महिलाओ का इतिहास (9)
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दुनियासय्यदा का किरदार; इंसानी जिंदगी के तमाम क्षेत्र में अमली नमूना हैःअल्लामा शेख़ हसन सरवरी
हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम शेख़ मोहम्मद हसन सरवरी ने हज़रत फातिमा ज़हरा सलाम अल्लाह अलैहा की श्रेष्ठता बयान करते हुए कहा कि सैय्यदा का चरित्र; मानव जीवन के सभी क्षेत्रों में एक व्यावहारिक उदाहरण…
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ईरानहज़रत फातेमा ज़हरा स.अ. ईमान, पवित्रता, ज्ञान और संघर्ष का सही नमूना हैं।हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मोहम्मद तकी रहबर
हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मोहम्मद तकी रहबर ने कहा,मुस्लिम महिलाओं को चाहिए कि वे अपने जीवन के सभी पहलुओं में मकतब ए फातेमी से सबक लें हज़रत फातेमा ज़हरा स.अ. ईमान, पवित्रता, ज्ञान…
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उलेमा और मराजा ए इकरामजामिया अज़ ज़हरा (स) की सेवाएं अत्यंत प्रभावी हैंः आयतुल्लाह आराफ़ी
हौज़ा / हौज़ा ए इल्मिया ईरान के प्रमुख आयतुल्लाह अली रज़ा आराफ़ी ने कहा है कि जामिया अज़ ज़हरा (स.ल.) की इल्मी और शैक्षिक सेवाएं अत्यंत प्रभावी हैं और इस संस्थान ने पूरे देश में महिला छात्रों…
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महिलाओं का इतिहास, भाग - 11
बच्चे और महिलाएंइस्लाम: वो क्रांति जिसने औरतों को फ़ैसले और इच्छा की ताकत दी
हौज़ा/ इस्लाम के अनुसार, औरतें और मर्द दोनों इंसानी ज़िंदगी में पार्टनर हैं, और इसलिए दोनों को बराबर हक़ और समाज के फ़ैसले लेने का हक़ दिया गया है। औरतों के नेचर में दो खास बातें बताई गई हैं:…
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महिलाओं का इतिहास, भाग - 10
बच्चे और महिलाएंइस्लाम मे श्रेष्ठता का मापदंड महिला या पुरूष होना नहीं, बल्कि तक़वा है
हौज़ा / इस्लाम में पुरुष और महिला में श्रेष्ठता का एकमात्र मापदंड तक़वा और नैतिक गुण हैं। हर इंसान को उसके कर्मों का जवाब देना होगा। कुरान ने महिलाओं की उपेक्षा की तीव्र निंदा की है और इंसानों…
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महिलाओं का इतिहास, भाग - 9
बच्चे और महिलाएंइस्लाम ने महिला के ऊपर सदियों की क्रूरता को कैसे समाप्त किया?
हौज़ा / इस्लाम ने औरत की हालत को मुलभूत रूप से बदल दिया और उसे पुरुष की तरह एक स्थायी और बराबर इंसान के रूप में माना। इस्लाम के अनुसार पुरुष और महिला सृष्टि और कर्म के हिसाब से बराबर हैं, और…
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महिलाओं का इतिहास, भाग - 7
बच्चे और महिलाएंअरब समाज मे महिलाएँ सामाजिक अधिकारो से क्यो महरूम थी?
हौज़ा / इस्लाम से पहले अरब समाज में औरतों का कोई इख़्तियार, इज़्ज़त या हक़ नहीं था। वे विरासत नहीं पाती थीं, तलाक़ का हक़ उनके पास नहीं था और मर्दों को बेहद तादाद में बीवियाँ रखने की इजाज़त थी।…
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महिलाओं का इतिहास, भाग - 6
बच्चे और महिलाएंपुत्रि को अपमान और अवैध बेटे को सम्मान
हौज़ा/ इस्लाम से पहले अरब समाज में औरतों का कोई इख़्तियार, इज़्ज़त या हक़ नहीं था। वे विरासत नहीं पाती थीं, तलाक़ का हक़ उनके पास नहीं था और मर्दों को बेहद तादाद में बीवियाँ रखने की इजाज़त थी।…
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महिलाओं का इतिहास, भाग - 4
बच्चे और महिलाएंमहिलाएं: परिवार की ताबेअ, सदस्य नहीं
हौज़ा / प्राचीन रोम में, महिलाओं को परिवार का वास्तविक सदस्य नहीं माना जाता था; परिवार केवल पुरुषों से बना होता था, और महिलाओं को उनकी प्रजा माना जाता था। रिश्तेदारी और उत्तराधिकार केवल पुरुषों…