हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार ,हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सुब्हानी ने महिलाओं की चौथी राष्ट्रीय पुस्तक वर्ष सम्मेलन समारोह को एक संदेश भेजा इसमें उन्होंने ज्ञान-विज्ञान के महत्व और उपयुक्त आदर्श प्रस्तुत करने पर ज़ोर दिया।
हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा सुब्हानी का संदेश:
بسم الله الرحمن الرحیم
وَالَّذِینَ أُوتُوا الْعِلْمَ دَرَجَاتٍ ۚ وَاللَّهُ بِمَا تَعْمَلُونَ خَبِیرٌ (مجادله /۱۱)
मैं आप सभी शोधकर्ताओं, विद्वानों, विशेष रूप से विदुषी महिलाओं का सम्मान करता हूं और चौथे महिला पुस्तक वर्ष सम्मेलन के आयोजन में भाग लेने वाले सभी व्यक्तियों, विशेष रूप से जामेअतुल ज़हेरा स.ल.के प्रति आभार प्रकट करता हूं।
लेखन और कलम मानव इतिहास की आधारशिला हैं और ये हमेशा स्थायी रहेंगे इमाम जाफर सादिक (अ) ने फरमाया है:
ऐसा समय आएगा जब लोग विभिन्न प्रकार की समस्याओं से ग्रस्त होंगे और उन्हें अपनी पुस्तकों के अलावा किसी चीज़ से शांति और राहत नहीं मिलेगी।
इस्लाम में शिक्षा और शोध का विशेष महत्व है। क़ुरान की आयतें और पैगंबर मोहम्मद स.ल.व इमामों के हदीस ज्ञान और शिक्षा के महत्व पर जोर देते हैं।
इस्लामी इतिहास में ऐसी महान महिलाएं रही हैं, जैसे हज़रत खदीजा (स) और हज़रत फातिमा (स), जिन्होंने महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई हैं। ये महिलाएं आज की महिलाओं के लिए एक आदर्श मॉडल बन सकती हैं।
उम्मीद है कि लेखन और शोध में दिन ब दिन उत्कृष्टता आएगी और यह समकालीन मानवता की बौद्धिक और पहचान संबंधी समस्याओं का समाधान प्रदान करेगा।
ऐसे सम्मेलनों का आयोजन महिलाओं की क्षमताओं को पहचानने और उन्हें ज्ञान व शिक्षा के क्षेत्र में सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
आशा है कि विद्वान और प्रतिभाशाली महिलाओं को पहचान कर उन गलत आदर्शों को चुनौती दी जाएगी जो पश्चिम द्वारा हमारी महिलाओं के सामने प्रस्तुत किए गए हैं।
अल्लाह से आपकी सफलता की दुआ करता हूं।