आयतुल्लाह अलउज़मा सिस्तानी
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शरई अहकाम:
वाजिब और मुस्तहब नमाज़ों में तजवीद के क़वायद
हौज़ा / हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सीस्तानी के मुताबिक वाजिब (फर्ज़) और मुस्तहब (नफ्ल) नमाज़ों में तजवीद के नियमों का पालन करने का हुक्म।
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इज़राईल द्वारा आयतुल्लाह सिस्तानी के अपमान के खिलाफ जामेआ ए मुदर्रेसीन ने कड़ी निंदा की
हौज़ा / जामिया ए मुदर्रिसीन हौज़ा ए इल्मिया क़ुम ने इज़राईली सरकार के चैनल 14 द्वारा आयतुल्लाहिल उज़्मा सिस्तानी कि हत्या के लक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किए जाने की कड़ी निंदा की है इस कार्रवाई को मरजय ए ताक़लीद का अपमान बताया है।
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आयतुल्लाहिल उज़्मा सैयद अली सिस्तानी ने ओमान में होने वाले आतंकी हमले की सख्त शब्दों में निंदा की है
हौज़ा / शिया मरजय तकलीद हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली सिस्तानी ने ओमान में होने वाले आतंकी हमले की सख्त शब्दों में निंदा की हैं।
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शरई अहकाम:
अगर मछली को पानी में बेहोश करने के बाद उसका शिकार किया जाए तो क्या हुक्म हैं?
हौज़ा / अगर जिंदा शिकार किया गया है अगर चे बेहोश ही क्यों ना हो कोई हर्ज नहीं हैं।
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शरई अहकाम:
क्या उन बाजारों या कंपनियों से रोज़मर्रा की वस्तुएं खरीदना जायज़ है जो अपने मुनाफे का एक हिस्सा इज़राइल का समर्थन करने के लिए मख्सूस करते हैं?
हौज़ा / इजरायली वास्तुओं और ऐसी कंपनियों की बनी हुई चीज़ों को जो यकीनी तौर पर जो इजरायल की मदद करती हो उनके साथ मामला करना जायज़ नहीं हैं।
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अगर यह मालूम हो जाए की मरने वाले पर हज वाजिद था और यह पता ना चले कि उसने अंजाम दिया था या नहीं तो क्या हुक्म हैं?
हौज़ा / ऐसी सूरत में कज़ा करना वाजिब है और इसके तमाम खर्च असल माल से लिए जाएंगें।
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शरई अहकाम:
जब किसी पर हज वाजिब हो और वह इसे अंजाम देने में सस्ती और ताखिर से काम ले यहां तक की इसकी इस्तेताअत खत्म हो जाए तो क्या हुक्म है?
हौज़ा / उस सूरत में जिस तरह से भी मुमकिन हो,हज को आदा करना वाजिब हैं, चाहे मशक्कत और ज़हमत बर्दाश्त करना पड़े, अगर हज से पहले मर जाए तो वाजिब है कि उसके बाचे माल से हज कि कज़ा करें। और अगर कोई इसकी कज़ा मरने के बाद बगैर( उजरत) फ्री में इसकी तरफ से हज अंजाम दे तो भी सही हैं।
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शरई अहकाम:
दूसरे को कोई बात समझने के लिए नमाज़ का कोई ज़िक्र पढ़ना
हौज़ा / अगर नमाज़ के किसी हिस्से की अदायगी में कस्द कुर्बत ना रखें जबकी रिया की नीयत भी न रखता हो तो क्या नमाज सही है? जैसे किसी दूसरे को कोई बात समझने के लिए रुकू के ज़िक्र को ऊंची आवाज़ में पढ़े।
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शरई अहकाम:
नौबत (बारी) का ख्याल ना रखना?
हौज़ा / क्या रोटी लेने या डॉक्टर को दिखाने जैसे की लाइन में नौबत या बारी और दूसरे की नौवत का ख्याल ना रखना हराम हैं।
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शरई अहकाम:
फोटो वाले कपड़ों में नमाज़ पढ़ना
हौज़ा / क्या ऐसे कपड़ों में नमाज़ पढ़ी जा सकती है कि जिन पर इंसान या हैवान की फोटो (तस्वीर) बनी हुई हो लेकिन वह किसी दूसरे लिबास के नीचे छुपी हुई हो?
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शरई अहकाम:
किसी मर्द का ना महरम औरत की पेंटिंग बनाने का क्या हुक्म हैं?
