दरस ए अख़्लाक़ (51)
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दरस-ए-अख़लाक़
धार्मिकअगर आप अल्लाह की मदद करें तो अल्लाह आपको साबित क़दम बना देगा
हौज़ा / अल्लाह तआला ने क़ुरआने मजीद में कुछ वादे किए हैं, इन वादों के ख़िलाफ़ नहीं हो सकता।अल्लाह ने वादा किया है,ऐ ईमान वालो! अगर तुम अल्लाह की मदद करोगे तो अल्लाह तुम्हारी मदद करेगा और तुम्हे…
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आयतुल्लाह दरी नजफ़़ाबादी:
ईरानहक़ीकी ख़ज़ाना सोना और चांदी नहीं बल्कि मआरिफ इलाही है
हौज़ा / आयतुल्लाह दरी नजफ़़ाबादी ने अपने दर्स ए ख़ारिज में इमाम मुहम्मद बाक़िर (अ.स.) की विलादत बासआदत की मुबारकबादी पेश करते हुए आपके इल्मी और रूहानी मुक़ाम पर ज़ोर दिया और फ़रमाया कि वास्तविक…
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धार्मिकएक सादह जिंदगी जिसके नतीजे में तफ़सीर अल-मीज़ान जैसी कृति प्राप्त हुई
हौज़ा / बाहरी रूप से सरल और आर्थिक तंगी में बीते जीवन के पीछे त्याग, प्रेम और बलिदान की एक ऐसी दास्तान छिपी है, जिसका फल इस्लामी दुनिया को तफ़सीर अल-मीज़ान के रूप में एक महान बौद्धिक खज़ाने के…
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दरस-ए-अख़लाक़ः
धार्मिकनौजवान, नमाज़ से रूह की ताज़गी हासिल करता है
हौज़ा / नमाज़ से नौजवान का दिल प्रकाशमान हो जाता है, वह उम्मीद हासिल करता है, आत्मिक ताज़गी हासिल करता है, ख़ुशी हासिल करता है।
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उलेमा और मराजा ए इकरामखुशबख्त वह है जिसका उस्ताद-ए-अखलाक़ खुदा हो: आयतुल्लाह अज़ीज़ुल्लाह ख़ुशवक्त
हौज़ा / स्वर्गीय आयतुल्लाह अज़ीज़ुल्लाह ख़ुशवक्त (रह.) ने अपने एक दर्स-ए-अखलाक़ में उस्ताद के चुनाव और हकीकी रहनुमाई के मौज़ू पर बात करते हुए कहा कि इंसान अक्सर इस बात में उलझ जाता है कि किसे…
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दरस-ए-अख़लाक़ः
धार्मिकअल्लाह के दर पर जाना चाहिए ताकि दूसरों के सामने गिड़गिड़ाना न पड़े
हौज़ा / इंसान बहुत सारी चीजों का ज़रूरतमंद है, इन ज़रूरतों से छुटकारा पाने और इन ज़रूरतों की पूर्ति के लिए किससे कहें? अल्लाह से क्योंकि वह हमारी ज़रूरतों को जानता है, अल्लाह जानता है कि आप क्या…
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आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमोली:
उलेमा और मराजा ए इकरामविलायत के बग़ैर हासिल किया गया इल्म चोरी है ना कि बुद्धिमानी
हौज़ा / आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमोली ने कहा कि "ला इलाहा इल्लल्लाह" और "विलायत-ए-अली इब्न अबी तालिब (अ.स.) एक ही वास्तविकता के दो नाम हैं। यह वह किला है जिसका रक्षक स्वयं अल्लाह है और जिसके…
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दरस-ए-अख़लाक़ः
धार्मिकअल्लाह से गिड़गिड़ाकर दुआ कीजिए
हौज़ा / हम दुआ को मामूली चीज़ न समझें, अल्लाह से कुछ तलब करने को मामूली बात न समझें। आपसे जहाँ तक मुमकिन हो दुआ को अल्लाह के सामने ऐसे माहौल में पेश कीजिए जिसमें आपकी बेहतरीन हालत हो, रोने और…
