मुसनद-ए-इमाम अली (अ.स.)
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:दिन कि हदीस
दुनिया परस्तों के साथ रहने का अंजाम
हौज़ा/हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में दुनिया परस्तों के साथ रहने के अंजाम की ओर इशारा किया हैं।
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:दिन कि हदीस
अहले बैत अलैहिमुस्सलाम को याद करने की बरकते
हौज़ा/ हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में अहले बैत अलैहिमुस्सलाम को याद करने की बरकतो कि ओर इशारा किया हैं।
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:दिन की हदीस
नाशुक्ररी से नेमत को दूर मत करो!
हौज़ा/हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत ने की नाशुक्ररी कि ओर इशारा किए हैं।
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:दिन की हदीस
करीम और पस्त आदमी की हुकूमत में फर्क
हौज़ा/हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में करीम और पस्त आदमी की हुकूमत की खुसूसियत को बयान किया है।
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:दिन की हदीस
इबादत की लज़्ज़त
हौज़ा/ हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में इबादत की लज़्ज़त कि ओर इशारा किए हैं।
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:दिन की हदीस
हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम को देखने और याद करने का सवाब
हौज़ा/हज़रत रसूल अल्लाह (स.ल.व.व)ने एक रिवायत में हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम को देखने और याद करने के सवाब कि ओर इशारा किये है।
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:दिन की हदीस
काज़ी को कैसा होना चाहिए.
हौज़ा /हज़रत इमाम अली अलैहिस्सलाम ने एक रिवायत में बयान किया है कि काज़ी,लोगों से कैसे बर्ताव करें।
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डॉ. ताहिरुल-क़ादरी की पुस्तक "मुसनद-ए- इमाम अली (अ.स.)" प्रकाशित हो गई
हौज़ा / डॉ. हसन मोहयुद्दीन क़ादरी ने कहा कि लेखक और संकलन के एक हजार वर्षीय इस्लामी इतिहास में पहली बार डॉ. ताहिरुल-क़ादरी ने हज़रत अली से वर्णित हदीस के 12 संस्करणों का संग्रह संकलित किया है । जिसे मुसनद-ए-इमाम अली (अ.स.) के नाम से प्रकाशित किया जा रहा है, हदीस का यह संग्रह उलूमे हदीस के प्यासो के लिए इल्मी सेराबी का कारण बनेगा।