हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार,फातिमा पूरमहदी हज़रत ख़दीजा स.ल. विशेष धार्मिक विद्यालय बाबुल की प्रबंधक ने महिला का हिजाब मानवीय गरिमा और इस्लामी पहचान की रक्षा विषय पर आयोजित एक शैक्षणिक शोध बैठक में विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा,क़ुरान के सूरा नूर (आयत 30 और 31) और सूरा अहज़ाब (आयत 59) में स्पष्ट रूप से निर्देश दिया गया है,
कि मोमिन से कहो कि वे अपनी निगाहें झुका लें और अपने दामन को पाक रखें।यग़ज़ू' शब्द का अर्थ है कम करना या नियंत्रित करना यह आँखों की पूर्ण बंदी का आदेश नहीं देता बल्कि अपनी निगाहों को सीमित रखने की हिदायत देता है।
इस तरह मर्द औरतों के चेहरे और शरीर को न देखें और अपनी दृष्टि को नीचे रखें यह दृष्टिकोण हराम दृश्य को देखने से बचने का मार्ग दिखाता है।
उन्होंने कहा,जैसे पुरुषों के लिए ग़लत दृष्टि हराम है वैसे ही महिलाओं के लिए भी है और औरतों के लिए अपने शरीर को ढकना और अपनी सजावट को गैर महरम से छुपाना अनिवार्य है।
इस्लामी शिक्षाओं में दो प्रकार के वस्त्रों का उल्लेख है ख़िमार (सिर और गहनों को ढकने के लिए) और जिलबाब (पूरा शरीर ढकने के लिए) हैंपूरमेंहदी ने आगे कहा,आंतरिक पवित्रता (इफ़्फ़त) और बाहरी पवित्रता (तक़वा) के बीच गहरा संबंध है।
उन्होंने यह भी कहा,हिजाब की रक्षा का उपाय हज़रत ज़हरा स.ल.से प्रेरणा लेना है जब उनके वालिद ने पूछा कि सर्वश्रेष्ठ महिलाएँ कौन हैं तो उन्होंने उत्तर दिया,
خَیْرُ لِلْنِّساءِ اَنْ لا یَرَیْنَ الرِّجالَ وَ لا یَراهُنَّ الرِّجالُ."
सबसे अच्छी महिलाएँ वे हैं जो पुरुषों को न देखें और न ही पुरुष उन्हें देखें।
आपकी टिप्पणी