हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार,हौज़ा इल्मिया के प्रमुख ने स्टूडेंट डे के मौके पर जारी अपने संदेश में कहा, इस्तेकबार (साम्राज्यवाद) के खिलाफ जद्दोजहद का परचम छात्रों के हाथ से कभी नहीं गिरेगा और यह संघर्ष हमेशा जारी रहेगा, यहाँ तक कि आखिरी हुज्जते इलाही हज़रत इमाम मेहदी अ.स. के ज़ुहूर तक पूरी ताकत के साथ चलता रहेगा।
संदेश कुछ इस प्रकार है:
بِسْمِ اللَّهِ الرَّحْمَنِ الرَّحِيمِ
«قُلْ إِنَّمَا أَعِظُکُمْ بِوَاحِدَةٍ ۖ أَنْ تَقُومُوا لِلَّهِ مَثْنَیٰ وَفُرَادَیٰ ثُمَّ تَتَفَکَّرُوا»
कह दो मैं तुम्हें सिर्फ एक बात की नसीहत करता हूं कि तुम अल्लाह के लिए दो दो और अकेले अकेले उठ खड़े हो फिर सोच विचार करो।
(सूरह सबा, आयत 46)
7 दिसंबर 1953 ईरान के इतिहास का वह यादगार दिन है, जो ईरानी जनता की साम्राज्यवाद (इस्तेकबारी ताकतों) के खिलाफ संघर्ष और प्रतिरोध का प्रतीक बन चुका है यह दिन ईरानी कैलेंडर में हमेशा यादगार रहेगा। यह गर्व का दिन ईरानी युवाओं और विद्यार्थियों को समर्पित है।
16 आज़र की घटना में जब छात्रों ने अमेरिकी उपराष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन की ईरान यात्रा के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी इस आंदोलन की जड़ें और गहरी हो गईं। इस्लामी क्रांति से पहले यह आंदोलन पनप रहा था और आज यह एक विशाल वृक्ष का रूप ले चुका है।
विद्यार्थी किसी भी समाज में प्रगति परिपक्वता और सामाजिक ऊर्जा का प्रतीक होते हैं। 16 आज़र का दिन उनके महत्व और गरिमा को सम्मान देने का एक अनूठा अवसर है।
आज ईरान की तेज़ी से होती प्रगति जो शैक्षिक संस्थानों के विद्वतापूर्ण माहौल में पनप रही है उम्मीद और उजाले के सफर को आगे बढ़ा रही है यह गति रुकने वाली नहीं है।
इस्लामी क्रांति के संस्थापक इमाम खुमैनी र.ह. द्वारा शुरू की गई फिलिस्तीन की समर्थन की मुहिम आज पूर्व और पश्चिम में फैल चुकी है। दुनिया भर के छात्र फिलिस्तीन और ग़ाज़ा की मज़लूम जनता के समर्थन में खड़े हैं।
इस्राइल के ज़ुल्म के खिलाफ उनके प्रदर्शन वैश्विक स्तर पर न्याय की लड़ाई का हिस्सा बन चुके हैं यह आंदोलनों का सिलसिला इमाम ज़माना अजलल्लाहु तआला फराजहुम शरीफ के ज़हूर का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।
यदि छात्र अपने किसी भी राजनीतिक रुझान के बावजूद दुश्मनों की साज़िशों को सच्चाई से पहचान लें और उन तत्वों को समाप्त कर दें जो विश्वविद्यालयों के विद्वतापूर्ण माहौल को बिगाड़ना चाहते हैं तो वे साम्राज्यवाद और उसके छिपे हुए एजेंटों के खिलाफ एक सांस्कृतिक और राजनीतिक संघर्ष में सक्रिय रह सकते हैं।
16 आज़र साम्राज्यवाद के खिलाफ अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों की याद का दिन है। छात्र इन पवित्र रक्तों के संरक्षक हैं और अपने शहीद साथियों के मार्ग को जारी रखने के सबसे अधिक योग्य हैं।
हम 16 आज़र के शहीदों रक्षात्मक युद्ध के शहीद छात्रों और अपने शहीद वैज्ञानिकों जैसे डॉ. अली मोहम्मदी, मोहसिन फखरीज़ादे, दरियूश रज़ाई नेजाद, मजीद शहरीयारी, और मुस्तफा अहमदी रोशन को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
हमें विश्वास है कि साम्राज्यवाद के खिलाफ संघर्ष का झंडा छात्रों के हाथों से कभी नहीं गिरेगा यह संघर्ष हमेशा जारी रहेगा और अंतिम ईश्वरीय प्रतिनिधि के प्रकट होने तक मजबूती से आगे बढ़ता रहेगा।
अली रज़ा आराफी
प्रमुख हौज़ा-ए-इल्मिया
07 दिसंबर 2024
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