हौज़ा / अस्ल पेंटिंग बनाने में कोई इश्काल नहीं है,लेकिन बे हिजाब औरत के फोटो की तरफ निगाह करना जिसको पहचानता हो अगर उसकी तौहीन का सबब न हो तब भी एहतियाते वाजिब की बिना पर जायज़ नहीं हैं।
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आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली सिस्तानी ने शेख़ अब्दुल मेंहदी कर्बलाई की सेवाओं की सराहना की
हौज़ा / हरम ए इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के खादिम इस्लाम हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन शेख़ अब्दुल मेंहदी कर्बलाई ने हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सय्यद अली सिस्तानी से मुलाकात की।
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शरई अहकाम:
इलाज का खर्च और दवा और अस्पताल का खर्च बीवी के नफ्क़ा का हिस्सा है या नहीं?
हौज़ा / डॉक्टर, दवाएँ और(चिकित्सा) इलाज के तमाम खर्च इस लाज़मी नफ़्के का हिस्सा है जो पति को अदा करना होगा
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दिन की हदीस:
जो मुसलमान औरत अपने हिजाब की पूरी पाबंदी नहीं करती उसकी तरफ देखने और बात करने का क्या हुक्म हैं?
हौज़ा / अगर निगाहें शहवत अंग्रेज़ हो या हराम में पड़ जाने का अंदेशा(डर)हो तो जायज़ नहीं है।
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शरई अहकाम:
क्या एक इमाम ए जमाअत दो मर्तबा (दो गिरोहों के लोगों) नमाज़ ए आयात के लिए इमामत कर सकता है?
हौज़ा / एहतयाते वाजिब की बिना पर नहीं कर सकता हैं।
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शरई अहकाम:
अगर किसी आदमी को यकीन हो कि उसने एक बार नज़्र मानी है लेकिन इससे याद ना रहे कि वह नज़्र क्या थी तो उसका क्या हुक्म हैं?
हौज़ा / अगर नज़्र कुछ चीजों के दरमियान थी तो इसे इन सब को पूरा करना चाहिए, और अगर असीमित (लामहदूद) चीज़ों के बीच हो, तो इसे इस हद तक बजा लाना चाहिए कि इसको यकीन हो जाए की इसके जिम्मे कुछ बाकी नहीं हैं।
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शरई अहकाम:
अगर किसी आदमी ने अपनी मीरास की वसीयत ना की हो तो वारसीन का क्या फर्ज़ हैं?
हौज़ा / ऐसी सूरत में अगर मैय्यत पर कर्ज़ या हज हो तो इसे असली मीरास में से अदा किया जाए और बाकी मीरास उत्तराधिकारियों के बीच बांट दी जाएगी।
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शरई अहकाम:
क्या बच्चे को गोद लेने वालों के लिए बच्चे को अपने माता-पिता के रूप में पंजीकृत करना जायज़ है?
हौज़ा / गोद लेने वालों के लिए किसी बच्चे को अपने माता-पिता के रूप में पंजीकृत करना जायज़ नही हैं।
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वह सोना जो दूल्हे के घर वाले शादी के वक्त दुल्हन को देते हैं क्या वह दुल्हन का है या दूल्हे का?
हौज़ा / अगर वह सोना है जिस औरत पहनती है तो उसका ताल्लुक औरत से है और अगर पहनने वाला ना हो,उदाहरण के लिए, सिक्के आदि, तो यह देने वाले के इरादे से संबंधित है, जो आमतौर पर जाना जाता है।
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शरई अहकाम:
मैंने एक यतीम बच्ची को गोद लेकर पाला है अब वह जवान हो चुकी है आया उस पर वाजिब है कि मुझे या मेरे बेटों से हिजाब करें?
हौज़ा / यतीम की परवरिश करना बहुत ज़्यादा सवाब हैं मगर याद रहे कि वह बच्ची आपके लिए ना महरम है इस बिना पर इस बच्ची के लिए आपसे और इसी तरह आपके बेटों से भी पर्दा करना वाजिब हैं।
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शरई अहकाम:
उस आदमी का क्या हुक्म हैं कि जो वुज़ू करने के बाद श़क करें कि उससे वुज़ू का कोई हिस्सा छुट गया है?
हौज़ा / अगर इसे यह तो मालूम हो कि कुछ भूल गया है मगर यह न जानता हो कि वह( जुज़) हिस्सा वाजिब था या मुस्तहाब था, तो उसका वज़ू सही शुमार होगा।
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शरई अहकाम:
क्या माता-पिता बालिग़ बच्चों पर हिजाब के लिए जबरदस्ती कर सकते हैं?
