۲ آذر ۱۴۰۳ |۲۰ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 22, 2024
कैलेंडर

हौज़ा / इस्लामी कैलेंडरः 19 सफ़र उल-मुज़फ़्फ़र 1444 - 16 सितंबर 2022

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

आज:शुक्रवार, सफ़र उल-मुज़फ़्फ़र 1444 की 19 और सितंबर 2022 की 16 तारीख है।

इत्रे कुरन:

لَاهِيَةً قُلُوبُهُمْ ۗ وَأَسَرُّوا النَّجْوَى الَّذِينَ ظَلَمُوا هَلْ هَٰذَا إِلَّا بَشَرٌ مِّثْلُكُمْ ۖ أَفَتَأْتُونَ السِّحْرَ وَأَنتُمْ تُبْصِرُونَ ﴿سورة الأنبياء آیت ۳﴾

उनके दिल बिल्कुल गाफिल है और यह ज़ालिम चुपके चुपके साज़िश करते हैं यह सब रसूल उसके सेवा क्या है ?तुम्हारी ही तरह का यह एक आदमी है क्या तुम आंखों से देखते हुए और सूझबूझ रखते हुए जादूगार की बात सुनते जाओगे

घटित घटनाए:

शहादते हज़रत रुक़य्या (स) हज़रत इमाम हुसैन (अ) की तीन वर्षीय पुत्रि  (61 हिजरी)

आज का दिन विशिष्ठ (मख़सूस) है:
हज़रत इमामे ज़मान (अ.त.फ.श.)

आज के अज़कार:
- अल्लाहुम्मा सल्ले अला मोहम्मदिव वा आले मोहम्मद वा अज्जिल फ़राजाहुम (100 बार)
- या ज़ल जलाले वल इकराम (1000 बार)
- या नूरे (256 बार) 

☀शुक्रवार के दिन की दुआः

بِسْمِ اللّهِ الرَحْمنِ الرَحیمْ؛  बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम अल्लाह के नाम से ( शुरू करता हूं) जो बड़ा दयालू और रहम वाला है।

اَلْحَمْدُ لِلّٰہِِ الاََوَّلِ قَبْلَ الْاِنْشائِ وَالْاِحْیائِ، وَالاَْخِرِ بَعْدَ فَنَائِ الْاَشْیائِ، الْعَلِیمِ الَّذِی  अल्हमदो लिल्लाहिल अव्वले क़ब्लल इंशाए वल एहयाए, वल आख़ेरे बादा फ़नाइल अशयाए, अल-अलीमिल लज़ी  प्रशंसा उस अल्लाह के लिए है जो हस्ती और जिंदगी मे सबसे पहले और चीज़ो के फ़ना के बाद सबसे आख़िर मे मौजूद होगा, वह ऐसा ज्ञान वाला है

لاَ یَنْسیٰ مَنْ ذَکَرَہُ، وَلاَ یَنْقُصُ مَنْ شَکَرَہُ، وَلاَ یَخِیبُ مَنْ دَعَاہُ، وَلاَ یَقْطَعُ رَجَائَ  ला यनसा मन ज़कारहू, वला यनक़ुस मन शकारहू, वला यख़ीबो मन दआहो, वला यक़्तओ रजाअई  जो उसको याद करे उसे भूलता नही जो उसका शुक्र करे उसे कमी नही आने देता पुकारने वाले को मासूय नही करता और जो उम्मीद रखे उसकी उम्मीद 

مَنْ رَجَاہُ ۔ اَللّٰھُمَّ إنِّی ٲُشْھِدُکَ وَکَفی بِکَ شَھِیداً، وَٲُشْھِدُ جَمِیعَ مَلائِکَتِکَ وَسُکَّانَ  मन रजाहो - अल्लाहुम्मा इन्नी उश्हेदोका वकफा बेका शहीदन, वा उश्हेदो जमीआ मलाएकतेका वा सुक्काना  मुन्कता नही करता। मै तुझे साक्षी बनाता हूं और तेरा साक्षी  होना काफी है और मै तेरे तमाम फरिश्तो, आसमानो

سَمٰواتِکَ وَحَمَلَۃِ عَرْشِکَ، وَمَنْ بَعَثْتَ مِنْ أَنْبِیَائِکَ وَرُسُلِکَ، وَأَ نْشَٲْتَ مِنْ समावातेका वा हमालते अर्शेका, वा मन बअस्ता मिन अंबियाएका वा रोसोलेक, वा अंशाता मिन    के रहने वालो हामेलीने अर्श और तेरे उन पैगंबरो को और रसूलो को जिन्हे तूने भेजा और हर प्रकार के प्राणी जिन्हे तूने पैदा   

