इमाम बाक़िर
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दिन की हदीस:
जुमआ के दिन बेहतरीन इबादत
हौज़ा / हज़रत इमाम मोहम्मद बाकिर अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में जुमआ के दिन बेहतरीन इबादत की ओर इशारा किया हैं।
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दिन की हदीसः
जुमे के दिन की पसंदीदा इबादत
हौज़ा/ इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ) ने जुमे की पसंदीदा इबादत को एक रिवायत में पेश किया है।
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हदीस का संक्षिप्त विवरणः
नेमतो के ख़त्म होने का कारण
हौज़ा / कुछ पाप ऐसे होते हैं जो कुफराने नेमत की ओर ले जाते हैं। यदि कोई व्यक्ति भगवान का आज्ञाकारी रहता है और कोई पाप नहीं करता है, तो सभी नेमते बनी रहती हैं।
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इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ) के जीवन का संक्षिप्त परिचय
हौज़ा / इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ) का जन्म 1 रजब अल-मुरज्जब 57 हिजरी को मदीना में हुआ था। आपका परिवार पवित्रता की पहली कड़ी है, जिसका वंश माता और पिता दोनों की ओर से हज़रत अली इब्न अबी तालिब (अ) से मिलता है।
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इमाम बाक़िर और ईसाई पादरी
हौज़ा / बुज़ुर्ग पादरी अपनी शानो शोकत के साथ जलसे मे आ गया और जलसे के बीच मे एक बड़ी कुर्सी पर बैठ गया और चारो तरफ निगाह दौड़ाने लगा तभी उसकी नज़र लोगो के बीच बैठे हुऐ इमाम (अ.स) पर पड़ी कि जिनका नूरानी चेहरा उनकी बड़ी शख्सीयत की गवाही दे रहा था उसी वक्त उस पादरी ने इमाम (अ.स )से पूछा कि हम ईसाईयो मे से हो या मुसलमानो मे से?????
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दिन की हदीसः
विद्वानों की सभा में बैठने के आदाब
हौज़ा / हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ.स.) ने एक रिवायत में विद्वानों की सभाओं में बैठने के तौर-तरीकों की ओर इशारा किया है।
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दिन की हदीसः
एक ऐसा कार्य जो अल्लाह की खुशी का कारण बनता है
हौज़ा / हज़रत इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ.स.) ने एक हदीस में ऐसे कार्य की ओर संकेत किया है जो अल्लाह तआला को खुश करता है।