हो जाने के बाद मस करने से ग़ुस्ले मसे मय्यत वाजिब हो जाता है।
-
शरई अहकाम:
अगर कोई मुझसे बात नहीं करना चाहता या मुझसे मिलना नहीं चाहता तो क्या फिर भी मेरे लिए उस से सिले रहम करना वाजिब है?
हौज़ा | उससे संपर्क न खोएं, जब आप उससे मिलें तो उसको सलाम करें, उसका हाल चाल पूंछे, अगर वह बीमार है तो उससे मिलें और ज़रूरत पड़ने पर उसकी मदद करें, आदि।
-
शरई अहकाम:
अधर्मी और पापी रिश्तेदारों से सिले रहम करने का क्या हुक्म है? या उन्हे भूल जाना चाहिएं, और यदि वे हमारे सामने कोई पाप करें, तो क्या हुक्म है?
हौज़ा | सिले रहम को नहीं छोड़ा जाना चाहिए, हां, सिले रहम का मतलब केवल एक-दूसरे की ज़ियारत करना नहीं है, बल्कि संबंधों को पूरी तरह से खत्म करना भी जायज़ नहीं है, और किसी भी मामले में, हमें उन्हें सुधारने की कोशिश करनी चाहिए।
-
शरई अहकामः
निर्धारित लाभ के साथ निवेश अनुबंध का आदेश
हौज़ा / यह व्यक्ति पावर ऑफ अटॉर्नी (वकालत) के रूप में एक अनुबंध इस प्रकार कर सकता है कि पूंजी का मालिक उसे अपने पैसे से आर्थिक गतिविधियां चलाने के लिए (वकालत) पावर ऑफ अटॉर्नी दे दे।
-
शरई अहकामः
क्या पत्नी का अपने पति की अनुमति के बिना यात्रा करना हराम है और क्या यह यात्रा पाप मानी जाएगी?
हौज़ा / पत्नी के लिए पति की अनुमति के बिना घर छोड़ना जायज़ नहीं है, जब तक कि पति की ओर से सामान्य अनुमति न हो या ऐसा कोई समझौता न हो।
-
शरई अहकामः
क्या कुत्ते के बर्फ पर चलने से बर्फ नजिस हो जायेगी?
हौज़ा | केवल वह भाग जहां कुत्ते का पैर पड़ा है, नजिस होगा।
-
शरई अहकामः
क्या एक बेटे के लिए अपने माता-पिता का विरोध करते हुए यात्रा पर जाना जायज़ है जबकि वे उसकी यात्रा से खुश नहीं हैं और उसे यात्रा करने से मना कर रहे हैं?
हौज़ा | बच्चों के लिए अपने माता-पिता के विरोध में यात्रा करना जायज़ नहीं है, यदि वे प्रेम के कारण इसे रोकते हैं और यदि उनके विरोध से उन्हें पीड़ा होती है।
-
शरई अहकाम:
मस्जिद में दाखिल होते वक्त सलाम करने का क्या हुक्म हैं इसलिए की सलाम करना नमाज़ीयों की तवज्जो हट जाने का सबक बनता हैं।
हौज़ा/बेहतर है कि सलाम ना किया जाए
-
शरई अहकामः
क्या नमाज़ के दौरान किसी आदमी की जेब में सोने की अंगूठी या हार उसकी नमाज़ को बातिल कर देता है?
हौज़ा | अगर जेब में अंगूठी या हार हो तो नमाज़ बातिल नहीं होती, लेकिन अगर हार या अंगूठी पहनी हुई हो, भले ही दिखाई न देती हो, तो नमाज़ बातिल हो जाती है।
-
शरई अहकामः
यदि कोई पिता अपने बालिग़ बच्चों को सुबह की नमाज़ के लिए नींद से इस तरह उठाता है कि उन्हें नाराजगी हो, तो क्या वह गुनाहगार है?
हौज़ा | अगर ट्रेनिंग का यही तकाज़ा है और आलस्य के कारण वे नहीं जागते, तो उन्हें जगाना ज़रूरी है।