हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व. ने रमज़ानुल मुबारक के तीसवें दिन की दुआ यह बयान फ़रमाई हैं:
أللّهُمَّ اجْعَلْ صِيامي فيہ بالشُّكرِ وَالقَبولِ عَلى ما تَرضاهُ وَيَرضاهُ الرَّسولُ مُحكَمَةً فُرُوعُهُ بِالأُصُولِ بِحَقِّ سَيِّدِنا مُحَمَّدٍ وَآلہ الطّاہرينَ وَالحَمدُ للہ رَبِّ العالمينَ.
अल्लाह हुम्मज अल सियामी फ़ीहि बिश्शुक्र, वल क़बूलि अला मा तरज़ाहु व यरज़ाहुर रसूलु मुहकमतन फ़ुरूउहु बिल उसूल, बे हक़्क़े सय्यिदिना मुहम्मदिन व आलेहित ताहिरीन, वल हम्दुलिल्लाहि रब्बिल आलमीन (अल बलदुल अमीन, पेज 220, इब्राहिम बिन अली)
ख़ुदाया! इस महीने में मेरे रोज़ों को शुक्र और क़ुबूल से इस तरह मिला दे जैसे तू और तेरा रसूल (स) पसंद करते हैं कि इसके फ़ुरूए उसूल व अक़ाएद के ज़रिए मुहकम हमारे आक़ा हज़रत मुहम्मद (स) और उन की आल ताहेरीन के हक़ के वसीले से, और सारी हम्द उस अल्लाह के लिए है जो सारे आलमीन का रब है...
अल्लाह हुम्मा स्वल्ले अला मुहम्मद व आले मुहम्मद व अज्जील फ़रजहुम.