हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, लखनऊ: इमामबाड़ा मीरन साहब मरहूम मुफ़्ती गंज का ख़दीमी अशरा-ए-मजालिस शब में ठीक ९ बजे मुनअख़िद हो रहा है, जिसे मौलाना मुस्तफ़ा अली ख़ान अदीबुल हिंदी ख़िताब फ़रमा रहे हैं|
अशरा-ए-मजालिस की तीसरी मजलिस को ख़िताब करते हुए मौलाना मुस्तफ़ा अली ख़ान ने बानियाने मजलिस के फ़रायज़ को बयान करते हुए फ़रमाया के मजलिस-ए-अज़ा बर्पा करना अहलेबैत अलैहिमुस्सलाम के अम्र को ज़िंदा रखना है और अम्र-ए-अहलेबैत के अहय्या से ही हमारी ज़िंदगी, हमारी शनाख़्त और इज़्ज़त है|
मौलाना मुस्तफ़ा अली ख़ान ने इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम की एक रिवायत को नख़्ल करते हुए बयान फ़रमाया के इमाम अलैहिस्सलाम ने अपने सहाबी दाऊद बिन सिरहान से फ़रमाया: ऐ दाऊद! हमारे शियों को हमारा सलाम कहना और उनसे कहना के हमारे अम्र को ज़िंदा रखें, जान लो के उनमें से दो लोग जब हमारे अम्र को ज़िंदा रखने के लिये जमा होंगे तो उनमें तीसरा ऐसा फ़रिश्ता शामिल हो जायेगा जो उनके लिये इस्तेग़फ़ार करेगा और ख़ुदा उन दो लोगों के लिये अपने फ़रिशतों पर फ़ख़्र करेगा, पस जब भी हमारे दोस्त इकठ्ठा होंगें और अपनी मजलिस में हमें याद करेंगें तो उनके इजतिमा और उनके ज़िक्र से हमारा अम्र ज़िंदा होगा और हमारे बाद बेहतरीन लोग वोह हैं जो हमारे अम्र को याद रखें और उसे ज़िंदा रखें और लोगों को हमारे ज़िक्र की दावत दें|
आख़िर में मौलाना ने इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने जनाबे हुर बिन यज़ीद रियाही की शहादत को बयान किया|
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