۲ آذر ۱۴۰۳ |۲۰ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 22, 2024
लखनऊ

हौज़ा / लखनऊ के मशहूर छोटे इमामबाड़े, हुसैनाबाद में हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना अकी़ल अब्बास मरूफी़ ने खिताब करते हुए फरमाया,क्या वाकियन इस बात को तस्लीम किया जा सकता है कि जिस रसूल ने रिसालते इलाहिया की तबलीग़ में तमाम रंजो अलम उठाए, काटों भरे दुश्वार रास्ते तये किए, तरहं तरहं की सख्ति़यां और अज़ीयतें बर्दाश्त की और किसी छोटे से छोटे हुक्मे इलाही को बयां करने से गुरेज नहीं किया तो इतने बड़े मसले, मसले खि़लाफत को कैसे छोड़ सकता है और मुसलमानों का रहनुमा, रहबर और ख़लीफा़ और इमाम मुअय्यन किए बग़ैर कैसे लोगों को उनके हाल पर छोड़ कर दुनिया से चला जाए?

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,लखनऊ के मशहूर छोटे इमामबाड़े, हुसैनाबाद में 2 साल से रात 8:15 बजे अशरा ए मजालिस का एहतिमाम किया जा रहा है जिस अशरा ए मजालिस को मौलाना अकी़ल अब्बास मारूफी़ साहब खि़ताब कर रहे हैं मौलाना ने फरमाया,

लखनऊ 12 जुलाई 2024 | लखनऊ के मशहूर छोटे इमामबाड़े, हुसैनाबाद में 2 साल से रात 8:15 बजे अशरा ए मजालिस का एहतिमाम किया जारहा है जिस अशरा ए मजालिस को मौलाना अकी़ल अब्बास मारूफी़ साहब खि़ताब कर रहे हैं।

कल की मजलिस को खि़ताब करते हुए मौलाना ने फरमाया,क्या वाके़यन इस बात को तस्लीम किया जा सकता है कि जिस रसूल ने रिसालते इलाहिया की तबलीग़ में तमाम रंजो अलम उठाए, काटों भरे दुश्वार रास्ते तये किए, तरहं तरहं की सख्ति़यां और अज़ीयतें बर्दाश्त की और किसी छोटे से छोटे हुक्मे इलाही को बयां करने से गुरेज नहीं किया तो इतने बड़े मसले, मसले खि़लाफत को कैसे छोड़ सकता है और मुसलमानों का रहनुमा, रहबर और ख़लीफा़ और इमाम मुअय्यन किए बग़ैर कैसे लोगों को उनके हाल पर छोड़ कर दुनिया से चला जाए?

इसके बाद मौलाना ने करबला में हुए जुल्म को बयान किया तो मजमा अश्कबार हो गया।

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