पवित्र दरगाह
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तस्वीरें / पवित्र पैग़म्बर (स) की रेहलत के अवसर पर, इमाम अली (अ) की दरगाह पर काला झंडा लगाया गया
हौज़ा / 28वी सफ़र अल-मुजफ्फर के अवसर पर, अत्बा अलविया के प्रबंधक सैयद ईसा अल-खुरसान की उपस्थिति में इमाम अली (अ) की दरगाह पर काला झंडा स्थापित किया गया था।
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मशहद मे बेटे का शोक
हौज़ा / इब्न अल-रज़ा हज़रत इमाम मुहम्मद तकी अल-जवाद की शहादत दिवस के अवसर पर बड़ी संख्या में तीर्थयात्रियों ने इमाम रऊफ की दरगाह की ज़ियारत की और इमाम को उनके बेटे का पुरसा दिया।
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हज़रत मासूमा (स.) के पवित्र दरगाह के गुंबद पर शोक ध्वज फहराया गया
हौज़ा / हज़रत फ़ातिमा मासूमा के निधन की रात, बानो ए करामत के गुंबद का झंडा बदल दिया गया और उस पर शोक झंडा फहराया गया।
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हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन फ़रहाज़ाद:
लापरवाही पाप का स्रोत है
हौज़ा / हज़रत मासूमा (स.अ.) की दरगाह के खतीब ने कहा: ईश्वर ने मनुष्य को अनंत काल के लिए बनाया है और मनुष्य स्वयं इस छोटी सी दुनिया में अपने अनन्त जीवन का निर्माण करता है। इसलिए हमें इस छोटी सी दुनिया में पापों और अस्थायी सुखों के बजाय अल्लाह की इबादत करनी चाहिए।
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इमाम रज़ा (अ.स.) की दरगाह में तीर्थयात्रियों के लिए तीन अध्ययन केंद्रों की स्थापना
हौज़ा / इमाम रज़ा (अ.स.) की दरगाह के तकनीकी एवं अनुरक्षण संस्थान के सहयोग से पढ़ने-पढ़ाने के लिए जगह को और विस्तृत करने के लिए हॉल तैयार किए गए हैं। इसके अलावा इसी तरह के एक अन्य प्रोजेक्ट पर भी काम चल रहा है।
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मासूमा ए क़ुम की दरगाह मे हजरत मौहम्म्द (स.अ.व.व.) की पुत्रि की शहादत के अवसर पर शोक सभा
हौज़ा / शोक समारोह को संबोधित करते हुए, पाकिस्तान के प्रसिद्ध वक्ता हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सैयद शहंशाह नकवी साहिब ने हज़रत फातिमा ज़हरा (स.अ.) के जीवन के विभिन्न बिंदुओ के साथ-साथ हजरत जहरा (स.अ.) के स्थान और गुणो का वर्णन किया।
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जर्मनी से आने वाले पर्यटको ने की अमीरुल मोमेनीन इमाम अली (अ.स.) की दरगाह की ज़ियारत
हौज़ा / जर्मनी के पर्यटकों के एक समूह ने नजफ़ अशरफ़ में अमीरुरल मोमेनीन की दरगाह का दौरा किया और इस तीर्थस्थल पर जाकर अस्ताने अल्वी के ऐतिहासिक और पुरातत्व स्मारकों को देखने का सौभाग्य प्राप्त किया।
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क़ुम मे हजरत मासूमा की ज़रीह तक ज़ायेरीन की पहुंच
हौज़ा / ज़ायेरीन अब हज़रत फ़ातेमा मासूमा (स.अ.) की ज़रीह को छू भी सकते हैं और अकीदत के साथ इसको चूम भी सकते हैं।
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मशहद मुकद्दस,ज़ायेरीन अब इमाम रज़ा अ.स.की ज़रीह मस कर सकते हैं।
हौज़ा/ज़ायेरीन अब इमाम रज़ा अ.स.की ज़रीह को छू भी सकते हैं और अकीदत के साथ इसको चूम भी सकते हैं