हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, हरम के खतीब हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन नासिर रफीई ने आगे कहा कि हज़रत फातिमा ज़हरा (स) के दस से ज्यादा उपनाम हैं, और हर उपनाम उनकी किसी विशेष विशेषता को दर्शाता है। उनमें से एक उपनाम "हानीया" है, जिसका अर्थ है दया और मेहरबानी करने वाली। उन्होंने बताया कि हज़रत ज़हरा (स) अपने माता-पिता, पति, बच्चों, पड़ोसियों और अन्य व्यक्तियों के साथ बहुत प्यार और दया से पेश आती थीं।
क़ुरआन की शिक्षाओं का हवाला देते हुए हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन रफीई ने कहा कि माता-पिता के साथ अच्छा व्यवहार करना बहुत अहम है, चाहे वे जीवित हों या मर चुके हों। माता-पिता के साथ अच्छा व्यवहार दुनिया और आख़िरत में बरकत का कारण बनता है।
हज़रत फातिमा ज़हरा (स) के वैवाहिक जीवन की मिसाल देते हुए दरगाह के खतीब ने कहा कि वह अपने पति हज़रत अली (स) के साथ बहुत प्यार और धैर्य से पेश आती थीं और कभी भी शिकायत नहीं की। हदीस के अनुसार, सबसे अच्छे लोग वे होते हैं जो देर से गुस्सा होते हैं और जल्दी माफ़ कर लेते हैं, खासकर पति-पत्नी के रिश्तों में यह बहुत ज़रूरी है।
उन्होंने ज़ोर देते हुए कहा कि मर्दों को अपने घरवालों के साथ खुशमिजाजी, दानी और गैरत का प्रदर्शन करना चाहिए। ये गुण घर में शांति का कारण बन सकते हैं और तलाक की दर में कमी ला सकते हैं।
अंत में, हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलेमीन डॉ. रफीई ने कहा कि हज़रत फातिमा ज़हरा (स) कोई सामान्य महिला नहीं थीं, बल्कि वह परिवार-ए-इसमत व ताहिरत के लिए एक आदर्श थीं। उनकी शख्सियत का दर्जा अल्लाह के पास बहुत ऊँचा है, और उनका जीवन हर मुसलमान के लिए एक मार्गदर्शक है।