बुधवार 18 दिसंबर 2024 - 10:03
मुस्लिम देशो की समस्याओं की जड़ इस्राईल हैः क़दीर आकारास 

हौज़ा / उलमा अहले-बैत एसोसिएशन ऑफ़ तुर्की के अध्यक्ष क़दीर आकारास ने अहले-बैत मस्जिद में अपनी तकरीर में इंसान के विचारों के उसके कामों पर प्रभाव के बारे में बात की और सीरिया में हालिया घटनाओं पर महत्वपूर्ण बयान दिए।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, तुर्कीउलमा अहले-बैत एसोसिएशन ऑफ़ तुर्की के अध्यक्ष और तुर्की के चैनल 14 के प्रमुख क़दीर आकारास ने अपनी तक़रीर में गुनाहों के प्रभाव पर चर्चा की और बताया कि इंसान के ख़्यालात (विचार) उसके कर्मों पर असर डालते हैं। उन्होंने मुसलमानों को अपने अच्छे और बुरे कर्मों का हिसाब रखने और अपने ख़्यालात को नियंत्रित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। कदीर आक़ारस ने शैतान की फुसफुसाहट का भी ज़िक्र किया, जो इंसान के दिल और दिमाग में प्रवेश करने की कोशिश करता है, और इस पर सतर्क रहने की सलाह दी।

इसके बाद उन्होने सीरिया और अन्य क्षेत्रीय घटनाओं पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने अमेरिकी और इज़राइली साम्राज्यवादी नीतियों को कटघरे में खड़ा किया और कहा कि मुस्लिम देशों को इन साज़िशों का मुकाबला करने के लिए एकजुट होना चाहिए। उनका मानना था कि 57 मुस्लिम देशों की समस्याओं की जड़ इज़राइल है। उन्होंने कहा कि जब तक इज़राइल का मुद्दा हल नहीं होता, तब तक मुस्लिम देशों की बाकी समस्याएँ भी हल नहीं हो सकतीं।

उलमा अहले-बैत एसोसिएशन ऑफ़ तुर्की के अध्यक्ष ने फ़लस्तीन को मुसलमानों का सबसे अहम मुद्दा बताते हुए उनका कहना था कि फ़लस्तीन और ग़ज़ा को मुक्त किए बिना कोई भी मुसलमान पूरी तरह सुरक्षित नहीं हो सकता। इसीलिए, यह मुद्दा सभी मुसलमानों के लिए बुनियादी है।

उन्होंने प्रतिरोध को एक विचार के रूप में पेश किया, न कि सिर्फ़ एक ज़मीन के टुकड़े के रूप में। उनका कहना था कि प्रतिरोध 75 वर्षों से फ़लस्तीन में जारी है और यह एक इमाँ (विश्वास) और जीवनशैली है, जिसे कोई समाप्त नहीं कर सकता।

अंत में तुर्की के चैनल 14 के प्रमुख कदीर आक़ारस ने सीरिया पर हमले और प्रतिरोधी मोर्चे की सदस्यता का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि अमेरिका और इज़राइल ने सीरिया से कहा था कि वह ईरान और हिज़्बुल्लाह से अपने रिश्ते तोड़े, अन्यथा युद्ध के लिए तैयार रहे। उनका कहना था कि जब तक प्रतिरोधी मोर्चा मौजूद रहेगा, इन साज़िशों को लागू नहीं होने दिया जाएगा।

कदीर आक़ारस की यह तक़रीर मुस्लिम एकता, प्रतिरोध और फ़लस्तीन के मुद्दे पर केंद्रित थी।

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