तलाक (18)
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महिलाओं का इतिहास, भाग - 6
बच्चे और महिलाएंपुत्रि को अपमान और अवैध बेटे को सम्मान
हौज़ा/ इस्लाम से पहले अरब समाज में औरतों का कोई इख़्तियार, इज़्ज़त या हक़ नहीं था। वे विरासत नहीं पाती थीं, तलाक़ का हक़ उनके पास नहीं था और मर्दों को बेहद तादाद में बीवियाँ रखने की इजाज़त थी।…
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आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमोली:
उलेमा और मराजा ए इकरामतलाक़ से बड़ी कोई मुसीबत और कोई घातक बीमारी नहीं
हौज़ा / आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमोली ने अपने एक लिखित बयान में इस्लामी समाजों पर तलाक़ के ख़तरनाक प्रभावों को रेखांकित किया है।
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!इत्रे क़ुरआनः सूर ए नेसा
हौज़ा हाय इल्मिया तलाक के बाद पुरुष और महिला का व्यक्तिगत जीवन और अल्लाह की वुस्अत व हिकमत
हौज़ा/ इस्लाम विवाहित जीवन को बहुत महत्व देता है, लेकिन अगर स्थिति बहुत खराब हो जाती है और सुधार का कोई रास्ता नहीं है, तो अलगाव को घृणित कार्य नहीं माना जाता है, बल्कि अल्लाह की दया और विशालता…
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ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्षः
भारतवह सच्चा मुसलमान नहीं हो सकता, जिसका पड़ोसी भूखा हो और वह पेट भरकर खाकर सो जाएः मौलाना उबैदुल्लाह खान आज़मी
हौज़ा / रहमा फाउंडेशन द्वारा मुम्ब्रा में "इंसानियत की ख़िदमत बिला तफ़रीक़ मज़हब व मिल्लत" शीर्षक से एक सार्वजनिक सभा का आयोजन किया गया, जिसमें उबैदुल्लाह खान आज़मी ने भाषण दिया। अबू तालिब रहमानी…