۴ آذر ۱۴۰۳
|۲۲ جمادیالاول ۱۴۴۶
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Nov 24, 2024
ग़मे हुसैन
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मोहसिने इंसानियत का ग़म मनाना एहसान मंदी का तक़ाज़ा: मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी
हौज़ा / लखनऊ, पिछले वर्षों की तरह इस वर्ष भी अशरा ए मजालिस बारगाह उम्मुल-बनीन सलामुल्लाह अलैहा मंसूर नगर में सुबह 7:30 बजे आयोजित किया जा रहा है, जिसे मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी खेताब कर रहे हैं।
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ग़मे हुसैन (अ.स.) में रोना पैगंबर (स.अ.व.व.) की सुन्नत हैः मौलाना कल्बे जवाद नकवी
हौज़ा / मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने भी रिवायात और सुन्नत के माध्यम से इमाम हुसैन (अ.स.) के दुख पर रोने का इनाम साबित किया और कहा कि हुसैन (अ.स.) के दुख के दौरान रोना इबादत है और इस्लाम के पैगंबर की सुन्नत है।
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ग़मे हुसैन अलैहिस्सलाम हमेशा ताज़ा है: मौलाना सय्यद सफी हैदर ज़ैदी
हौज़ा / दुनिया के हर ग़म का असर वक्त गुज़रने से कम पड़ जाता है,इसी तरह गम चाहे कितना बड़ा क्यों न हो लेकिन हादसे के बाद ही गम मनाया जाता है लेकिन ग़मे इमाम हुसैन अ०स० दुनिया का वह वाहिद ग़म है जो हमेशा ताज़ा रहता है और उसकी याद जहां वाक़ेये के बाद मनाई जा रही है वहीं वाक़िये से पहले भी मनाई गई है।