۱۳ آذر ۱۴۰۳ |۱ جمادی‌الثانی ۱۴۴۶ | Dec 3, 2024
इत्रे क़ुरआन

हौज़ा/ इस आयत में महिलाओं के अधिकारों और मेहेर के भुगतान का उल्लेख किया गया है। इसमें मेहेर के अनिवार्य भुगतान और पति के लिए हलाल का उल्लेख है यदि महिला स्वेच्छा से कुछ हिस्सा छोड़ देती है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी

بسم الله الرحـــمن الرحــــیم    बिस्मिल्लाह अल-रहमान अल-रहीम

وَآتُوا النِّسَاءَ صَدُقَاتِهِنَّ نِحْلَةً ۚ فَإِنْ طِبْنَ لَكُمْ عَنْ شَيْءٍ مِنْهُ نَفْسًا فَكُلُوهُ هَنِيئًا مَرِيئًا  वआतुन नेसाआ सदोकादेहिन्ना नेहलतुन फ़इन्ना तिबना लकुम अन शैइन मिन्हो नफसन फकोलूहो हनीअन मरीआ (नेसा, 4)

अनुवाद: औरतों को उनका मेहर दो, फिर अगर वे ख़ुशी से तुम्हें देना चाहें तो शौक से खाओ।

विषय:

इस आयत का विषय महिलाओं के अधिकार और मेहेर का भुगतान है। इसमें मेहेर के अनिवार्य भुगतान और पति के लिए हलाल का उल्लेख है यदि महिला स्वेच्छा से कुछ हिस्सा छोड़ देती है।

पृष्ठभूमि:

यह आयत तब सामने आई जब इस्लाम ने महिलाओं के अधिकारों को स्पष्ट करने और उनकी रक्षा करने के निर्देश देना शुरू किया। इससे पहले, जाहिलियाह के दौर में महिलाओं के अधिकारों पर बहुत अत्याचार किया गया था। इस आयत के जरिए अल्लाह ने साफ किया कि महिलाओं को उनका हक दिया जाए और उनके साथ न्याय किया जाए।

तफसीर:

  1. मेहेर का महत्व: दहेज देने के महत्व को आयत "वातुवा अल-निसा 'सदाकातिहिन नहिलह" में समझाया गया है। दहेज एक अनिवार्य अधिकार है जिसे पति अपनी खुशी से अपनी पत्नी को देने के लिए बाध्य है।
  2. ख़ुशी-ख़ुशी देना: अल्लाह ने पुरुषों को दहेज देने का आदेश दिया है और यह भुगतान ख़ुशी-ख़ुशी करना चाहिए, न कि ज़ोर-ज़ोर से या बोझ बनकर।
  3. महिला का अधिकार: आयत का दूसरा भाग "فَإِنْ طِبْنَ لَكُمْ عَنْ شَيْءٍ مِنْهُ نَفْسًا" यह स्पष्ट करता है कि यदि कोई महिला अपनी मर्जी से दहेज का कुछ हिस्सा छोड़ देती है, तो पुरुष इसका उपयोग कर सकता है। यहां महिलाओं की स्वतंत्रता और अधिकार को मान्यता दी गई है।
  4. हलाल जीविका की अवधारणा: "फक्कुलुहु हनियह मरिय्याह" में अल्लाह ने कहा कि यदि यह धन महिला की खुशी से दिया जाता है, तो इसका उपयोग हलाल और अनुमेय है, और यह धन्य है।

परिणाम:

इस आयत का कुल संदेश यह है कि इस्लाम में महिलाओं के अधिकार पूरी तरह सुरक्षित हैं। दहेज एक अनिवार्य दायित्व है जिसे पति को पूरा करना होगा, और यदि महिला स्वेच्छा से इसमें से कुछ छोड़ देती है, तो संपत्ति पति के लिए वैध हो जाती है। यह आयत यह भी दर्शाती है कि इस्लाम ने महिलाओं के सम्मान और प्रतिष्ठा को कितना महत्व दिया है।

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तफ़सीर राहनुमा, सूरा ए नेसा

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