۱۱ تیر ۱۴۰۳ |۲۴ ذیحجهٔ ۱۴۴۵ | Jul 1, 2024
इस्लामी कैलेंडर

हौज़ा / इस्लामी कैलेंडर:  1 सफ़र उल-मुज़फ़्फ़र 1444 - 29 अगस्त 2022

हौज़ा समाचार एजेंसी

आज:
सोमवार: सफ़र उल-मुज़फ़्फ़र 1444 की 1 और अगस्त 2022 की 29 तारीख है।

इत्रे कुरान:

فَوَسْوَسَ إِلَيْهِ الشَّيْطَانُ قَالَ يَا آدَمُ هَلْ أَدُلُّكَ عَلَىٰ شَجَرَةِ الْخُلْدِ وَمُلْكٍ لَّا يَبْلَىٰ‎﴿سورة طه آیت ۱۲۰﴾

फ़िर शैतान ने उनके दिल में वसवसा डाला (और) कहा, हे आदम! क्या मैं तुम्हें वह सनातन वृक्ष और खत्म ना होने वाला राज्य बताऊं?
घटनाएँ:
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आज का दिन मख़सूस है:
1- सिब्तुन नबी हज़रत इमाम हसन मुज्तबा (अ.स.) से।
2- सय्यद उश शोहदा और सफीना तुन निजात हज़रत इमाम हुसैन (अ.स.) से।

आज के अज़कार:
- या ज़लजलाले वल इकराम 100 बार
- इय्याका नाअबोदो वा इय्याका नस्तअईन 1000 बार
- या फत्ताहो 489 बार

इमाम हसन अस्करी (अ.स.) का फ़रमान:

सोमवार के दिन दस रकअत नमाज दो दो रकअत करके हर रकअत मे सूरा ए हम्द के बाद 10 बार तौहीद पढ़े तो अल्लाह तआला क़यामत के दिन उसके लिए एक नूर तैनान करेगा जो उसके खड़े होने के स्थान को रोशन करेगा। (मफातीह उल-जिनान)

☀ सोमवार के दिन की दुआः

بِسْمِ اللّهِ الرَحْمنِ الرَحیمْ؛  बिस्मिल्लाहिर्रहमानिर्राहीम   अल्लाह के नाम से ( शुरू करता हूं) जो बड़ा दयालू और रहम वाला है।

الْحَمْدُ لِلّٰہِِ الَّذِی لَمْ یُشْهِدْ أَحَداً حِینَ فَطَرَ السَّمٰوَاتِ وَالاََرْضَ، وَلاَ اتَّخَذَ مُعِیناً  अल्हमदो लिल्लाहिल लज़ी लम युश्हिद आहदन हीना फ़तरस्समावाते वल अर्ज़ा, वलत्तख़ाज़ा मोईनन    प्रशंसा उस ईश्वर के लिए है जिसने आकाशो और धरती को पैदा करते समय किसी को अपने साथ नही मिलाया और जानदारो को पैदा 

حِینَ بَرَأَ النَّسَمَات، لَمْ یُشَارَکْ فِی الْاِلهِیَّۃِ، وَلَمْ یُظاهِرْ فِی الْوَحْدَانِیَّۃِ، کَلَّتِ  हीना बराअन्नसामाते, लम युशारक फ़िल इलहिय्यते, वलम युज़ाहिरा फ़िल वहदानीयते, कल्लते   करने मे किसी से सहायता नही ली उसके पूज्नीय होने मे कोई भागीदार नही और ना कोई उसकी एकताई मे कोई सहायक है। ज़बाने इस

الاََلْسُنُ عَنْ غَایَۃِ صِفَتِہِ، وَالْعُقُولُ عَنْ کُنْہِ مَعْرِفَتِہِ، وَتَوَاضَعَتِ الْجَبابِرَۃُ لِهَیْبَتِہِ  अलसोनो अन ग़ायते सेफ़तेही, वल उक़ूलो अन कुन्हे मारेफ़तेही, वा तवाअज़तिल जबाबेरतो लेहैबतेही     की प्रशंसा नही कर सकता और वह बुद्धिया उसको नही समझ सकती और बड़े बड़े अवज्ञाई उसकी हैबत से सरनगू  

وَعَنَتِ الْوُجُوہُ لِخَشْیَتِہِ، وَانْقَادَ کُلُّ عَظِیمٍ لِعَظَمَتِہِ، فَلَکَ الْحَمْدُ مُتَواتِراً مُتَّسِقاً   वअनातिल वजूहो लेख़श्यतेहि, वनक़ादा कुल्लो अज़ीमिन लेअज़्मतेह, फ़लकल हम्दो मुतावातेरन मुत्तेसेक़न   और चेहरे उसके भय से झुके हुए है और उसकी अज़्मत के सामने हर अज़ीम आज्ञाकारी है बस निरंतर तेरे लिए प्रशंसा है और सिलसिलेवार

