۱۳ تیر ۱۴۰۳
|۲۶ ذیحجهٔ ۱۴۴۵
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Jul 3, 2024
मुस्तहब नमाज
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शरई अहकाम:
मुस्तहब नमाजों को बुलंद आवाज़ से पढ़े या आहिस्ता?
हौज़ा / कोई फर्क नहीं है चाहे आहिस्ता पढ़े या बुलंद आवाज़ से
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मुस्तहब नमाज़ों में हिजाब का ख्याल रखना
हौज़ा / क्या मुस्तहब नमाज़ों जैसे नमाजे शब में ज़रूरी है की औरतें वाजिब नमाजों की तरह हिजाब का ख्याल रखें?अगर इस तरह का ख्याल ना रखा जाए तो क्या नमाज़ बातिल हैं?
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शरई अहकामः
मुस्तहब नमाज़ो में हिजाब का ख्याल रखना
हौज़ा | वाजिब और मुस्तहब नमाज़ में कोई अंतर नहीं है और अगर जानबूझकर हिजाब का ध्यान न रखा जाए तो नमाज़ बातिल है।
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शरई अहकामः
पांचो वक़्त की नमाजों की नवाफिल का क्रम
हौज़ा / शुक्रवार को ज़ुहर और अस्र की सोलह रकात में चार रकत नफल का इज़ाफ़ा होता हैं। और बेहतर यह है कि ज़वाल से पहले पूरी की पूरी बीस रकअत पढ़ी जाए।
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शरई अहकामः
मुस्तहब्बी नमाज़ मे इक़्तेदा करना
हौज़ा | कुछ लोग जब देखते हैं कि जमात का इमाम नमाज़ पढ़ रहा है तो वे तुरंत उनकी इक़्तेदा करने लगते हैं। ऐसा करना शायद सही नहीं होगा।