हौज़ा न्यूज़ एजेंसी |
सवाल: मज़दूर, जिसके लिए गर्मी में रोज़ा रखना बहुत सख्त हो, क्या वह खा-पी सकता है?
जवाब: अगर रोज़ा रखना काम करने में रुकावट बने, जबकि रोज़गार और ख़र्चों का दारोमदार इसी काम पर हो, मसलन इतनी कमज़ोरी हो जाए कि काम करने की ताकत न रहे, या भूख और प्यास हद से ज़्यादा हो जाए, तो:
• अगर माह-ए-रमज़ान में काम छोड़कर, चाहे कर्ज़ लेकर, गुजर-बसर मुमकिन हो, तो लाज़िम है कि काम छोड़कर रोज़ा रखे।
• लेकिन अगर ऐसा करना मुमकिन न हो, तो लाज़िम है कि रोज़ा रखे, और जब भी प्यास या भूख का सख्त ग़लबा हो, तो एहतेयात-ए-वाजिब की बुनियाद पर सिर्फ़ ज़रूरत के मुताबिक़ खाए और पिए। इससे ज़्यादा खाने-पीने में इश्काल है।
• और एहतेयात-ए-वाजिब की बुनियाद पर बाक़ी दिन कुछ न खाए।
• लाज़िम है कि बाद में उस रोज़े की क़ज़ा करे, लेकिन कफ़्फ़ारा वाजिब नहीं है।
इस्तिफ़ता: आयतुल्लाह अल उज़मा सैयद अली सीस्तानी
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