हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, आयतुल्लाह सय्यद अली ख़ामेनेई ने "माज़ूर इमाम की इक़्तेदा" करने के बारे में एक सवाल का जवाब दिया है, जो शरई अहकाम में रुचि रखने वालों के सामने पेश की जा रही है।
* माज़ूर इमाम की इक़्तेदा करने का हुक्म!
प्रश्न: अगर कोई इमाम शारीरिक मजबूरी के कारण सजदे की जगह (जैसे कि मुहर) को सामान्य सीमा से ऊपर रखता है, तो ऐसे इमाम की इक़्तेदा करने और उसके पीछे नमाज़ पढ़ने वालों की नमाज़ का क्या हुक्म है?
जवाब: अगर वह ज़मीन पर सजदा करे और मुहर की ऊंचाई इतनी ज़्यादा न हो कि उसे हमेशा की तरह सजदा न माना जाए तो इसमें कोई हर्ज नहीं है।
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