मौलाना अली हाशिम आबिदी
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लोगों से बेनियाज़ी में इज़्ज़त है: मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी
हौज़ा / इमाम मोहम्मद तक़ी अलैहिस्सलाम ने फरमाया: लोगों से बेनियाज़ी में मोमिन की इज्जत है।
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इख़्लास से इबादत क़ुबूल होती है: मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी
हौज़ा / मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी: इमाम मुहम्मद तकी (अ) ने जन्म के बाद कलमा ए शहादतैन जारी किया और अल्लाह का उल्लेख किया, छह महीने की उम्र में बात की और 20 महीने की उम्र में उपदेश दिया। आपने एक ही बार में बहस की और हजारों सवालों के ऐसे जवाब दिए कि दुश्मन को हार मानने पर मजबूर होना पड़ा।
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इमाम महदी अज्जलल्लाहो तआला फ़रजहुश्शरीफ़
हौज़ा / इमाम महदी (अ.त.फ़.श.) को केवल शिया ही नहीं, बल्कि सुन्नी भी मानते हैं। यहां तक कि गैर-मुस्लिम भी मानते हैं कि अंतिम दिनों में, जब दुनिया उत्पीड़न और अन्याय से भर जाएगी, वह वही होगा जो मानवता को बचाएगा।
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जिसने अहले-बैत (अ) को छोड़ दिया वह भटक गया है: मौलाना सय्यद अली हाशिम आबिदी
हौज़ा / मनुष्य तब तक निर्देशित रहेगा जब तक वह कुरान और अहले-बैत (अ) से जुड़ा रहेगा जहां उसने उन्हें छोड़ दिया था वह भटक गया ।
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मौलाना सय्यद अली हाशिम आबिदी:
इस्लामी क्रांति दुनिया के सभी कमज़ोरों और पीड़ितों के अधिकारों की आवाज़ है
हौज़ा/ इस्लामी क्रांति के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी (र) ने कहा था कि "हमारी क्रांति प्रकाश का विस्फोट थी।" वास्तव में, इस क्रांति ने न केवल ईरानी लोगों को गौरव प्रदान किया, बल्कि अधिकार भी दिए दुनिया के सभी कमजोरों और पीड़ितों की आवाज उठाई और उनके समर्थक बने। दुनिया के विभिन्न देशों में इस्लामी जागरूकता और जुल्म के खिलाफ दृढ़ता ही इस इस्लामी क्रांति का आशीर्वाद है।
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मौलाना सैयद मुहम्मद शबीब हुसैनी की रिहाई के लिए धर्म गुरूओ और मोमेनीन को कानूनी प्रयास करना चाहिए: मौलाना सय्यद हुसैन महदी ٘
हौज़ा/ मौलाना डॉ. सय्यद मुहम्मद शबीब हुसैनी की गिरफ्तारी के संबंध मे अमसिन फ़ैज़ाबाद के धर्मं गुरू और मुबल्लिग़ मौलाना सय्यद हुसैन महदी ने बयान जारी करते हुए कहा कि अगर यही स्थिति रही तो आने वाले दिनों में उलमा ना तो अम्र बिल मारूफ कर पाएंगे और ना ही नही अज़ मुंकर कर पाएंगे।
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धर्म को सीखने और उसका पालन करने में ही नेजात है: मौलाना सैयद अली हाशिम आबिदी
हौज़ा/मौलाना सैयद अली हाशिम आबिदी ने कहा कि वर्तमान समय में जिसमें हम कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं, इस्लामी एकता, विशेष रूप से आस्था की एकता बहुत आवश्यक है।
