बुधवार 1 जनवरी 2025 - 09:23
शहादत अहंकार के खिलाफ प्रतिरोध के विस्तार का प्रतीक है

हौज़ा / हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलेमीन रब्बानी ने शहादत की संस्कृति को प्रतिरोधी मोर्चे की स्थिरता और दृढ़ता का प्रतीक बताया और शहीद सुलेमानी को धर्म की स्थापना और क्षेत्र में आज़ादी के लिए अत्याचार के खिलाफ संघर्ष और शहादत की मिसाल करार दिया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, हुज्जतुल इस्लाम वल मुसलेमीन सय्यद हसन रब्बानी ने हज़रत उम्मू कुलसूम की वफ़ात तथा हाजी क़ासिम सुलैमानी की पांचवी बरसी पर कृषि विकास मंत्रालय के हॉल में शहीदों की माताओं के सम्मान मे आयोजित कार्यक्रम में कहा: "शहीद समाज की आध्यात्मिक आवश्यकताओं को पूरा करने वाले होते हैं, और हमें उनके व्यवहार, आचरण और कार्यों से शिक्षा लेनी चाहिए।"

वह शहीदों के परिवारों, खासकर जिहाद-ए-साज़ंदगी (निर्माण जिहाद) के शहीदों की माताओं और पत्नियों के बीच बोलते हुए उन्होंने आगे कहा: "आज शहीदों के परिवारों का सम्मान करना हमारे धर्मिक कर्तव्यों में शामिल होना चाहिए और यह हमारे सरकारी अधिकारियों और नेताओं की जिम्मेदारी होनी चाहिए।"

विभागीय मंत्रालय में वली-ए-फ़कीह के प्रतिनिधि हुजजतुल इस्लाम रब्बानी ने शहीद हाजी कासिम सुलेमानी की शहादत की पांचवीं बरसी पर कहा: "हाजी कासिम सुलेमानी एक महान और असाधारण शख्सियत थी, जो क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण नेतृत्वकर्ता थे और उनके विचार और उनके धर्म-विरोधी संघर्ष से दुश्मन डरते थे।"

उन्होंने आगे कहा: "प्रतिरोध की धारा को शहीद हाजी कासिम सुलेमानी की सोच और दृष्टिकोण ने तेज़ी से विजय की ओर बढ़ाया।"

अंत में उन्होंने कहा: "वैश्विक साम्राज्यवाद (सुपर पावर देशों) को प्रतिरोध की धारा के विस्तार से डर लगता है, और हम इस धारा के विस्तार को शहीद हाजी कासिम सुलेमानी की कड़ी मेहनत और बलिदान का परिणाम मानते हैं।"

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