हौज़ा न्यूज़ एजेंसी
पड़ोसी को परेशान मत करो
قالَ مُحَمَّدٌ النَّبِيُّ صلى الله عليه و آله: لَيسَ مِنَ المُؤمِنينَ مَن لَم يَأمَن جارُہُ بَوائِقَهُ. ومَن كانَ يُؤمِنُ بِاللَّهِ وَاليَومِ الآخِرِ فَلا يُؤذي جارَہُ۔ क़ाला मुहम्मदुन नबीयो सल्लल्लाहो अलैहे वा आलेहीः लैसा मिनल मोमेनीना मन लम यामन जाराहू, वमन यूमेनो बिल्लाहे वल यौमिल आखेरे फला यूज़ी जारहू।
हज़रत फातिमा ज़हरा (स) फ़रमाती हैं:
हज़रत रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया: वह मोमिन नहीं है जिसका पड़ोसी उसकी बुराई से सुरक्षित न हो, और जो अल्लाह और आख़िरत के दिन पर ईमान रखता हो वह अपने पड़ोसी पर अत्याचार नहीं करता।
संक्षिप्त विवरण:
इस्लाम ने पड़ोसी के अधिकारों पर बहुत जोर दिया है और इसे आस्था का हिस्सा बताया है।
हज़रत फ़ातिमा ज़हरा (स) ने पहले अपने पड़ोसियों के लिए दुआ की और बाद में अपने लिए।
प्रत्येक मोमिन को अपने पड़ोसियों का सम्मान करना चाहिए और अहले-बैत (अ) के व्यवहार का पालन करते हुए उन पर अत्याचार करने से बचना चाहिए।
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अल-दलाई अल-इमामा, पृष्ठ 65