हौज़ा / इन्हें हक़ है लेकिन मारपीट नहीं सकते।
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शरई अहकाम:
माता-पिता के लिए 23 साला शादीशुदा बेटे के लिए क्या अधिकार हैं?
हौज़ा / इन्हें कोई अख्तियार नहीं है मगर औलाद को उनका अदब एहतेराम करना चाहिए और उन चीजों में उनकी अताआत करनी चाहिए जिनमें वह दया (शफखत)के कारण अनुमति नहीं देते हैं, या किसी चीज से मना करते हैं ,और उसकी मुखालिफ से इन्हें तकलीफ होती हो और इसी तरह अगर वह कुछ ना कहे लेकिन जनता हो कि इसके इस काम से शफकत की बुनियाद पर इन्हें तकलीफ हो रही है तब भी जायज़ नहीं है।
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शरई अहकाम:
बाप को सलाम न करने वाले बेटे के लिए क्या हुक्म हैं?और अगर बेटा सलाम करें और बाप जवाब ना दे तो उसका क्या वज़ीफा हैं?
हौज़ा / मां-बाप पर एहसान और उनका एहतेराम वाजिब है यहां तक कि अगर वह जवाब ना भी दे आप फिर भी इन्हें सलाम करें।
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शरई अहकाम:
क्या किसी ना महरम के साथ लिफ्ट का इस्तेमाल किया जा सकता है जबकि उस वक्त कोई तीसरा आदमी मौजूद न हो मगर इंसान को खुद पर इत्मीनान हो कि किसी हरम में मुफ्तीला नही होगा?
हौज़ा / अगर इसे इत्मीनान हो कि किसी हराम में जैसे नज़रे हराम या लम्स वगैरह में मुब्तीला ना हो तो जायज हैं।
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शरई अहकाम:
एतेकाफ़ की हालत में खुशबू का सुंघना कैसा हैं?
हौज़ा / अगर एतेकाफ़ वाजिब ना हो(नज़र,कस्म,अहद की वजह से) तो एहतियात के तौर पर एतिकाफ करने वाले के लिए किसी भी तरह के इत्र को सुगना चाहे इससे लज्ज़त महसूस करें या ना करें जायज़ नहीं है और खुशबू दर घास सुंगना उस सूरत में जबकि इसके सुगघने से लज्जत महसूस करें जायज नहीं हैं,और अगर इसके सुंघने से लज्जत महसूस ना हो तो कोई हर्ज नहीं हैं।
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शरई अहकाम:
अगर कोई कई साल बीमार रहने के बाद ठीक हो, तो क्या पिछले सारे रमज़ान के रोज़ों की कज़ा वाजिब हैं?
हौज़ा / अगर इंसान की बीमारी कुछ वर्षों तक रहती है, तू ज़रूरी है कि ठीक होने के बाद आखरी रमज़ान उल मुबारक के छूटे हुए रोज़ो की कज़ा बजा लाए और इससे पिछले वर्षों के रोज़े के बदले एक मुद(750ग्राम) खाना फकीर को दें।
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शरई अहकाम:
माहे रमज़ान उल मुबारक में अगर कोई गुस्ले जनाबत करना भूल जाए तो क्या हुक्म हैं?
हौज़ा / माहे रमज़ान उल मुबारक में अगर कोई गुस्ले जनाबत करना भूल जाए और जनाबत की हालत में एक या कई दिन रोज़े रखता रहे तो माहे रमज़ान के बाद इन रोज़ो की कज़ा करें।
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शरई अहकाम:
रोज़े की हालत में नाक में दवा डालने का क्या हुक्म हैं?
हौज़ा / नाक में दवा डालना मकरूह हैं,अगर यह न जानता हो कि हल्क तक पहुंचेगी, और अगर यह जानता हो की हालत तक पहुंचेगी तो उसका इस्तेमाल करना जायज़ नहीं हैं।
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शरई अहकाम:
अगर कोई औरत आज़ान ए सुबह के बाद (माहवारी)हैज़ या नेफास से पाक होती है तो क्या उसे दिन वह रोज़ा रख सकती है?
हौज़ा / अगर कोई औरत सुबह की आज़ान के बाद (माहवारी) हैज़ या नेफास के ख़ून से पाक हो जाय या दिन में इसे हैज़ या नेफास का ख़ून आ जाए तो भले ही यह खून मग़रिब के करीब ही क्यों ना आए इसका रोज़ा बातिल हैं।