۴ آذر ۱۴۰۳ |۲۲ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 24, 2024
मजमा ए उलेमा और वाएज़ीन पूर्वांचल

हौज़ा / पूर्वांचल के विद्वानों और वाएज़ीन आयतुल्लाहिल उज़्मा लुत्फुल्लाह साफी गुलपायगानी के दुखद निधन को देश और धर्म के लिए एक बड़ी क्षति करार दिया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसा, मुबारकपुर, आजमगढ़ (उत्तर प्रदेश), बड़े ही खेद के साथ यह खबरे वहशत सोशल मीडिया के माध्यम से प्राप्त हुई कि बुजुर्ग मरजा ए तक़लीद हजरत आयतुल्लाहिल उज़्मा लुत्फुल्लाह साफी गुलपायगानी ने दुनिया को अलविदा कह दिया। इन्ना लिल्लाहे वा इन्ना इलैहे राजेऊन

हुज्जतुल इस्लाम मौलाना शेख इब्ने हसन अमलवी वाइज़ ने उलेमा और वाएज़ीन पूर्वांचल के संघ के सभी सदस्यों द्वारा समाचार पत्र को जारी एक संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में कहा कि आयतुल्लाह शेख लुत्फुल्लाह साफी ईरान के शेखुल फ़ुक़्हा के रूप में अच्छी तरह से जाना जाते थे। आयतुल्लाहिल उज़्मा मोहम्मद रज़ा गुलपायगनी ताबा सरा के दामाद थे। उनकी ओर से आगा ए महदी गुलपायगानी ताबा सरा के नेतृत्व मे भारत आए थे। उस समय मुदरसा ए सुलतानुल मदारिस मे मरहूम से मुलाक़ात और मुसाफेहा का शरफ हासिल हुआ था।

आह आयतुल्लाह गुलपायगानी इस दुनिया से रेहलत कर गए

लंबी बीमारी के बाद दिल की धड़कन बंद होने से शिया समुदाय के एक मरजा ए तक़लीद शख्सियत इस दुनिया से चली गईं।
मरहूम आयतुल्लाह बुरूजर्दी (र.अ.), आयतुल्लाह खानसारी (र.अ.) के विशेष शिष्यों में से एक थे और नजफ अशरफ में कुछ दिनों में उन्हें आयतुल्लाह मुहम्मद काज़िम शिराज़ी और आयतुल्लाह मुहम्मद अली काज़मी (र.अ.) से भी लाभ हुआ था।
आयतुल्लाह साफ़ी लंबे समय से क़ुम के मदरसा में अध्यापन, शोध, लेखन और रचना कर रहे हैं। हदीस, इतिहास, तफ़सीर फ़िक़्ह और...
राजनीतिक रूप से, इमाम खुमैनी (र.अ.) के आदेश से, वह ईरानी विशेषज्ञों की परिषद और अभिभावक परिषद के एक विशेष सदस्य और सचिव रहे हैं।
उन्होंने अस्सी से अधिक पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें से कुछ ने चयनित वर्ष और महादवित पुरस्कार जीता है।
मुंतखबुल असर , ओक़ातुस्सलात , बयानुल उसूल वा सलास रसाइल अल-फ़िक़हिया, आदि आपकी महत्वपूर्ण विद्वतापूर्ण रचनाएँ हैं।
उनका जन्म 30 बहमन 1297 शम्सी को गुलपाईगन इस्फहान में हुआ था और आज 12 बहमन 1400 शम्सी को 103 वर्ष की आयु मे निधन हो गया।

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