हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, यूरो-मेडिटेरेनियन ह्यूमन राइट्स मॉनिटर अधिकार समूह ने कहा कि अगस्त के बाद से, इज़राइल ने ग़ज़्ज़ा में 21 स्कूलों पर हमला किया है, जिसमें 267 फिलिस्तीनियों की मौत हो गई और सैकड़ों घायल हो गए। विस्थापित फ़िलिस्तीनियों ने इन स्कूलों में शरण ली। शनिवार को ग़ज़्ज़ा शहर के एक स्कूल पर इजरायली हमले में 13 बच्चों सहित लगभग 22 लोग मारे गए थे। जिनेवा स्थित संगठन ने कहा कि यह ग़ज़्ज़ा में इजरायल के युद्ध अपराधों में से एक था। संगठन ने ग़ज़्ज़ा में स्कूलों पर, जहां विस्थापित फिलिस्तीनियों ने शरण ली है, इजरायल के हमले को भेदभाव, सैन्य आवश्यकता और आनुपातिकता के सिद्धांतों का घोर उल्लंघन बताया। मानवाधिकार समूहों ने भी ग़ज़्ज़ा में स्कूलों और आश्रयों पर हमले के लिए इज़राइल के औचित्य की निंदा की है।
इजराइल बार-बार दावा करता रहा है कि ग़ज़्ज़ा के जिन स्कूलों पर हमला हुआ, वहां हमास के लड़ाके थे, जबकि हमास और फिलिस्तीनियों ने इजराइल के इस दावे को खारिज कर दिया है। अधिकार समूह ने कहा कि उसने इज़राइल के दावों को साबित करने के लिए कोई सबूत पेश नहीं किया है। संगठन ने सभी देशों से ग़ज़्ज़ा में इजरायल के नरसंहार के अपराधों को रोकने, फिलिस्तीनियों की रक्षा करने, यह सुनिश्चित करने के लिए कि इजरायल अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के निर्णयों का पालन करता है, इजरायल पर प्रतिबंध लगाने और आर्थिक स्थिरीकरण के लिए अपने दायित्वों को पूरा करने का आह्वान किया। इज़राइल को राजनीतिक और सैन्य सहायता।
गौरतलब है कि युद्ध के दौरान इजराइल बड़े पैमाने पर स्कूलों, अस्पतालों, सभास्थलों जैसी सार्वजनिक सुविधाओं को निशाना बनाता रहा है। ग़ज़्ज़ा के स्कूलों पर इजराइल के हमले के कारण 600,000 से अधिक फिलिस्तीनी बच्चों ने अपनी शिक्षा खो दी है। युद्ध के दौरान स्कूलों, पूजा स्थलों और अस्पतालों को निशाना बनाना युद्ध अपराध माना जाता है। इजरायली आक्रामकता के कारण 41 हजार से ज्यादा फिलिस्तीनियों की जान जा चुकी है जबकि 94 हजार घायल हुए हैं।