أَصْنَافِ خَلْقِکَ، أَنِّی أَشْھَدُ أَ نَّکَ أَ نْتَ اللّهُ لاَ إلہَ إلاَّ أَ نْتَ، وَحْدَکَ لاَ شَرِیکَ لَکَ   असनाफ़े ख़लक़िक़, अन्नी अश्हदो अन्नका अन्तल्लाहो ला इलाहा इल्ला अन्ता, वाहदका ला शरीका लका  किसी को भी साक्षी बनाकर गवाही देता हूं कि निसंदेह तू खुदा है तेरे सिवा कोई पूजनीय नही है तू अकेला है तेरा कोई भागीदार नही है  

وَلاَعَدِیلَ، وَلاَ خُلْفَ لِقَوْلِکَ وَلاَ تَبْدِیلَ، وَأَنَّ مُحَمَّداً صَلَّی اللّهُ عَلَیْہِ وَآلِہِ عَبْدُکَ   वला अदीला, वला ख़ुल्फा लेकौलेका वला तब्दीला, वअन्ना मोहम्मदन सल लल्लाहो अलैहे वाआलेहि अब्दोका    और ना बराबर का है तेरे कौल मे मतभेद और परिवर्तन नही है और गवाही देता हूं कि मुहम्मद तेरे अब्दे ख़ालिस 

وَرَسُولُکَ، أَدَّی مَا حَمَّلْتَہُ إلَی الْعِبَادِ، وَجَاھَدَ فِی اللّهِ عَزَّ وَجَلَّ حَقَّ الْجِھَادِ وَأَنَّہُ   वा रसूलोका, अद्दा मा हम्मलतहू इलल एबादे, वा जाहदा फिल्लाहे अज्जा वा जल्ला हक्कल जेहादे वा अन्नहू      और तेरे रसूल है उन्होने तेरे अहकाम तेरे बंदो तक पहुचाए और तेरी उलूहियत के लिए जेहाद किया जिस प्रकार जेहाद करने का 

بَشَّرَ بِمَا ھُوَ حَقٌّ مِنَ الثَّوَابِ، وَأَ نْذَرَ بِمَا ھُوَ صِدْقٌ مِنَ الْعِقَابِ ۔ اَللّٰھُمَّ ثَبِّتْنِی عَلیٰ    बश्शरा बेमा होवा हक्को मिनस सवाबे, वा अंज़रा बेमा होवा सिदको मिनल एक़ाबे, अल्लाहुम्मा सब्बितनी अला    हक़ है उन्होने तेरे सवाब की बशारत दी जो हक है और तेर उस अज़ाब से डराया जो बजा है। हे पालनहार जब कि मुझे

دِینِکَ مَا أَحْیَیْتَنِی، وَلاَ تُزِغْ قَلْبِی بَعْدَ إذْ ھَدَیْتَنِی، وَھَبْ لِی مِنْ لَدُنْک رَحْمَۃً إنَّکَ  दीनेका मा आहययतनी, वला तोज़िग़ क़ल्बी बादा इज़ हदैयतनी, वहब ली मिन लदुन्का रहमतन इन्नका   जीवित रखे मुझे अपने धर्म पर बाकी रखना और मेरा मार्गदर्शन करने के पश्चात मेरे दिल को तेहड़ा ना करना और मुझे अपनी ओर से रहमत प्रदान कर निसंदेह 

أَنْتَ الْوَھَّابُ۔ صَلِّ عَلَی مُحَمَّدٍ وَعَلَی آلِ مُحَمَّدٍ، وَاجْعَلْنِی مِنْ أَتْباعِہِ وَشِیعَتِہِ   अन्तल वहाबो, सल्ले अला मुहम्मदिन वा अला आले मुहम्मदिन, वज्अलनी मिन अत्बाएही वा शीअतेहि    तू बड़ा प्रदान करने वाला है मुहम्मद और उनके परिवार वालो पर रहमत नाज़िल फ़रमा और मुझे उनके अनुसरणकर्ताओ और शियो मे क़रार दे 

وَاحْشُرْ نِی فِی زُمْرَتِہِ وَوَفِّقْنِی لاََِدَائِ فَرْضِ الْجُمُعَاتِ، وَمَا أَوْجَبْتَ عَلَیَّ فِیھا مِنَ  वाहशुरनि फ़ी ज़ुमरतेहि वा वफ़्फ़क़नी लेअदाए फ़रज़िल जुमुआते, वमा ओजबता अलय्या फ़ीहा मिन    और उन्ही के समूह के साथ महशूर फ़रमा मुझे जुमे की नमाजो और जो कुछ तूने इस दिन मे मुझ पर वाजिब क़रार दिया है अदा करने की 

