सोमवार 6 जनवरी 2025 - 14:38
मुबल्लिग ए दीन को विनम्र, संतुलित और समय की चुनौतियों से अवगत होना चाहिए

हौज़ा / अशूरा फाउंडेशन नजफ़ ए अशरफ़ के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त और मशहूर इस्लामी प्रचारक एवं वक्ता हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना सैयद अबुल क़ासिम रिज़वी के सम्मान में नजफ के छात्रों और उलेमा ने एक स्वागत समारोह का आयोजन किया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार ,अशूरा फाउंडेशन नजफ़ ए अशरफ़ के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त और मशहूर इस्लामी प्रचारक एवं वक्ता हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन मौलाना सैयद अबुल क़ासिम रिज़वी के सम्मान में नजफ के छात्रों और उलेमा ने एक स्वागत समारोह का आयोजन किया।

कार्यक्रम की शुरुआत ज़ियारत-ए-अशूरा और क़ुरआन मजीद की तिलावत से हुआ ज़ियारत-ए-अशूरा का पाठ मौलाना शेख़ इमरान करगली ने किया जबकि मौलाना अली इमाम मारूफ़ी नजफी ने क़ुरआन की आयतें प्रस्तुत कीं।

कार्यक्रम का संचालन हुज्जतुल इस्लाम मौलाना मिर्ज़ा ज़हीन नजफी ने किया उन्होंने मौलाना सैयद अबुल क़ासिम रिज़वी की प्रशंसा में सुंदर काव्य प्रस्तुत कर माहौल को मोहक बना दिया। इसके बाद हुज्जतुल इस्लाम सैयद अली मोहम्मद नजफी बकनालवी और हुज्जतुल इस्लाम सैयद अबूज़र खुर्रम आबादी ने अपने प्रेरणादायक भाषणों और विचारों से सभा को नई ऊंचाई दी।

मौलाना सैयद अबुल क़ासिम रिज़वी ने समारोह में विशेष सम्मानित अतिथि और मेलबर्न के इमामे जुमा व शिया उलमा काउंसिल ऑस्ट्रेलिया के अध्यक्ष, मौलाना सैयद अबुल क़ासिम रिज़वी ने सभा को संबोधित किया उन्होंने अपने वक्तव्य की शुरुआत कुछ अशआर से की और फिर इस्लामी मुबल्लिग़ की जिम्मेदारियों पर प्रकाश डाला।

मौलाना सैयद अबुल क़ासिम रिज़वी के मुख्य बिंदु:

1. मुबल्लिग़ के गुण,इस्लामी प्रचारक को विनम्र (मुतवाज़े) और संतुलित (मुतवाजन) होना चाहिए,वह समकालीन चुनौतियों और समस्याओं से परिचित हो,लोगों तक उसकी पहुँच आसान हो।अपने वक्तव्य को क़ुरआन और हदीस के प्रमाणों से सुसज्जित करे।

2. धर्मों के बीच समन्वय,मौलाना ने बताया कि मौलाए कायनात हज़रत अली अ.स ने अपनी पैदाइश के तीन दिन बाद ही रसूल-ए-अकरम स.अ.व की गोद में तमाम आसमानी किताबों की तिलावत करके धर्मों के बीच संवाद की नींव रखी।

3. फ़िक़्ह इस्लामी कानून का महत्व,उन्होंने उल्लेख किया कि भारत में शहीद सालेस (तीसरे शहीद) ने फ़िक़्ह-ए-इमामिया के आधार पर फ़ैसले सुनाए और अपनी विद्वता का प्रमाण दिया।

4.मौलाना ने कहा कि मुस्लिम समुदाय में एकता इत्तेहाद बेन-उल-मुस्लिमीन आवश्यक है।मोमिनों के बीच एकता (इत्तेहाद बेन-उल-मोमिनीन भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।

मौलाना के अंत में दुआ-ए-इमाम-ए-ज़माना (अ) पढ़ी गई और दुआ के साथ समारोह का समापन हुआ अंत में, नज़र-ए-मौला अ.स. के साथ सभी मेहमानों की सेवा की गई कार्यक्रम के अंत में मौलाना मिर्ज़ा ज़हीन नजफी जो अशूरा फाउंडेशन के प्रमुख हैं ने सभी मेहमानों और प्रतिभागियों का धन्यवाद किया।

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