शनिवार 16 अगस्त 2025 - 23:38
इराक की सरकार और जनता की मेहमाननवाजी और कर्बला में लाखों लोगों की उपस्थिति पर धार्मिक शिक्षा संस्थानों का आभार

हौज़ा / धार्मिक शिक्षा प्रबंधन केंद्र ने अरबईन के महान आध्यात्मिक व सभ्यतागत आयोजन में लाखों लोगों की उपस्थिति को सलाम किया और इराकी सरकार व जनता के आतिथ्य की सराहना करते हुए दुनिया के स्वतंत्रताप्रेमियों से हयात मिन्ना अज़-ज़िल्ला के नारे के साथ ज़ायोनी कब्ज़ेकारी शासन और उसके समर्थकों के अपराधों के खिलाफ खड़े होने का आह्वान किया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , धार्मिक शिक्षा प्रबंधन केंद्र के बयान का पाठ इस प्रकार है: 

بسم الله الرحمن الرحیم
وَمَنْ یُعَظِّمْ شَعَائِرَ اللَّهِ فَإِنَّهَا مِنْ تَقْوَی الْقُلُوبِ(حج، ۳۲)
और जो अल्लाह की निशानियों का सम्मान करता है, वह दिलों की परहेज़गारी से है(सूरह हज, आयत 32) 

इस वर्ष का महान अरबईन समागम भी पिछले वर्षों की तरह इस्लामी उम्माह द्वारा अल्लाह की निशानियों के सम्मान का प्रतीक बना क्योंकि हुसैन इब्न अली (अ.स.) ने कर्बला में अपने और अपने परिवार व साथियों के खून से ईश्वर की उपासना के सबसे बड़े उदाहरण पेश किए और ईश्वर की उपासना का सर्वोच्च आदर्श बने।

यह अद्वितीय वैश्विक आयोजन अशूरा के विभिन्न पहलुओं को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया और इस्लामी उम्माह की एकता व ईश्वरीय मूल्यों के प्रति प्रेम का प्रतीक बना। 

और निःसंदेह, इस वर्ष यह भव्य उपस्थिति समकालीन यज़ीदियों के खिलाफ संघर्ष और प्रतिरोध के साथ थी वही यज़ीदी जो आज गाजा के मजलूम लोगों को बमों और मिसाइलों से घेरकर भूख-प्यास के साथ यातना दे रहे हैं और सभी मानवीय सीमाओं को पार कर चुके हैं। इस वर्ष का अर्बईन विभिन्न देशों के जायरीनों और ईरानी राष्ट्र के बीच एकता का भी साक्षी बना वही ईरानी राष्ट्र जिसने इतिहास रचा है और समकालीन अह्रिमनों से संघर्ष का प्रतीक बन गया है। 

धार्मिक शिक्षा प्रबंधन केंद्र ईरान और विश्व के अन्य देशों के करोड़ों लोगों की उपस्थिति का सम्मान करता है और उन सभी सम्मानित नागरिकों व अधिकारियों का आभार व्यक्त करता है।

जिन्होंने इस महान मानवीय ईश्वरीय और सभ्यतागत आयोजन को संभव बनाया। साथ ही, हम इराक की महान सरकार और जनता का आभार व्यक्त करते हैं जिन्होंने इस भव्य समागम के लिए उत्कृष्ट आतिथ्य प्रदान किया।

हम दुनिया के सभी स्वतंत्रता प्रेमियों से आह्वान करते हैं कि वे इमाम हुसैन (अ.स.) के नारे "हम कभी अपमान स्वीकार नहीं करेंगे" को अपना आदर्श बनाते हुए जायोनी शासन और उसके समर्थकों के विस्तारवाद, नस्लवाद और अपराधों के खिलाफ खड़े हों और सत्य व न्याय की मांग को विश्वव्यापी बनाएं। 

धार्मिक शिक्षा प्रबंधन केंद्र

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