हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, रहमा फाउंडेशन द्वारा मुम्ब्रा में "इंसानियत की ख़िदमत बिला तफ़रीक़ मज़हब व मिल्लत" शीर्षक से मित्तल ग्राउंड मे एक सार्वजनिक सभा आयोजित की गई। इस सभा में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना उबैदुल्लाह खान आज़मी ने क़ुरआन और हदीस के हवाले से मुसलमानों के भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जो व्यक्ति खुद पेट भरकर खाता है और उसका पड़ोसी भूखा है, वह सच्चा मुसलमान नहीं हो सकता।
इस सभा में अबू तालिब रहमानी (ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के कार्यकारिणी सदस्य) ने भी संबोधन करते हुए कहा, "हमें सबसे पहले इंसानों के साथ अच्छा व्यवहार और सम्मान करना सिखाया गया है।" उन्होंने प्रयागराज (इलाहाबाद) के मुसलमानों को सलाम किया जिन्होंने कुम्भ मेला में घायल हुए लोगों की सेवा के लिए अपनी मस्जिदों और घरों के दरवाजे खोल दिए थे।
मौलाना उबैदुल्लाह खान आज़मी ने कहा, "क़ुरआन लोगों के बीच न्याय और समानता (धर्म और जाति के भेदभाव के बिना) स्थापित करने, अच्छाई फैलाने, बुराइयों को समाप्त करने, और समाज में भलाई को फैलाने की बात करता है।"
अबू तालिब रहमानी ने अपने भाषण में कहा, "हज़रत मुहम्मद (स) ने उम्मत को यह सिखाया था कि तुम अपनी ज़िम्मेदारी निभाओ। लेकिन आज हमारे समाज में यह नहीं देखा जा रहा। आप देख सकते हैं कि तलाक़ें सबसे ज़्यादा किस समुदाय में हो रही हैं, ज़मीन-जायदाद के झगड़े और इस तरह के अन्य विवाद हम में ही ज़्यादा पाए जा रहे हैं।"
अहमद अली नदवी ने अपने संक्षिप्त भाषण में कहा, "अगर क़ब्र में सवाल किया गया कि हमने तुम्हें सब कुछ दिया था, तुमने इसका क्या उपयोग किया और इंसानियत और भाईचारे के लिए इसका उपयोग क्यों नहीं किया, तो हमारे पास क्या जवाब होगा?"
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