शनिवार 14 दिसंबर 2024 - 19:08
मै तैयार हूँ कि पक्षियों का निवाला बन जाऊँ, क़ियामत के दिन अज़ाब से बच जाऊँ

हौज़ा / यह घटना प्रसिद्ध और जाने माने आरिफ़ और ज़ाहिद, आयतुल्लाह हाज सैयद अब्बास काशानी के जीवन के हालात से संबंधित है। इसमें बताया गया है कि जब वह बीमार थे, तो उस समय उनके कुछ क़रीबी लोग उनसे मुलाकात के लिए आए। उन व्यक्तियों में हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलमीन सैयद मीर हाशिम हुसैनी और डॉक्टर फरहाद ग़रीब दोस्त शामिल थे।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,यह घटना प्रसिद्ध आरिफ़ और ज़ाहिद आयतुल्लाह हाज सैयद अब्बास काशानी के जीवन से संबंधित है। जब वह गंभीर रूप से बीमार थे तो हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन सैयद मीर हाशिम हुसैनी और डॉक्टर फरहाद गरीब दोस्त जैसे करीबी लोग उनसे मिलने आए इस मुलाकात का मुख्य उद्देश्य डॉक्टर गरीब दोस्त द्वारा उनका चिकित्सीय परीक्षण करना था।

इस दौरान आयतुल्लाह काशानी ने अपनी बीमारी के संबंध में बात करते हुए कहा,पिछले पंद्रह वर्षों से अपनी बीमारी के कारण मैं अपनी लाइब्रेरी, जो घर की निचली मंज़िल में है नहीं जा पाया। लेकिन यह सब उस अज़ाब (सज़ा) के सामने कुछ भी नहीं, जिसे अल्लाह ने क़ुरआन में बयान किया है।

उन्होंने आगे कहा,हम क़ुरआन की आयतों को केवल एक पक्ष से देखते हैं हम केवल रहमत, जन्नत और उसकी सुख-सुविधाओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं लेकिन अज़ाब और कड़े अज़ाब की आयतों को नज़रअंदाज़ कर देते हैं।

आयतुल्लाह काशानी ने अपनी तकलीफों के प्रति अपनी रज़ामंदी व्यक्त करते हुए कहा,मैं अपनी सभी बीमारियों और मुश्किलों पर रज़ी हूँ।

मैंने अल्लाह से कहा है कि अगर मेरी बीमारी इस हद तक बढ़ जाए कि मेरा परिवार मेरी देखभाल से थक जाए और मुझे किसी वीराने में छोड़ दे जहाँ पक्षी मेरा मांस नोचकर खा जाएँ, तब भी मुझे कोई ऐतराज़ नहीं। मेरी बस यही ख्वाहिश है कि बरज़ख (परलोक) और क़ियामत के दिन मुझ पर कोई अज़ाब न हो और मुझसे कोई सवाल-जवाब न किया जाए।

संदर्भ:दस्तानहा बायद आमुख्त,पृष्ठ 31

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