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उलेमा और मराजा ए इकरामदिल की बसीरत ही वास्तविक ज्ञान का स्रोत है।आयतुल्लाहिल उज़मा जवादी आमोली
हौज़ा / आयतुल्लाहिल उज़मा जवादी आमोली ने कहा कि अल्लाह तआला ने इंसान को सिर्फ सुनने और समझने का ही नहीं बल्कि देखने का भी मुकल्लफ़ बनाया है। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि हक़ीक़ी मआरिफ़त केवल पढ़ाई…
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आयतुल्लाह अराफी:
उलेमा और मराजा ए इकरामअख्लाक वह गौहर है जो अमल की कद्र बढ़ा देता है / हर अमल में सिर्फ खुदा से लेनदेन का जज़्बा रखें
हौज़ा / आयतुल्लाह अली रज़ा अराफी ने कहा, अख्लाक वह आमिल है जो कर्म का स्तर ऊँचा करता है।अल्लाह से लेन-देन ऐसी आध्यात्मिक खुशियाँ और आशीर्वाद देता है जो कहीं और नहीं मिलती। हर काम में इंसान को…
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उलेमा और मराजा ए इकरामअहले इल्म के लिए आयतुल्लाह जवादी आमोली की नसीहत:अगर पढ़ा न सके तो उम्र बर्बाद कर दी!
हौज़ा / ईरान के हौज़ा ए इल्मिया के मशहूर कुरआन के मुफ़स्सिर आयतुल्लाहिल उज़मा जावादी आमुली ने तालिबे इल्म और बुद्धिजीवियों को सलाह देते हुए कहा कि अगर कोई शख्स इल्म हासिल करे लेकिन दूसरों को…
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हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन नासिर रफ़ीई:
ईरानराह ए हक़ में इस्तेक़ामत सबसे महत्वपूर्ण विशेषता है / दुश्मन का असली लक्ष्य हमारे अक़ीदे और जीवन-शैली को बदलना है
हौज़ा / मसीर-ए-बंदगी शीर्षक वाले दर्स-ए-अख़लाक़ में हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन नासिर रफ़ीई ने सूरह अनफ़ाल की आयत नंबर 45 की रोशनी में दुश्मन की सांस्कृतिक युद्ध के मुक़ाबले में जागरूकता और…
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जामिया अल-मुन्तज़र नौगाँवा सादात में साप्ताहिक दर्स ए अख़्लाक़ का आयोजन:
भारतपैग़म्बर-ए-इस्लाम स.अ.व.व. की बिस'अत का मकसद ही अख़्लाक़ था।मौलाना पैग़म्बर अब्बास आबिदी
हौज़ा / नौगाँवा सादात दीनी शिक्षण संस्थान हौज़ा ए इल्मिया जामिया अलमुनतज़िर में साप्ताहिक दर्स-ए-अख़लाक़ का आयोजन किया गया, जिसमें जामिया के शिक्षक हुज्जतुल इस्लाम मौलाना पैग़म्बर अब्बास आबिदी…
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आयतुल्लाह ग़रवी:
ईरानअगर इल्म अख़लाक़ और माअनवियत से ख़ाली है, तो यह मानवता के लिए लाभकारी नहीं हो सकता
हौज़ा / हौज़ा ए इल्मिया की सर्वोच्च परिषद के सदस्य, आयतुल्लाह सय्यद मोहम्मद ग़रवी ने कहा है कि अख़लाक़ और माअनवियत से अलग होने पर इल्म वास्तविक लाभ प्रदान नहीं कर सकता है, और कुछ भौतिकवादी देशों…
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दरस-ए-अख़्लाक़:
धार्मिकअहंकार,पतन का आग़ाज़ है
हौज़ा / ग़ुरूर एक शैतानी हथकंडा है, ग़ुरूर व घमंड एक शैतानी हथियार है।जब इंसान को खुद पर अत्यधिक विश्वास हो जाता है, तो वह अपनी सीमाओं को भूल जाता है और यही उसकी नाकामी की शुरुआत बनती है।
