हौज़ा / नक़्द का असली उद्देश्य सुधार और बेहतरी का होना चाहिए। अगर हम अपने चरित्र, कार्य या किसी और की कोशिशों पर आलोचना करते हैं, तो हमें यह सोचना चाहिए कि क्या हमारी आलोचना निर्माणात्मक है या…
हौज़ा/ जनाब-ए-फ़ातमा ज़हरा (स.) ने अपनी वसीयत में इमाम अली (अ.) से फ़रमाया कि मुझे रात में दफ़न करना ताकि ज़ालिमों को मेरी तद्फीन में हिस्सा न मिले। आपकी क़ब्र आज भी दुनिया से छुपी हुई है, जो…