हौज़ा/ पैग़म्बर मुहम्मद (स) ने एक रिवायत में मज़दूरों के अधिकारों पर विचार करने की आवश्यकता पर बल दिया है।
हौज़ा/ अगर रोज़ा रखना काम करने में रुकावट बने, जबकि रोज़गार और ख़र्चों का दारोमदार इसी काम पर हो, मसलन इतनी कमज़ोरी हो जाए कि काम करने की ताकत न रहे, या भूख और प्यास हद से ज़्यादा हो जाए, तो...