इमाम ताक़ी
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हज़रत इमाम मुहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम की छोटी सी ज़िंदगी, लगातार जिहाद
हौज़ा / हज़रत इमाम जवाद अ.स. की शहादत के मौके पर सुप्रीम लीडर ने फरमाया,हमारे एक इमाम को 25 साल की उम्र में क्यों शहीद कर दिया गया? उस वक़्त की ज़ालिम सरकार, पैग़म्बर के अहलेबैत की इस महान हस्ती को इससे ज़्यादा बर्दाश्त करने पर तैयार क्यों नहीं हुई? इस सवाल का जवाब हमें इमाम मुहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम के व्यक्तित्व और उनकी ज़िंदगी से मिलता है वो ज़ुल्म और असत्य के ख़िलाफ़ संघर्ष का आईना थे, वो अल्लाह के शासन की स्थापना की दावत देने वाले थे वो अल्लाह और क़ुरआन के लिए संघर्ष करते रहते थे वो दुनिया की ताक़तों से कभी भी नहीं डरे।
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इत्रे क़ुरआनः
सूर ए बक़रा: जब मौत करीब हो या उसका परिणाम सामने आए तो वसीयत करना अनिवार्य है
हौज़ा / मृतक की वित्तीय वसीयत वैध है और इसका कानूनी महत्व है। वसीयत स्वामित्व के साधनों में से एक है।
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:दिन कि हदीस
इबादत के बारे में इमाम जवाद अ.स. की नसीहत
हौज़ा/ हज़रत इमाम जवाद अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में इबादत के बारे में एक बहुत प्रभावी विधि की ओर इशारा किया हैं।
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मौलाना अब्बास अंसारी का निधन मुस्लिम उम्मा के लिए एक बड़ी क्षति हैः आयतुल्लाह हाफिज रियाज़ नजफ़ी
हौज़ा / विफाक़ उल-मदारिस अल-शिया पाकिस्तान के अध्यक्ष ने कहा कि मौलाना मुहम्मद अब्बास अंसारी एक बहुत ही उदार, गतिशील धार्मिक विद्वान और उत्पीड़ित लोगों की एक मजबूत आवाज थे। दिवंगत तहरीक एक राजनीतिक नेता थे, जिन्होंने अपना पूरा जीवन मुस्लिम एकता के लिए समर्पित कर दिया।
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दिन की हदीसः
नही अज़ मुनकर का महत्व
हौज़ा / हज़रत इमाम अली (अ.स.) ने एक रिवायत मे नही अज़ मुनकर के महत्व को बयान किया है।
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मनुष्य की प्रथम पाठशाला मा की गोद है, मौलाना सैयद मुनव्वर हुसैन रिज़वी
हौज़ा / जामिया इमामिया के प्रभारी ने कहा कि मनुष्य की पहली पाठशाला मा का आलंगन है। स्कूल और मदरसा की शिक्षा बाद में होती है, मां की शिक्षा पहले होती है। मां की शिक्षा से बच्चों का जीवन प्रभावित होता है। पैगंबर (स.अ.व.व.) ने माँ की महानता का वर्णन किया और कहा: जन्नत माँ के पैरों के नीचे है।
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एक नज़र हज़रत इमाम तक़ी अलैहिस्सलाम के बारे में,
हौज़ा/ इमाम मुहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम का जन्म दस रजब सन 195 हिजरी को मदीना शहर में हुआ था। इल्म, शराफ़त ,शालीनता, ख़िताबत तथा अन्य मानवीय गुणों के कारण उनका व्यक्तित्व अन्य लोगों से भिन्न था.
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इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई:
इमाम मुहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम से हमें यह सबक़ मिलता है!
हौज़ा/इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने कहां,कि मुनाफ़िक़ और मक्कार ताक़तों का सामना हो तो हिम्मत से काम लें और उन ताक़तों का मुक़ाबला करने के लिए अवाम के अंदर बेदारी पैदा करें।
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:दिन की हदीस
सही जिंदगी बसर करने का तरीका
हौज़ा/ हज़रत इमाम जवाद अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में सबको सही जिंदगी बसर करने की नसीहत की है।