۱ آذر ۱۴۰۳ |۱۹ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 21, 2024
रहबर

हौज़ा/इंक़ेलाबे इस्लामी के नेता ने बुधवार की सुबह हज़ारों स्कूली और यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स से मुलाक़ात में ईरानी क़ौम के ख़िलाफ़ अमरीका की पुरानी दुश्मनी की वजहों को रेखांकित किया और ग़ज़ा में ज़ायोनियों और अमरीकियों के हाथों होने वाली त्रासदी को इतिहास में अभूतपूर्व बताया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,हज़रत
आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई ने फरमाया,विश्व साम्राज्यवाद से संघर्ष और स्कूली छात्रों के राष्ट्रीय दिवस की मुनासेबत से स्कूली और युनिवर्सिटी छात्रों ने रहबरे इंक़ेलाब आयतुल्लाह ख़ामेनेई की मुलाक़ात की।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने बुधवार की सुबह हज़ारों स्कूली और यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स से मुलाक़ात में ईरानी क़ौम के ख़िलाफ़ अमरीका की पुरानी दुश्मनी की वजहों को रेखांकित किया और ग़ज़ा में ज़ायोनियों और अमरीकियों के हाथों होने वाली त्रासदी को इतिहास में अभूतपूर्व बताया।

उन्होंने ग़ज़ा के अवाम के सब्र व दृढ़ता से क़ाबिज़ शासन और उसके साम्राज्यवादी समर्थकों की इज़्ज़त पर पड़ने वाली अपमानजनक चोट का हवाला देते हुए कहा कि अगर अमरीका की ओर से बड़े पैमाने पर सपोर्ट न हो तो ज़ायोनी शासन कुछ दिन के भीतर पैरलाइज़्ड हो जाएगा।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने कहा कि इस्लामी दुनिया, ज़ायोनी शासन से आर्थिक सहयोग ख़त्म करके इस शासन के ख़िलाफ़ एकजुट हो और ग़ज़ा पर जारी बमबारी और आपराधिक कृत्य फ़ौरन बंद करने के लिए ज़ायोनी शासन पर दबाव डाले। इसी तरह उन्होंने इस्लामी दुनिया पर बल दिया कि वह सत्य और असत्य के बीच इस संघर्ष में अपने अहम फ़रीज़े पर अमल करे।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का कहना था कि अगर अमरीका का सपोर्ट और हथियारों की मदद न होती तो भ्रष्ट, जाली और झूठा ज़ायोनी शासन पहले हफ़्ते में ही गिर जाता, इसलिए आज ग़ज़ा में ज़ायोनियों के हाथों जो त्रासदी घट रही है उस में अमरीका का हाथ है।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने तीन हफ़्ते में 4000 बच्चों के नरसंहार को अभूतपूर्व आपराधिक कृत्य क़रार दिया और ग़ज़ा की घटनाओं के बारे में जो अस्ल में सत्य और असत्य तथा ईमान और साम्राज्यवाद की लड़ाई का मैदान है, इस्लामी दुनिया को होशियारी से काम लेने की दावत देते हुए कहा कि साम्राज्यवाद बमों, फ़ौजी दबाव, त्रासदी और अपराध लेकर आगे आता है और ईमान की ताक़त अल्लाह के करम से इन सब पर हावी हो जाएगी।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने ग़ज़ा के अवाम के सब्र और दृढ़ता की उपलब्धियों का ज़िक्र करते हुए कहा कि फ़िलिस्तीनी अवाम ख़ास तौर पर ग़ज़ा के लोगों की तकलीफ़ें देख कर हमारे दिल ख़ून के आंसू रोते हैं लेकिन स्थिति की गहराई से समीक्षा करने से ज़ाहिर होता है कि इस मैदान को फ़तह करने वाले फ़िलिस्तीनी अवाम हैं जिन्होंने बहुत बड़े कारनामे अंजाम दिए।

उनका कहना था कि पश्चिमी ताक़तों के चेहरे से मानवाधिकार की नक़ाब का हट जाना और उनकी बेइज़्ज़ती ग़ज़ा के अवाम के सब्र और दृढ़ता का नतीजा है।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने कहा कि ग़ज़ा के अवाम ने अपने सब्र व धैर्य से पूरी इंसानियत के ज़मीर को झिंझोड़ दिया, यहाँ तक कि ख़ुद पश्चिमी मुल्कों में ब्रिटेन, फ़्रांस और संयुक्त राज्य अमरीका में जनसैलाब निकलता है और इस्राईल तथा अमरीकी सरकार के ख़िलाफ़ नारे लगाता है।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता का कहना था कि फ़िलिस्तीनी जियालों को आतंकवादी कहना, पश्चिमी नेताओं और मीडिया की बेशर्मी है। उन्होंने सवाल किया कि जो अपने घर और वतन की रक्षा कर रहे हैं वे आतंकवादी हैं? दूसरी वर्ल्ड वॉर में जर्मन्ज़ ने पैरिस पर क़ब्ज़ा कर लिया था, उस वक़्त जर्मन्ज़ के ख़िलाफ़ जंग करने वाले फ़्रांसीसी, आतंकवादी थे? वे तो जांबाज़ और फ़्रांस के लिए क़ाबिले फ़ख़्र हैं लेकिन इस्लामी जेहाद और हमास के जवान आतंकवादी हैं?!