وَمُتَوالِیاً مُسْتَوْسِقاً وَصَلَوَاتُہُ عَلَی رَسُو لِہِ أَبَداً، وَسَلامُہُ دَائِماً سَرْمَداً، اَللّٰهُمَّ اجْعَلْ  वा मुतावालियन मुस्तौसेक़न वा सलावातोहू अला रसूलेहि अब्दा, व सलामोहू दाएमन सरमदन, अल्लाहुम्मा इजअल    और बार-बार इस्तवार उसके रसूल पर हमेशी दया और सरमदी सलाम हो हे ईश्वर मेरे लिए आज के

أَوَّلَ یَوْمِی هذَا صَلاحاً، وَأَوْسَطَہُ فَلاحاً، وَآخِرَہُ نَجَاحاً، وَأَعُوذُ بِکَ مِنْ یَوْمٍ  अव्वला यौमी हाज़ा सलाहन, वा औसताहू फ़लाहन, वा आख़ेरहू नजाहन, वा आऊज़ो बेका मिन यौमिन    दिन के पहले हिस्से को भलाई, बीच के हिस्से को लाभ, और अंतिम हिस्से को कामयाबी का हामिल बना दे। और उस दिन से तेरी शरण लेता हूं

أَوَّلُہُ فَزَعٌ، وَأَوْسَطُہُ جَزَعٌ، وَآخِرُہُ وَجَعٌ۔ اَللّٰهُمَّ إنِّی أَسْتَغْفِرُکَ لِکُلِّ نَذْرٍ نَذَرْتُہُ، وَکُلِّ   अव्वलोहू फ़ज़ाओ, वा ओसताहूं जज़ाओ, वा आख़ेरहू वजाओ। अल्लाहुम्मा इन्नी अस्तग़फ़ेरोका लेकुल्ले नज़रिन नज़रतोहू, वा कुल्ले    जिसका पहाल फ़रयाद, बीच बेताबी, और  अंत पीड़ा दायक हो।  हे ईश्वर वह मन्नते जो मैने की वो तामा वचन जो मैने किए 

وَعْدٍ وَعَدْتُہُ، وَکُلِّ عَهْدِ عَاهَدْتُہُ ثُمَّ لَمْ أَفِ بِہِ، وَأَسْأَلُکَ فِی مَظَالِمِ  वादिन वादातोहू, वा कुल्ले आहदिन आहदतोहू सुम्मा लम अफिन बेह, वा असअलोका फ़ी मज़ालिमे      और वो ज़िम्मेदारीया जिन्हे मैने स्वीकार किया और उन्हे पूरा नही कर सका. उनपर ध्यानपूर्वक क्षमा प्रार्थी हूं और तुझ से सवाल

عِبَادِکَ عِنْدِی، فَأَ یُّما عَبْدٍ مِنْ عَبِیدِکَ أَوْ أَمَۃٍ مِنْ إمَائِکَ، کَانَتْ لَہُ قِبَلِی مَظْلِمَۃٌ   एबादेका इंदी, फ़अय्योमा अबदिन मिन अबीदेका ओ अमातिन मिन इमातेका, कानत लहू क़ेबाली मज़लेमतन    करता हूं कि तेरे बंदो के जो अधिकार मुझ पर रह गए कि तेरे बंदो मे से किसी बंदे या तेरी दासीयो मे से किसी दासी से मै

ظَلَمْتُهَا إیَّاہُ، فِی نَفْسِہِ، أَوْ فِی عِرْضِہِ، أَوْ فِی مَالِہِ، أَوْ فِی أَهْلِہِ وَوَلَدِہِ، أَوْ غَیبَۃٌ    ज़लमतोहा इय्याहो, फ़ी नफ़सेही, ओ फ़ी इरज़ेही, ओ फ़ी मालेही, ओ फ़ी आहलेही वा वलेदेही, ओ ग़ैबतुन    ने अन्याय और ज़्यादती की हो। चाहे वह उसकी जान उसकी इ्ज्जत उसके माल या उसकी आल ओ ओलाद के बारे मे है या मै 

