हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इस्लामी क्रांति के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाहिल उज़मा सैय्यद अली ख़ामेनेई ने कहां,
रमज़ान के महीने को इबादतों, रोज़ेदारी, दुआ, मुनाजात, इलतेजा और विनती की हालत में गुज़ारना और फिर ईदुल फ़ित्र के वातावरण में क़दम रखना एक मोमिन इंसान के लिए वास्तविक ईद है।
यह ईद दुनिया के भौतिक उत्सवों जैसी नहीं है। यह अल्लाह तआला की रहमत व बख़शिश की ईद है।
हमें कोशिश करना चाहिए कि रमजानुल मुबारक में जो इबादत हमने की है उसको अमानत की तरह बचा कर रखें ऐसा काम ना करें जिसकी वजह से हमारे आमाल बर्बाद हो जाए
इमाम ख़ामेनेई,