۷ آذر ۱۴۰۳ |۲۵ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 27, 2024
ागा

हज़रत फ़ातेमा मासूमा स.ल.की दरगाह के ख़तीब ने यह बयान करते हुए कि शहीदों ने फर्ज़ों की अदाईगी हराम कामों को छोड़ने और आत्मिक मामलों में बहुत ही सतर्कता दिखाई और कहा कि शहीदों की जीवनशैली नई पीढ़ी को सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करती है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार, हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन सय्यद हुसैन मोमनी ने ईरानी वैज्ञानिक शहीद फ़ख़री ज़ादेह की चौथी बरसी के अवसर पर आयोजित मजलिस-ए-अज़ा में खिताब करते हुए कहा कि शहीदों की याद में आयोजित कार्यक्रमों का कोई नतीजा होना चाहिए ताकि हमारी नई पीढ़ी इन कार्यक्रमों में दिए गए संदेशों से सही रास्ता ढूंढ सके।

उन्होंने यह बयान करते हुए कि आयतों और हदीसों के अनुसार, शहीद और शहादत का स्थान हसरत और गर्व का स्थान है कहा कि हदीसों के मुताबिक, शहीद के लिए सात विशेषताएँ बताई गई हैं जिनमें से पहली विशेषता यह है कि शहीद खुदा की जियारत करते हैं।

हुज्जतुल इस्लाम सैयद हुसैन मोमनी ने कहा कि शहीद कभी नहीं मरते बल्कि हमेशा जीवित रहते हैं। बहुत से लोग शहादत की कामना करते हैं क्योंकि शहीद खुदा की कृपा और वरदानों पर खुश होते हैं।

उन्होंने शहीद और शहादत का दर्जा बताते हुए कहा कि शहीद शहादत से पहले बंदगी के उच्च स्थान पर होते हैं इसलिये वे खुदा के प्यारे और अल्लाह के करीब पहुँच जाते हैं।

हुज्जतुल इस्लाम मोमनी ने आगे कहा कि शहीदों के लिए न तो क़बर का दबाव है और न ही क़बर का अज़ाब, क्योंकि शहीदों ने अपने इम्तहान खुदा के सामने पास कर लिए हैं।

हजरत मासूमा (स) की दरगाह के खतीब ने कहा कि शहीद कभी भी अपने आप को लोगों के सामने पेश करने की कोशिश में नहीं थे इसलिये खुदा उनका नाम और उनकी यादों को समाज में ज़िंदा रखता है।

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