الطَّاعَاتِ، وَقَسَمْتَ لاََِھْلِھَا مِنَ الْعَطَائِ فِی یَوْمِ الْجَزَائِ، إنَّکَ أَ نْتَ الْعَزِیزُ الْحَکِیمُ۔ अत्ताआते, वाक़स्समता लेआहलेहा मिनल अताए फ़ी यौमिल जज़ाए, इन्नका अंतल अज़ीज़ उल-हकीम।  तौफ़ीक़ दे और रोज़े क़यामत जब अहले इताअत पर तेरी इनायत हो तो मुझे भी हिस्सा दे कि तू साहिबे इख़्तियार और हिकमत वाला है। 

☀ इमाम ए ज़माना (अ.त.फ़. श.) की ज़ियारत

اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا حُجَّۃَ اللّهِ فِی ٲَرْضِہِ اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا عَیْنَ اللّهِ فِی خَلْقِہِ اَلسَّلاَمُ

عَلَیْکَ یَا نُورَ اللّهِ الَّذِی یَھْتَدِی بِہِ الْمُھْتَدُونَ وَیُفَرَّجُ بِہِ عَنِ الْمُؤْمِنِینَ اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ

ٲَیُّھَا الْمُھَذَّبُ الْخائِفُ اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ ٲَیُّھَا الْوَلِیُّ النَّاصِحُ اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا سَفِینَۃَ

النَّجاۃِ، اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا عَیْنَ الْحَیَاۃِ، اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ، صَلَّی اللّهُ عَلَیْکَ وَعَلَی آلِ

بَیْتِکَ الطَّیِّبِینَ الطَّاھِرِینَ اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ عَجَّلَ اللّهُ لَکَ مَا وَعَدَکَ مِنَ النَّصْرِ وَظُھُورِ

الْاَمْرِ اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا مَوْلایَ ٲَنَا مَوْلاکَ عَارِفٌ بِٲُولاَکَ وَٲُخْرَاکَ ٲَتَقَرَّبُ إلَی اللّهِ

تَعَالَی بِکَ وَبِآلِ بَیْتِکَ وَٲَنْتَظِرُ ظُھُورَکَ وَظُھُورَ الْحَقِّ عَلَی یَدَیْکَ وَٲَسْٲَلُ اللّهَ ٲَنْ

یُصَلِّیَ عَلَی مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ وَٲَنْ یَجْعَلَنِی مِنَ الْمُنْتَظِرِینَ لَکَ وَالتَّابِعِینَ وَالنَّاصِرِینَ

لَکَ عَلَی ٲَعْدائِکَ وَالْمُسْتَشْھَدِینَ بَیْنَ یَدَیْکَ فِی جُمْلَۃِ ٲَوْلِیَائِکَ یَا مَوْلایَ یَا صَاحِبَ

الزَّمَانِ، صَلَواتُ اللّهِ عَلَیْکَ وَعَلَی آلِ بَیْتِکَ، ہذَا یَوْمُ الْجُمُعَۃِ وَھُوَ یَوْمُکَ الْمُتَوَقَّعُ

فِیہِ ظُھُورُکَ، وَالْفَرَجُ فِیہِ لِلْمُؤْمِنِینَ عَلَی یَدَیْکَ، وَقَتْلُ الْکافِرِینَ بِسَیْفِکَ، وَٲَ نَا یَا

مَوْلایَ، فِیہِ ضَیْفُکَ وَجَارُکَ، وَٲَ نْتَ یَا مَوْلایَ کَرِیمٌ مِنْ ٲَوْلادِ الْکِرَامِ، وَمَٲْمُورٌ

بِالضِّیافَۃِ وَالْاِجَارَۃِ فَٲَضِفْنِی وَٲَجِرْنِی صَلَوَاتُ اللّهِ عَلَیْکَ وَعَلَی ٲَھْلِ بَیْتِکَ الطَّاھِرِینَ

"نزیلک حیث ماا تحھت رکابی وضیفک حیث کنت من البلاد"

الـّلـهـم صـَل ِّعـَلـَی مـُحـَمـَّدٍ وَآلِ مـُحـَمـَّدٍ وَعـَجــِّل ْ فــَرَجـَهـُم

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