दरस ए अख़्लाक़ (32)
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दरस-ए-अख़लाक़:
उलेमा और मराजा ए इकरामइच्छाओं से संघर्ष सरकश ताक़तों के ख़िलाफ़ संघर्ष की बुनियाद
हौज़ा / अगर इंसान उस क़ाबिज़ बादशाह पर जो उसके भीतर है यानी उस वास्तविक तानाशाह पर हावी होने में कामयाब हो जाए तो फिर वह दुनिया की सबसे बड़ी ताक़तों को हराने में कामयाब हो जाएगा।
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दरस-ए-अख़लाक़:
उलेमा और मराजा ए इकरामहमें सोशल मीडिया पर भी सच्चा होना चाहिए
हौज़ा / सोशल मीडिया पर सच्चाई बनाए रखना बहुत जरूरी है कई बार लोग अपनी ज़िन्दगी को अनावश्यक रूप से परफेक्ट दिखाने की कोशिश करते हैं, लेकिन असल में सच्चाई और ईमानदारी ही सबसे ज्यादा मायने रखती…
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दरस-ए-अख़लाक़:
धार्मिकअल्लाह तआला की नेमतों को गुनाह में इस्तेमाल न करें
हौज़ा / अल्लाह तआला की दी हुई नेमतें इंसान के लिए एक बड़ी अमानत हैं, जिन्हें सही तरीके से इस्तेमाल करना हमारा फर्ज़ है। अगर इन नेमतों को गुनाह और बुरे कामों में इस्तेमाल किया जाए, तो यह ना सिर्फ…
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दरस-ए-अख़लाक़ः
धार्मिकआपसी इख्तेलाफ कमज़ोरी और इज़्ज़त गवांने का सबब है
हौज़ा / इस्लामी जगत की पीड़ा के बहुत से कारण हैं जब हम फूट का शिकार हों जब एक दूसरे के हमदर्द न हों जब यहाँ तक कि एक दूसरे का बुरा चाहने वाले बन गए हों तो इसका नतीजा इज़्ज़त गवांने का सबब है।
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दिन की हदीसः
धार्मिकअख़लाक़ को शुद्ध बनाने का रास्ता
हौज़ा / अमीरुल मोमिनीन इमाम अली (स) ने एक रिवायत में अख़लाक़ में सुधार का रास्ता बताया है।
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उलेमा और मराजा ए इकरामहौज़ा इल्मिया ख़ाहारान की प्रतिभाशाली महिला छात्रों को आयतुल्लाह आराफ़ी का संबोधन
हौज़ा / क़ुम में आयोजित हौज़ा इल्मिया खाहारान की प्रबंधक और सक्षम महिला छात्रों की तीसरी सभा को संबोधित करते हुए, आयतुल्लाह आराफ़ी ने छात्रओ से अपने ज्ञान को गहरा करने और अच्छे शिष्टाचार और नैतिकता…
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उलेमा और मराजा ए इकरामज़मीन पर होने वाला पहला गुनाह हसद था: आयतुल्लाहिल उज़मा सुब्हानी
हौज़ा / आयतुल्लाहिल उज़मा सुब्हानी ने अपने दरस ए अख़्लाक़ के दरस में हसद के घातक प्रभावों पर रौशनी डालते हुए कहा कि हसद केवल एक नैतिक बीमारी नहीं है बल्कि यह इंसान के ईमान को खा जाने वाला गुनाह…
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ईरानहक़ीक़ी इल्म इंसान को शरह ए सदर अता करता हैं। आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमुली
हौज़ा / आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमुली ने मस्जिद ए आज़म में अपने दर्स ए अख़्लाक़ के दौरान कहा,सच्चा ज्ञान इंसान के दिल को रौशनी और व्यापकता प्रदान करता है और इसी को पवित्रता,तहारत कहा जाता है।
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उलेमा और मराजा ए इकरामपश्चिमी नैतिकता भौतिक हितों पर आधारित है: आयतुल्लाह सुब्हानी
हौज़ा /आयतुल्लाह जाफ़र सुब्हानी ने कहा कि अख़लाक की हक़ीक़ी तासीर तभी संभव है जब यह ईश्वरीय सिद्धांतों पर आधारित हो। यदि नैतिकता भौतिक आधारों पर आधारित है, तो यह केवल बाहरी और अस्थायी है।
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उलेमा और मराजा ए इकरामहक़ीक़ी इल्म इंसान को शरह सद्र प्रदान करता है: आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमोली
हौज़ा/आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमोली ने मस्जिद आज़म में नैतिकता पर एक व्याख्यान के दौरान कहा: हक़ीक़ी इल्म आदमी को गरिमा और व्यापकता देता है और उस शरह सद्र प्रदान करता है।
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दरस-ए-अख़लाक़ः
धार्मिकनमाज़ अल्लाह का ज़िक्र और रहस्यों का कभी ख़त्म न होने वाला ख़ज़ाना है
हौज़ा / अल्लाह के साथ इंसान के संबंध के लिए नमाज़ से ज़्यादा मज़बूत व स्थायी कोई साधन नहीं है।