हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,इस्लामी इंक़ेलाब के संस्थापक इमाम ख़ुमैनी र.ह. ने फरमाया,अगर हमारे मतभेद और वो भी ऐसे मतभेद जिनके बारे में मुझे कोई शक नहीं है कि वो ख़ुदा के लिए नहीं बल्कि दुनिया की वजह से हैं, लोगों के बीच फूट पड़ने का कारण बने और इस बात का कारण बने कि इस्लामी गणराज्य हार जाए और वह सदियों तक सिर न उठा सके तो क्या ये ऐसा अपराध है जिसके लिए ख़ुदा हमें माफ़ कर देगा?
हमें इस पर ग़ौर करना चाहिए ...जो लोग इस्लामी गणराज्य पर एतेराज़ करते हैं, उन्हें बैठ कर पूरी सच्चाई से इस बात पर ग़ौर करना चाहिए कि आज ईरान में इस्लाम ज़्यादा उभर कर सामने आया है या सरकश शाही शासन के ज़माने में?
सरकश शाही शासन के ज़माने में इस्लाम के प्रतीक ज़्यादा थे या आज ज़्यादा हैं? अगर कोई एतेराज़ करे और कहे कि इस्लामी गणराज्य की बुनियाद ऐसी है, वैसी है तो समझ लीजिए कि उस व्यक्ति की जड़ एक शैतानी जड़ है जो इंसान के दिल में घर कर चुकी है।