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मोहसिने इंसानियत का ग़म मनाना एहसान मंदी का तक़ाज़ा: मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी
हौज़ा / लखनऊ, पिछले वर्षों की तरह इस वर्ष भी अशरा ए मजालिस बारगाह उम्मुल-बनीन सलामुल्लाह अलैहा मंसूर नगर में सुबह 7:30 बजे आयोजित किया जा रहा है, जिसे मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी खेताब कर रहे हैं।
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हर सुब्ह व शाम हज़रत अब्बास अ०स० पर अल्लाह और मलाएका का सलाम: मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी
हौज़ा / लखनऊ, पिछले वर्षों की तरह इस वर्ष भी अशरा ए मजालिस बारगाह उम्मुल-बनीन सलामुल्लाह अलैहा मंसूर नगर में सुबह 7:30 बजे आयोजित किया जा रहा है, जिसे मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी खेताब कर रहे हैं।
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क़ुरआन का अपमान मानवता का अपमान है:मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी
हौज़ा / हर चीज़ ख़त्म हो जाये गी मगर जिसे खुदा बाक़ी रखे चाहे दुनिया उसे माने या न माने, जैसे कोई खुदा को माने या न माने, उसकी इबादत करे या न करे उसके ख़ुदा होने में कोई फर्क़ नहीं आये गा, वैसे ही कोई इमाम हुसैन अ०स० को माने या न माने।
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मोमिन चापलूसी नहीं कर सकता: मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी
हौज़ा /जब से यह दुनिया बनी है न जाने कितने बड़े बड़े हादसे हुए कि जिस से इंसान कांप गया लेकिन जैसे जैसे वक़्त गुज़रा उस का असर कम हो गया और उन में से ज़्यादा तर हादसे लोग भूल भी गये, लेकिन जो हादसा 10 मुहर्रम 61 हिजरी को करबला में हुआ वह कल भी ताज़ा था और आज भी ताज़ा है, इमाम हसन अ०स० ने इमाम हुसैन अ०स० से फरमाया: जैसा ग़म का दिन तुम्हारा है वैसा कोई दिन नहीं है! इसी तरह इमाम ज़ैनुल आब्दीन अ०स० ने फरमाया: जैसा ग़म का दिन मेरे वालिद (इमाम हुसैन अ०स०) का है वैसा कोई दिन नहीं है!
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रिशवत लेना किसी भी सूरत जायेज़ नहीं: मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी
हौज़ा / इमाम हुसैन अ०स० का साथ देने वालों ने न अपनी जान की परवाह की और न ही अपनी अवलाद और माल की फिक्र की, हज़रत मुस्लिम बिन अक़ील अ०स० को मालूम था कि अगर इमाम हुसैन अ०स० का साथ देंगे तो खुद भी शहीद हों गे, बच्चे भी शहीद होंगे, बीवी को क़ैदी बनाया जाये गा, माल लूटा जाये गा लेकिन आप ने ज़िदगी के आखरी लमहों तक हक़ का एलान किया, ख़ुद शहीद हुए, दो बेटे करबला में शहीद हुए, दो बेटे कूफे में एक साल की क़ैद के बाद शहीद हुए, एक बेटी ताराजी ए ख़ेयाम के दौरान शहीद हुयीं, दूसरी बेटी और बीवी क़ैद हुईं, यज़ीदी हुकूमत ने मदीना में आप के घर को गिरा दिया कि जब आप की बीवी शाम के क़ैदखाने से आज़ाद हो कर मदीना आयीं तो अपने घर को मुंहदिम पाया तो जितने दिन भी ज़िंदा रही कभी इमाम सज्जाद अ०स० के घर रही तो कभी हज़रत ज़ैनब स०अ० के घर रहीं!