आयतुल्लाह ख़ामेनेई के मुताबिक़, अलअक़्सा तूफ़ान का सबसे बड़ा सबक़ यह है कि छोटा सा गिरोह, मज़बूत ईमान और इरादे के साथ सीमित संसाधनों की मदद से ही दुश्मन को हरा सकता है। उन्होंने कहा कि ईमान से सुशोभित इस गिरोह ने दुश्मन की बरसों की आपराधिक कोशिशों के नतीजों को कुछ घंटों में मिट्टी में मिला दिया।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता के मुताबिक़, इस वक़्त जब क़ाबिज़ सरकार के अपराध जारी हैं तो ऐसे में इस्लामी दुनिया से बड़ी अपेक्षाएं हैं। उन्होंने कहा कि अगर इस्लामी सरकारों ने आज फ़िलिस्तीन की मदद न की तो हक़ीक़त में उन्होंने इस्लाम और इंसानियत के दुश्मन को मज़बूत किया और कल यही ख़तरा उनके सिरों पर मंडराएगा।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने दो टूक शब्दों में कहा कि इस्लामी सरकारें ज़ायोनी शासन को तेल और ज़रूरत की चीज़ों की सप्लाई बंद कर दें। उन्होंने कहा कि इस्लामी सरकारें आपराधिक कृत्यों के फ़ौरन रोके जाने पर बल दें, ज़ायोनी शासन को तेल का निर्यात रोक दें, इस शासन से आर्थिक सहयोग ख़त्म कर दें और सभी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं में खुलकर इसके अपराधों की निंदा करें।

इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने एक बार फिर यह बात दोहराई कि ज़ायोनी सरकार को जो वार लगा है उसकी भरपाई नहीं हो सकती और इस बात को ख़ुद क़ाबिज़ सरकार के लोग भी मान रहे हैं। उन्होंने कहा कि ज़ायोनी सरकार बौखला गयी है, अपने अवाम से झूठ बोल रही है, अपने क़ैदियों के बारे में उसका चिंता ज़ाहिर करना भी झूठ है, क्योंकि वो जो बमबारी कर रहे हैं उसमें अपने क़ैदियों को भी क़त्ल कर रहे हैं।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने इस्लामी दुनिया को इस सच्चाई पर ध्यान देने का सुझाव दिया कि इस्लाम और मज़लूम फ़िलिस्तीन के मुक़ाबले में जो खड़ा है वो अमरीका है, फ़्रांस है, ब्रिटेन है, सिर्फ़ ज़ायोनी शासन नहीं है। इसको समझें! अपने लेन-देन और अपनी समीक्षाओं में इसे मद्देनज़र रखें।

उन्होंने क़ुरआन मजीद की उस आयत का हवाला दिया जिसमें अल्लाह फ़रमाता हैः “बेशक अल्लाह का वादा हक़ है और जो लोग इस पर यक़ीन नहीं रखते वो अपनी बदगुमानियों से तुम्हें डावांडोल और कमज़ोर न कर दें।” इस्लामी इंक़ेलाब के नेता ने कहा कि इंशाअल्लाह, विजय जो ज़्यादा दूर नहीं, फ़िलिस्तीन और फ़िलिस्तीनी अवाम की होगी।

आयतुल्लाह ख़ामेनेई ने 13 आबान मुताबिक़ 4 नवंबर की ऐतिहासिक पृष्ठिभूमि के बारे में बात करते हुए तीन अहम घटनाओं का हवाला दिया, जिनमें दो घटनाएं ऐसी हैं जहाँ अमरीकियों ने ईरानी क़ौम को चोट पहुंचायी।

4 नवंबर 1964 को इमाम ख़ुमैनी को जिलावतन किया गया और 4 नवंबर 1978 को ईरान में अमरीका की पिट्ठू सरकार ने तेहरान यूनिवर्सिटी के सामने स्टूडेंट्स का क़त्लेआम किया जबकि तीसरी घटना में 4 नवंबर के ही दिन ईरानी स्टूडेंट्स ने अमरीका के दूतावास पर क़ब्ज़ा कर लिया जो ईरानी क़ौम की तरफ़ से अमरीका पर होने वाला वार था, इस घटना में दूतावास के भीतर ख़ुफ़िया दस्तावेज़ और राज़ सामने आए और अमरीका पूरी दुनिया में बदनाम हुआ।

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