۱۸ آبان ۱۴۰۳ |۶ جمادی‌الاول ۱۴۴۶ | Nov 8, 2024
कुम

हौज़ा / क़ुम के इमाम ए जुमआ आयतुल्लाह अली रज़ा आराफ़ी ने इज़राइल की आक्रामकता और इस्लामी देशों के खिलाफ उसकी नापाक योजनाओं की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि इज़राइल का उद्देश्य केवल फ़िलस्तीन पर नहीं, बल्कि पूरे इस्लामी दुनिया पर हुकूमत स्थापित करना है और उसके खिलाफ प्रतिरोध ही उम्मत ए मुस्लिम की प्रतिष्ठा की गारंटी है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार, क़ुम के इमाम ए जुमआ आयतुल्लाह अली रज़ा आराफ़ी ने शुक्रवार के ख़ुतबे में इज़राइली आक्रामकता इस्लामी देशों के खिलाफ उसकी नापाक योजनाओं और वैश्विक ताकतों द्वारा इज़राइल को दी जा रही समर्थन की कड़ी आलोचना की।

उन्होंने कहा कि इज़राइल न केवल एक अवैध राज्य है बल्कि एक सैन्य अड्डा है जो पश्चिमी साम्राज्यवादी ताकतों के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इस्लामी दुनिया के खिलाफ षड्यंत्र करता है।

आयतुल्लाह आराफ़ी ने शहीद सैयद हसन नसरुल्लाह के चालीसवें (चेहलुम) के अवसर पर उनकी कुर्बानियों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि सैयद हसन नसरुल्लाह ने इस्लामी क्रांति से प्रेरित होकर क्षेत्र में प्रतिरोध की नींव रखी और अरब देशों को नए संकल्प के साथ मुकाबले की राह दिखाई।

उन्होंने पिछले सात दशकों में इज़राइल के खिलाफ अरब देशों की असफलताओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इन असफलताओं का कारण इस्लामी दुनिया में एकता की कमी और पश्चिमी ताकतों द्वारा इज़राइल को निरंतर समर्थन प्रदान करना है।

उन्होंने कहा कि हर बार जब अरब देशों ने इज़राइल का सामना करने की कोशिश की तो वैश्विक शक्तियों ने इज़राइल का साथ दिया जिससे अरब दुनिया को हार का सामना करना पड़ा।

आयतुल्लाह आराफ़ी ने वैश्विक समुदाय विशेष रूप से संयुक्त राष्ट्र और सुरक्षा परिषद की आलोचना करते हुए कहा कि इज़राइल ने कभी भी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के प्रस्तावों को महत्व नहीं दिया और अपने अपराधों को निर्भीक होकर जारी रखा। उन्होंने कहा कि इज़राइल का असली उद्देश्य इस्लामी दुनिया को पीछे रखना और उसके आंतरिक मामलों में विघटन उत्पन्न करना है।

उन्होंने उम्मत ए मुस्लिम को फ़िलस्तीन के मुद्दे पर एकजुट रहने की सलाह दी और इस्लामी देशों को चेतावनी दी कि इज़राइल का उद्देश्य केवल फ़िलस्तीन पर कब्जा करना नहीं है बल्कि पूरे इस्लामी जगत पर अपनी सत्ता स्थापित करना है।

उन्होंने कहा कि प्रतिरोध और इस्लामी एकता ही वे एकमात्र रास्ते हैं जिनसे इस्लामी दुनिया अपनी स्वतंत्रता और संप्रभुता को सुरक्षित रख सकती है।

क़ुम के इमाम जुमआ ने इस्लामी प्रतिरोध विशेष रूप से हिज़बुल्लाह और हमास जैसी संगठनों के समर्थन पर जोर देते हुए कहा कि ये प्रतिरोधी शक्तियां उम्मत-ए-मुस्लिम की बचे रहने और उसके सम्मान की प्रतीक हैं।

उन्होंने स्पष्ट किया कि हिज़बुल्लाह और अन्य प्रतिरोधी आंदोलन इज़राइल के सामने मजबूती से खड़े रहेंगे और इस्लामी दुनिया के अधिकारों की रक्षा के लिए हर संभव प्रयास करेंगे।

अंत में उन्होंने हज़रत ज़ैनब सलामुल्लाह अलैहा की जयंती और नर्सिंग डे के अवसर पर ईरान, लेबनान और फ़लस्तीन के सभी नर्सों को बधाई दी उन्होंने जनता से प्रतिरोधी मोर्चे का समर्थन जारी रखने और पीड़ित फ़िलस्तीनी लोगों के प्रति अपनी सहानुभूति और सहायता बढ़ाने की अपील की हैं।

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