۴ آذر ۱۴۰۳
|۲۲ جمادیالاول ۱۴۴۶
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Nov 24, 2024
इमाम रजा (अ.स.) प्रचार केंद्र
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:दिन कि हदीस
आशूर के दिन ग़म और गिरिया और रोने का सवाब
हौज़ा/हज़रत इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में आशूर के दिन ग़म और गिरिया और रोने के सवाब की ओर इशारा किया हैं।
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इमाम रज़ा अलैहिस्सलाम की ज़ियारत के आदाब या संस्कार इमाम ख़ामेनेई की ज़बानी
हौज़ा/हज़रत आयतुल्लाहिल उज़्मा सैय्यद अली ख़ामनेई ने कहां,ज़ियारत क़ुबूल होने का मतलब यह है कि इमाम से मुलाक़ात का जो फ़ायदा, मुलाक़ात करने वाले को मिलता है, वह आपको हासिल हो। ज़ियारत क़ुबूल होने का मतलब यह है।
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इमाम रज़ा (अ.स.) प्रचार केंद्र के प्रमुख हुज्जतुल इस्लाम सैयद मुहम्मद सादिक रिज़वी:
इस्लामिक क्रांति शोषितों और लोगों के लिए आशा की एक किरण है
हौज़ा / हज़रत इमाम खुमैनी (र.अ.) ने अल्लाह पर भरोसा करके 2500 साल पुरानी राजशाही को उखाड़ फेंका, इस्लामिक क्रांति उत्पीड़ित और शोषित लोगों और राष्ट्रों के लिए आशा की किरण साबित हुई।