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मजलिसों में हज़रत फातिमा स० अ० आती हैं: मौलाना सैयद अली हाशिम आब्दी
हौज़ा / रसूलुल्लाह स०अ० की हदीस "यक़ीनन क़त्ले हुसैन (अ.स.) से मोमिनों के दिलों में ऐसी गर्मी पैदा हो गई है जो कभी ठंडी नहीं होगी।" को बयान करते हुए कहा: दुनिया के हर दुःख का असर समय के साथ कम हो जाता है सिवाय इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के दुःख के, जो आज ही नहीं बल्कि क़यामत के दिन तक ताज़ा रहेगा और मोमिन जब भी उसे याद करेगा तो रोएगा।
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हदीसों में मुबहेला का जिक्र
हौज़ा / जब आयत मुबलेहा "पैगंबर के आगमन के बाद, उन लोगों से कहें जो आपके खिलाफ बहस करते हैं: आओ, हम अपने बच्चों, अपनी पत्नियों और अपनी नफसोको बुलाएं, और फिर भगवान के सामने प्रार्थना करें और झूठो पर भगवान का श्राप हो"।
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लखनऊ; काला इमामबाड़ा में दुआ ए अरफ़ा और मजलिस ए अज़ा
हौज़ा / मौलाना सैयद अली हाशिम आबिदी ने विश्वासियों को संबोधित किया और रोज़े अरफ़ा की महानता और महत्व को समझाया, और हज़रत मुस्लिम बिन अकील (अ) के गुणों और विशेषताओं का भी उल्लेख किया।
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दरगाहे आलिया बाबुल हवायेज अ०स० बघरा में शरई सवाल और जवाब कैम्प
हौज़ा / मुजफ्फरनगर, दरगाहे आलिया बाबुल हवायेज अ०स० बघरा की सालाना इस्लाही मजालिस का सिलसिला अनजुमन ए आरफी की जानिब से 8 जून से 11 जून तक जारी है!
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कुरानी कक्षाओ के समापन पर पुरूस्कार वितरण समारोह
हौज़ा / क़ुरान करीम की शिक्षा को ध्यान मे रखते हुए रमज़ान 1444 को मस्जिद इमाम हसन मुज़्तबा अ०स० (छोटी मस्जिद) लंगरखाना हुसैनाबाद में क़ुरानी कक्षाओ का आयोजन किया गया।
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तस्वीरे / कुरआनी कक्षाओ के समापन पर मस्जिद इमाम हसन मुज़्तबा अ०स० (छोटी मस्जिद) लंगरखाना हुसैनाबाद में पुरूस्कार वितरण समारोह
हौज़ा / क़ुरान करीम की शिक्षा को ध्यान मे रखते हुए रमज़ान 1444 को मस्जिद इमाम हसन मुज़्तबा अ०स० (छोटी मस्जिद) लंगरखाना हुसैनाबाद में क़ुरानी कक्षाओ का आयोजन किया गया।
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सिर्फ जनसंख्या बढ़ने से कोई समाज फकीर और गरीब नहीं हुआ: आयतुल्लाहिल उज़्मा सुबहानी
हौज़ा / इतिहास गवाह है कि आज तक कोई भी समाज केवल जनसंख्या वृद्धि के कारण गरीब और दरिद्र नहीं हुआ, बल्कि समाज की गरीबी और फक़ीरी के और दूसरे कारण हैं।
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रौज़ा ए फ़ातेमीन लखनऊ मे महफिले मसर्रत और दस्तरख़ाने इमाम हसन (अ)
हौज़ा / इदारा ए खुद्दामे जाएरीन आइम्मा ए बक़ी के अंतर्गत एक भव्य सभा का आयोजन किया गया जिसे मौलाना अली हाशिम आबिदी ने संबोधित किया।
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हजरत अब्बास की दरगाह इलाहाबाद में मनाई गई यादे मादरे अब्बास
हौज़ा / मौलाना सैयद अली हाशिम आबिदी ने मजलिस-ए-अजा को संबोधित करते हुए कहा कि यह मजलिस उस महान की याद में है जिसने ब्रह्मांड को अब्बास जैसा बेटा दिया। बल्कि उनके चारों बेटे इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम की वफ़ादारी करते हुए करबला में शहीद हुए मानो उन्होंने उनकी वफ़ादारी को चार चाँद लगा दिया हो।
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रिज़्के इलाही का सम्मान ही नर्क से मुक्ति का कारण है: मौलाना सैयद अली हाशिम आबिदी
हौज़ा / भोजन का सम्मान करें खासकर जब हुसैन (अ.स.) के नाम से उल्लेख किया जाता है तो सम्मान बढ़ता है।
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उस्वा ए खिताबत मीसम ए तम्मार (अ.स.)