اغْتَبْتُہُ بِهَا أَوْ تَحَامُلٌ عَلَیْہِ بِمَیْلٍ أَوْ هَوَیً أَوْ أَنَفَۃٍ أَوْ حَمِیَّۃٍ أَوْ رِیَائٍ أَوْ عَصَبِیَّۃٍ غَائِباً    इग़्तबतोहू बेहा ओ तहामोलो अलैहे बेमैलिन ओ हवा ओ अनफ़तिन ओ हमीय्यतिन ओ रेआइन ओ असाबतिन ग़ाएबन    ने उसकी ग़ीबत की या अपनी इच्छा के तहत उन पर दबाव डाला या खुदपसंदी या बेज़ारी या खुद नुमाई या ताअस्सुब का बरताव किया  वो 

کَانَ أَوْ شَاهِداً وَحَیّاً کَانَ أَوْ مَیِّتاً فَقَصُرَتْ یَدِی وَضَاقَ وُسْعِی عَنْ رَدِّهَا إلَیْہِ  काना ओ शाहेदन वा हय्यन काना ओ मय्यतन फ़क़स्रत यदि वा ज़ाक़ा वुस्ई अन रद्देहा इलैह     ग़ायब है या हाज़िर है। जिंदा है या मुर्दा है तो अब उसका हक़ देना या माफ कराना मेरी क्षमता से परे है 

وَالتَّحَلُّلِ مِنْہُ فَأَسْأَلُکَ یَا مَنْ یَمْلِکُ الْحَاجَاتِ وَهِیَ مُسْتَجِیبَۃٌ لِمَشِیَّتِہِ وَمُسْرِعَۃٌ  वत्तहल्लोले मिन्हो फ़अस्अलोका या मन यमलेक उल हाजाते वा हेया मुस्तजीबते लेमशीयतेहि वा मुसरेअतुन   हे हाजतो के मालिक वो हाजात तेरी मश्यत मे स्वीकार है और शीघ्र तेरे इरादे मे आने वाली है

إلَی إرادَتِہِ أَنْ تُصَلِّیَ عَلَی مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ وَأَنْ تُرْضِیَہُ عَنِّی بِمَا شِئْتَ  एला इरादतेहि अन तोसल्लिया अला मुहम्मदिन वा अन तुरज़ीहो अन्नी बेमा शेअता   मै तुझ से सवाल करता हूं कि मुहम्मद और उनके परिवार पर रहमत फ़रमा और उन लोगो को जैसे तू चाहे मुझ से राज़ी कर और मुझ

وَتَهَبَ لِی مِنْ عِنْدِکَ رَحْمَۃً إنَّہُ لاَ تَنْقُصُکَ الْمَغْفِرَۃُ وَلاَ تَضُرُّکَ الْمَوْهِبَۃُ یَا أَرْحَمَ  वा तहबा ली मिन इन्देका रहमतन ला तन्क़ुस्का अल मग़फ़ेरतो वला तज़ुर्रोका अल-मोहेबतो या अरहमा      पर मेहरबानी फ़रमा। निसंदेह क्षमा कर देने से तेरी कोई हानि नही और प्रदान करने मे तुझे कोई नुकसान नही होता। हे सर्रवाधिक 

الرَّاحِمِینَ اَللّٰهُمَّ أَوْ لِنِی فِی کُلِّ یَوْمِ اثْنَیْنِ نِعْمَتَیْنِ مِنْکَ ثِنْتَیْن سَعادَۃًفِی أَوَّلِہِ अल राहेमीना अल्लाहुम्मा ओ लेनबी फ़ी कुल्लो यौमिन इस्नैने नेअमतैने मिनका सेनातैन सआदतन फ़ी अव्वलेहि   रहम करने वाले। हे ईश्वर हर सोमवार को मुझे दो नेमतो इकठ्ठी प्रदान कर कि  इस दिन के पहले हिस्से मे मुझे अपनी इताअत की 

بِطَاعَتِکَ، وَنِعْمَۃً فِی آخِرِہِ بِمَغْفِرَتِکَ، یَا مَنْ هُوَ الْاِلٰہُ، وَلاَ یَغْفِرُ الذُّنُوبَ سِوَاہُ۔   बेताअतिक, वा नेअमतन फ़ी आखेरेही बेमगफ़ेरतिका, या मन होवा इल लल्लाह, वला यग़फ़ेरु ज़ज़नूबा सीवाह    सआदत प्रदान कर और उसके दूसरे हिस्से मे मगफेरत की नेमत दे  हे वह ईश्वर जो  पूज्नीय है और उसके सिवा कोई पापो को क्षमा करने वाला नही है। 

☀ हज़रत इमाम हसन व इमाम हुसैन (अ.स.) की ज़ियारतः

सोमवार का दिन इमाम हसन और इमाम हुसैन (अ.स.) का दिन है

اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا ابْنَ رَسُولِ رَبِّ الْعَالَمِینَ اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا ابْنَ ٲَمِیرِ الْمُوَْمِنِینَ

اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا ابْنَ فاطِمَۃَ الزَّهْرَائِ، اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا حَبِیبَ اللّهِ، اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ

یَا صِفْوَۃَ اللّهِ اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا ٲَمِینَ اللّهِ اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا حُجَّۃَ اللّهِ اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ

یَا نُورَ اللّهِ اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا صِرَاطَ اللّهِ، اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا بَیَانَ حُکْمِ اللّهِ اَلسَّلاَمُ

عَلَیْکَ یَا نَاصِرَ دِینِ اللّهِ اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ ٲَ یُّهَا السَّیِّدُ الزَّکِیُّ اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ ٲَ یُّهَا الْبَرُّ

الْوَفِیُّ، اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ ٲَ یُّهَا الْقَائِمُ الْاَمِینُ، اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ ٲَ یُّهَا الْعَالِمُ بِالتَّٲْوِیلِ

اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ ٲَ یُّهَا الْهَادِی الْمَهْدِیُّ، اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ ٲَ یُّهَا الطَّاهِرُ الزَّکِیُّ، اَلسَّلاَمُ

عَلَیْکَ ٲَیُّهَا التَّقِیُّ النَّقِیُّ اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ ٲَیُّهَا الْحَقُّ الْحَقِیقُ اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ ٲَیُّهَا الشَّهِیدُ

الصِّدِّیقُ، اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا ٲَبَا مُحَمَّدٍ الْحَسَنَ بْنَ عَلِیٍّ وَرَحْمَۃُ اللّهِ وَبَرَکاتُہُ۔

☀ हज़रत इमाम हुसैन (अ.स.) की ज़ियारतः

اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا ابْنَ رَسُولِ اللّهِ، اَلسَّلاَمُ عَلَیْکَ یَا ابْنَ ٲَمِیرِ الْمُؤْمِنِینَ، اَلسَّلاَمُ

عَلَیْکَ یَا ابْنَ سَیِّدَۃِ نِسائِ الْعالَمِینَ ۔ ٲَشْهَدُ ٲَ نَّکَ ٲَقَمْتَ الصَّلاَۃَ، وَآتَیْتَ الزَّکَاۃَ،

وَٲَمَرْتَ بِالْمَعْرُوفِ، وَنَهَیْتَ عَنِ الْمُنْکَرِ، وَعَبَدْتَ اللّهَ مُخْلِصاً، وَجَاهَدْتَ فِی اللّهِ

حَقَّ جِہادِهِ حَتَّی ٲَتَاکَ الْیَقِینُ، فَعَلَیْکَ اَلسَّلاَمُ مِنِّی مَا بَقِیتُ وَبَقِیَ اللَّیْلُ وَالنَّهَارُ،

وَعَلَی آلِ بَیْتِکَ الطَّیِّبِینَ الطَّاهِرِینَ۔ ٲَ نَا یَا مَوْلاَیَ مَوْلیً لَکَ وَ لاَِلِبَیْتِکَ، سِلْمٌ

لِمَنْ سَالَمَکُمْ وَحَرْبٌ لِمَنْ حَارَبَکُمْ مُوَْمِنٌ بِسِرِّکُمْ وَجَهْرِکُمْ وَظَاهِرِکُمْ وَبَاطِنِکُمْ

لَعَنَ اللّهُ ٲَعْدائَکُمْ مِنَ الْاَوَّلِینَ وَالاَْخِرِینَ وَٲَنَا ٲَبْرَٲُ إلَی اللّهِ تَعالی مِنْهُمْ یَا مَوْلاَیَ

یَا ٲَبا مُحَمَّدٍ، یَا مَوْلاَیَ یَا ٲَبا عَبْدِاللّهِ، ہذا یَوْمُ الاثْنَیْنِ وَهُوَ یَوْمُکُما وَبِاسْمِکُما

وَٲَ نَا فِیہِ ضَیْفُکُما، فَٲَضِیفانِی وَٲَحْسِنا ضِیَافَتِی، فَنِعْمَ مَنِ اسْتُضِیفَ

بِہِ ٲَ نْتُمَا، وَٲَ نَا فِیہِ مِنْ جِوارِکُما فَٲَجِیرانِی، فَ إنَّکُمَا مَٲمُورانِ

بِالضِّیافَۃِ وَالْاِجارَۃِ، فَصَلَّی اللّهُ عَلَیْکُمَا وَآلِکُمَا الطَّیِّبِینَ ۔

الّلهم صَل ِّعَلَی مُحَمَّدٍ وَآلِ مُحَمَّدٍ وَعَجِّل ْ فَرَجَهُم

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