हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , ज़हेरा सालेही ने मुहर्रम के महीने की शोकांतिका व्यक्त करते हुए कहा कि मुस्लिम महिला की असली पहचान उसकी पवित्रता है, और हिजाब इसी पवित्रता का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि दुर्भाग्य से आज कुछ लोग बदहिजाबी को आधुनिकता, सामाजिक प्रतिष्ठा और व्यक्तित्व की निशानी के रूप में पेश कर रहे हैं, जबकि महिलाओं के लिए सबसे गौरवशाली और सम्मानजनक स्थिति हिजाब ही है।
सालेही के अनुसार,हिफ़्ज़-ए-इफ़्फ़त व हिजाब सप्ताह इस्लामी सभ्यता के मूल अवधारणाओं इफ़्फ़त और हिजाब बाहरी पहचा पर पुनर्विचार करने का अवसर है। आज जब दुश्मन की सॉफ्ट वार इस्लामी पहचान को निशाना बना रही है, तो हिजाब सिर्फ एक व्यक्तिगत या धार्मिक मुद्दा नहीं, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक जिम्मेदारी बन चुका है।
उन्होंने जोर देकर कहा कि हिजाब न केवल एक धार्मिक आदेश है, बल्कि मानव समाज के लिए एक सामाजिक आवश्यकता भी है इसकी उपस्थिति समाज पर सकारात्मक प्रभाव डालती है, जबकि इसकी अनुपस्थिति सांस्कृतिक विनाश और नैतिक पतन का कारण बनती है।
ज़हेरा सालेही ने बताया कि मदरसा नर्गिसिया स.ल.इस सप्ताह के अवसर पर छात्राओं और प्रचारकों के सहयोग से कई शैक्षिक, सांस्कृतिक और मीडिया गतिविधियों का आयोजन कर रहा है, जिनमें शामिल हैं:हिजाब और इफ़्फ़त पर प्रशिक्षण कार्यशालाएँ,आज के दौर में हिजाब की चुनौतियाँ विषय पर विचार गोष्ठियाँ,हया से हिजाब तक विषय पर सांस्कृतिक प्रतियोगिताएँ ,धार्मिक व सामाजिक विषयों पर पुस्तक पठन सत्र
हिजाब से संबंधित शॉर्ट वीडियोज़ का निर्माण इन गतिविधियों का उद्देश्य हिजाब के महत्व को समझाना और इसे एक सामाजिक मूल्य के रूप में स्थापित करना है।
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