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दिन की हदीस:
धार्मिकअच्छे अख्लाक का महान स्थान
हौज़ा / हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व. ने एक रिवायत में अच्छे अख्लाक के स्थान को बयान परमाया हैं।
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आयतुल्लाह जवादी आमोली:
उलेमा और मराजा ए इकरामआलिम बनना पहला कदम है, मंज़िल या लक्ष्य नहीं / वास्तविक महत्व "इल्म से मालूम" की ओर हिजरत और हरकत की है
हौज़ा / दर्स पढ़ना और आलिम या आलाम या अधिक ज्ञानी बन जाना केवल एक छोटा पलायन और छोटा जिहाद है, क्योंकि व्यक्ति केवल अवधारणाओं और किताबी ज्ञान की सीमा तक आगे बढ़ता है। इससे ऊपर का चरण मध्यम पलायन…
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भारतइमाम मुहम्मद तकी (अ) की जीवनी; इल्म व मारफ़त, अख़लाक़ और चरित्र का सर्वोत्तम उदाहरण, मौलाना शहवार नक़वी
हौज़ा / इमाम मुहम्मद तकी (अ) की शहादत के अवसर पर, डॉ. मौलाना सय्यद शहवार हुसैन नक़वी ने इमामिया मस्जिद अमरोहा, भारत में मजलिस को संबोधित किया और कहा कि इस्लामी इतिहास में अहले बैत (अ) की जीवनी…
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दरस-ए-अख़लाक़ः
धार्मिकहर व्यक्ति को अच्छी सिफ़त और गुण पैदा करना चाहिए
हौज़ा / हर इंसान अच्छी सिफ़त और गुण को अपनाएं क्योंकि यही क़ुरआन पर अमल करना है अमीरुल मोमेनीन अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं कहीं ऐसा न हो कि दूसरे लोग क़ुरआन पर अमल करने में तुमसे आगे निकल जाएं।
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दरस-ए-अख़लाक़:
उलेमा और मराजा ए इकरामइच्छाओं से संघर्ष सरकश ताक़तों के ख़िलाफ़ संघर्ष की बुनियाद
हौज़ा / अगर इंसान उस क़ाबिज़ बादशाह पर जो उसके भीतर है यानी उस वास्तविक तानाशाह पर हावी होने में कामयाब हो जाए तो फिर वह दुनिया की सबसे बड़ी ताक़तों को हराने में कामयाब हो जाएगा।
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दरस-ए-अख़लाक़:
उलेमा और मराजा ए इकरामहमें सोशल मीडिया पर भी सच्चा होना चाहिए
हौज़ा / सोशल मीडिया पर सच्चाई बनाए रखना बहुत जरूरी है कई बार लोग अपनी ज़िन्दगी को अनावश्यक रूप से परफेक्ट दिखाने की कोशिश करते हैं, लेकिन असल में सच्चाई और ईमानदारी ही सबसे ज्यादा मायने रखती…
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दरस-ए-अख़लाक़:
धार्मिकअल्लाह तआला की नेमतों को गुनाह में इस्तेमाल न करें
हौज़ा / अल्लाह तआला की दी हुई नेमतें इंसान के लिए एक बड़ी अमानत हैं, जिन्हें सही तरीके से इस्तेमाल करना हमारा फर्ज़ है। अगर इन नेमतों को गुनाह और बुरे कामों में इस्तेमाल किया जाए, तो यह ना सिर्फ…
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दरस-ए-अख़लाक़ः
धार्मिकआपसी इख्तेलाफ कमज़ोरी और इज़्ज़त गवांने का सबब है
हौज़ा / इस्लामी जगत की पीड़ा के बहुत से कारण हैं जब हम फूट का शिकार हों जब एक दूसरे के हमदर्द न हों जब यहाँ तक कि एक दूसरे का बुरा चाहने वाले बन गए हों तो इसका नतीजा इज़्ज़त गवांने का सबब है।