हौज़ा / हज़रत मीसम ए तम्मार (अ.स.) ने खजूर के व्यापार को अपनी आजीविका घोषित किया, अल्लाह को अपना लक्ष्य माना और दूसरों के मार्गदर्शन से पहले खुद को इस तरह से निर्देशित किया कि हादी ए बरहक इमाम (अ.स.) ने उन्हें अपने साथियों के बीच एक विशेष स्थान से सम्मानित किया।
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इमामत और खिलाफत इलाही मंसब है: मौलाना मुमताज़ अली
हौज़ा / मौलाना सैयद मुमताज जफर नकवी, जामिया इमामिया के प्रधानाध्यापक ने इमाम अली रजा (अ.) की विद्वतापूर्ण जीवनी सुनाते हुए जामिया इमामिया के छात्रों की व्यापक सेवाओं पर प्रकाश डाला।
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सेमिनारः
इमाम खुमैनी के महान विचार और उपलब्धियां
हौज़ा / इमाम खुमैनी के बरसी के अवसर पर बानी ए तंज़ीम अल मकातिब हॉल में "इमाम खुमैनी के महान विचार और उपलब्धियां" नामक एक संगोष्ठी आयोजित की गई।
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जोगीपुरा / नजीबाबाद। दरगाह आलिया नजफ ए हिंद में सालाना मजलिसे
बस हमारे इमाम हम से राज़ी रहैंः मौलाना सैयद अली हाशिम आबिदी
हौज़ा / विलयःत का अर्थ है हमारी बात, कर्म और यहां तक कि विचार भी मौला के आज्ञाकारी होने चाहिए। न अपनी कोई इच्छा रहे और न अपनी कोई तमन्ना हो, जो मौला का आदेश हो उस आज्ञा का पालन करो। किसी की तारीफ से खुश न हों और किसी की बदनामी से परेशान न हों। देखना यह है कि मौला राजी होता है या नहीं।
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यह दर्द दर्रनाक है
हौज़ा / मख़लूक़ चाहे इंसान हो या जानवर, इंसान मुसलमान हो या ग़ैर मुसलिम अगर ज़रूरतमंद है तो इस्लाम ने उसकी मदद का हुक्म दिया है! किसी से बदगुमानी और किसी की तौहीन किसी भी हाल में सही नहीं है! लेकिन कभी कभी ख़ामोश रहना भी मुनासिब नहीं है!
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हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स.अ.) का दुश्मन जहन्नमी है, मौलाना सैयद अली हाशिम आबिदी
हौज़ा / हज़रत फातिमा ज़हरा (सलामुल्लाहे अलैहा ) ने अपनी बुद्धिमानी से दुश्मनों को पुनरुत्थान के दिन तक उजागर किया।
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हज़रत फातिमा ज़हरा (स.अ.) की अवज्ञा ईश्वर की अवज्ञा है, मौलाना सैयद अली हाशिम आबिदी
हौज़ा / पहला सवाल यह है कि जब हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स.अ.) ने अमीर अल-मुमिनिन (अ.स.) की खिलाफ़त और फ़दक़ की माँग की, तो क्यों नहीं दिया?
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हज़रत ज़ैनब (स.अ.) मानवता के लिए एक आदर्श, मौलाना सैयद अली हाशिम आबिदी
हौज़ा / जिस तरह मक्का के अशांत वातावरण में पवित्र पैगंबर (स.अ.व.व.) की साथी खदीजा थी, उसी तरह कर्बला की घटना में इमाम हुसैन (अ.स.) और इमाम सज्जाद (अ.स.) की साथी, रहस्यपाठी और उद्देश्य की रक्षक एंवम प्रचारिका हज़रत ज़ैनब (स.अ.) थी।