शुक्रवार 27 दिसंबर 2024 - 14:58
हज़रत मासूमा (स) के हरम में आयतुल्लाहिल उज़्मा मुहम्मद रज़ा गुलपायगानी की 32वीं बरसी

हौज़ा / हजरत मासूमा क़ुम स.ल.के हरम में स्थित मस्जिदे आज़म में आयतुल्लाहिल उज़मा मोहम्मद रज़ा गुलपायगानी र.ह.की 32वीं बरसी के मौके पर एक शोक सभा का आयोजन किया गया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार , मस्जिदे आज़म में आयोजित इस सभा में हज़रत आयतुल्लाह गुलपायगानी के परिवार के सदस्य रहबर-ए-मोअज़्ज़म के कार्यालय प्रमुख आयतुल्लाहिल उज़मा मोहम्मद रज़ा गुलपायगानी र.ह. विद्वान, मजलिस ए खबरगान-ए-रहबरी के सदस्य जामेआ-ए-मुदर्रिसीन हौज़ा इल्मिया क़ुम के प्रतिनिधि धार्मिक स्कूलों के प्रमुख, शिक्षक, विद्वान, सरकारी अधिकारी और समाज के विभिन्न वर्गों ने शिरकत की।

कार्यक्रम का आरंभ क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत से हुआ जिसके बाद ज़ाकिर ए अहलेबैत अ. हाजी अब्बास हैदरज़ादेह ने मरसिया पढ़ा।

प्रवक्ता हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अली नज़री मुनफ़रद ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि इंसान की सबसे अनमोल पूंजी उसकी उम्र है और मृत्यु हर किसी का अटल भाग्य है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हमें अपनी जिंदगी को अच्छे कार्यों में लगाना चाहिए ताकि क़ियामत के दिन पश्चाताप न करना पड़े।

उन्होंने कहा कि ज्ञान प्राप्त करना हर इंसान की मुख्य जिम्मेदारी है विशेष रूप से वह ज्ञान जो दुन्या और आख़िरत दोनों के लिए लाभदायक हो। इंसान को इस्लामी शिक्षाओं को समझने और उनके अनुसार अपनी जिंदगी को ढालने का प्रयास करना चाहिए ताकि आख़िरत के लिए आवश्यक साधन इकट्ठा किए जा सकें।

नज़री मुनफ़रद ने दीन-ए-इस्लाम के ज्ञान की अहमियत पर बल देते हुए कहा कि हमारे फुक़हा ने अपनी पूरी जिंदगी इज्तेहाद और फिक़्ह के लिए समर्पित कर दी ताकि मुमिनीन की सफलता का मार्ग प्रशस्त हो सके। उन्होंने कहा कि हर मुसलमान को अपनी दिनचर्या में से समय निकालकर दीन को मज़बूत करने की कोशिश करनी चाहिए।

आयतुल्लाह गुलपायगानी रह. को याद करते हुए उन्होंने कहा कि वे अत्यंत धर्मपरायण और शरीयत के पाबंद व्यक्ति थे, और शिया उलमा के बीच उनका एक ऊंचा स्थान था।

अपने संबोधन के अंत में कहा कि हमें अपने बुजुर्गों की प्रेरणा लेनी चाहिए और दुनिया व शैतान के धोखे से बचते हुए अपनी आख़िरत की सफलता के लिए प्रयास करना चाहिए।

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