۲۴ آبان ۱۴۰۳ |۱۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 14, 2024
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हौज़ा / आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमुली ने मस्जिद ए आज़म में अपने दर्स ए अख़्लाक़ के दौरान कहा,सच्चा ज्ञान इंसान के दिल को रौशनी और व्यापकता प्रदान करता है और इसी को पवित्रता,तहारत कहा जाता है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार,आयतुल्लाहिल उज़्मा जवादी आमुली ने मस्जिद ए आज़म में अपने दर्स ए अख़्लाक़ के दौरान कहा,सच्चा ज्ञान इंसान के दिल को रौशनी  और व्यापकता प्रदान करता है और इसी को पवित्रता,तहारत कहा जाता है।

अगर कोई व्यक्ति ज्ञान प्राप्त करने के बावजूद दूसरों की तरक़्क़ी से परेशानी महसूस करे या उनके लिए मुश्किलें पैदा करे तो यह दर्शाता है कि उसने ज्ञान की सच्चाई को नहीं पाई हैं।

आयतुल्लाह जवादी आमुली ने कहां,नहजुल बलाग़ा की हिकमत 147 की व्याख्या करते हुए कहा कि हज़रत अली अ.स.ने फरमाया,दिलों को सबसे बेहतरीन ज़रफ क़रार दिया गया है।
और उनका सबसे बेहतरीन मज़रूफ़ इल्म-ए-इलाही (ईश्वरीय ज्ञान) है।

उन्होंने आगे कहा कि दुनियावी ज़रफ सीमित होते हैं जब वे भर जाते हैं तो और कुछ नहीं समा सकता लेकिन ज्ञान दिल को भरने के बजाय उसे और विस्तृत कर देता है और उसकी क्षमता को बढ़ा देता है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि जब ज्ञान दिल में प्रवेश करता है तो वह तंगी पैदा नहीं करता बल्कि दिल को और विस्तृत करता है और अधिक ज्ञान को स्वीकार करने की क्षमता देता है यह ज्ञान की विशेषता है जो इसे अन्य पात्रों से अलग करती है।

आयतुल्लाह जवादी आमुली ने आगे फरमाया कि सबसे बेहतरीन दिल वह है जो स्वयं को ज्ञान के माध्यम से विस्तृत करता है यदि इंसान ज्ञान की राह पर चलता है तो ज्ञान उसके दिल को विस्तृत करता है और उसे तंगनज़री और अहंकार से दूर कर देता है।

उन्होंने कहा कि अगर किसी मदरसे या विश्वविद्यालय में ऐसे लोग हों जो दूसरों के लिए जगह तंग करें या उनकी प्रगति से दुखी हों, तो यह साबित करता है कि उन्होंने ज्ञान की सच्चाई से कुछ भी प्राप्त नहीं किया क्योंकि सच्चा ज्ञान इंसान को दिल की खोल और व्यापकता प्रदान करता है, और यही पवित्रता (तहारत) कहलाती है।

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