रविवार 8 जून 2025 - 15:29
हाजियों की सेवा उन सद्गुणों में से एक है जिसके लिए जिब्रील ने चाहा कि वह इंसान होते

हौज़ा/ मौलाना सय्यद अबुल क़ासिम रिज़वी ने हाजियों की सेवा को इलाही मंसब बताया। उन्होंने कहा कि हजरत जिब्रील (अ) ने भी हज के दौरान पानी उपलब्ध कराने सहित इन कार्यों की कामना की थी। इस वर्ष हाजियों की संख्या कम होने के कारण व्यवस्थाएं अपेक्षाकृत अच्छी रहीं और विभिन्न देशों के प्रतिनिधिमंडलों ने भी संतोष व्यक्त किया। मौलाना रिज़वी ने मुस्लिम उम्माह से एकता, ईमानदारी और सेवा की भावना को बढ़ावा देने की अपील की।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, हज के पावन दिनों में मिना के क्षेत्र से हौज़ा न्यूज़ संवाददाता से विशेष बातचीत के दौरान ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख धार्मिक विद्वान और मेलबर्न के इमाम जुमा और ऑस्ट्रेलिया की शिया इमाम काउंसिल के अध्यक्ष हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना सय्यद अबुल क़ासिम रिज़वी ने हाजियों की सेवा को इलाही मंसब बताया। उन्होंने कहा कि हजरत जिब्रील (अ) ने भी हज के दौरान पानी पिलाने समेत इन कामों की कामना की थी। इस साल हाजियों की संख्या कम होने के कारण व्यवस्थाएं अपेक्षाकृत अच्छी रहीं और विभिन्न देशों के प्रतिनिधिमंडलों ने भी संतोष व्यक्त किया। मौलाना रिज़वी ने मुस्लिम उम्माह से एकता, ईमानदारी और सेवा की भावना को बढ़ावा देने की अपील की। ​​

हाजियों की सेवा उन सद्गुणों में से एक है जिसके लिए जिब्रील ने चाहा कि वह इंसान होते

मौलाना अबुल क़ासिम रिज़वी के साथ बातचीत को संक्षिप्त प्रश्नोत्तर सत्र के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है:

हौज़ा न्यूज़: सबसे पहले यह बताएं कि हाजियों की सेवा को इलाही मंसब क्यों कहा गया है?

मौलाना सय्यद अबुल क़ासिम रिज़वी: हाजियों को पानी पिलाना यानी हाजियों की सेवा करना कुरान की रोशनी में एक इलाही मंसब है जो हर किसी को नसीब नहीं होता। जिसकी बराबरी कोई नहीं कर सकता। अल्लाह तआला कुरान में कहता हैं: "तो क्या तुम हाजियों को पानी पिलाने वाले और पवित्र मस्जिद की सेवा करने वाले को उस व्यक्ति के बराबर समझते हो जो अल्लाह और आख़िरत पर ईमान रखता है और अल्लाह के मार्ग में प्रयास करता है? वे अल्लाह की दृष्टि में समान नहीं हैं, और अल्लाह अत्याचारियों को मार्ग नहीं दिखाता।" (सूर ए तौबा, आयत 19)

हौज़ा न्यूज़: आपने पैग़म्बर (स) की एक हदीस का हवाला दिया जिसमें हज़रत जिब्रील (अ) ने सात गुणों की कामना की थी। इसका क्या महत्व है?

मौलाना सय्यद अबुल क़ासिम रिज़वी: प्यारे पैगम्बर मुहम्मद (स) ने अमीरुल मोमिनीन (अ) से कहा: "یَا عَلِیُّ! تَمَنَّی جَبْرئِیلُ اَنْ یَکُونَ مِنْ بَنِی آدَمَ بِسَبْعِ خِصَالٍ وَ هِیَ الصَّلَوه فِی الْجَمَاعَه وَ مُجَالَسَتُهُ الْعُلَمَاءَ وَالصُّلْحُ بَیْنَ الاِثْنَیْنِ وَ اِکْرَامُ الْیَتِیمِ وَ عِیَادَه الْمَرِیضِ وَ تَشْیِیعُ الْجَنَازه وَ سَقیُ الْمَاءِ فِی الْحَجِّ فَاحْرُصْ عَلَی ذَلِکَ या अलीय्यो तम्न्ना जिब्रीलो अय यकूना मिन बनी आदमा बेसब्ऐ खेसालिन व हेयस सलात फ़िल जमाअत व मुजालसतोहुल उलमाआ वस सुल्हो बैनल इस्नैन व इकरामुल यतीमे व अयादतिल मरीज़े व तशीउल जनाजते व सुक़्यल माए फ़िल हज्जे फहरुस आला ज़ालिक"

अनुवाद: ऐ अली! जिब्रील ने सात गुणों के कारण एक इंसान होने की कामना की: नमाज़ ए जमाअत, विद्वानों की संगति, दो लोगों के बीच सामंजस्य, स्वच्छता, अनाथों का सम्मान (अच्छी देखभाल), बीमारों से मिलना, तशीए जनाज़ा में शामिल होना और हज के दौरान लोगों को पानी पिलाना। तो ऐ अली! तुम भी उन्हें पूरा करने का प्रयास करो।"

हाजियों की सेवा उन सद्गुणों में से एक है जिसके लिए जिब्रील ने चाहा कि वह इंसान होते

यह हदीस सय्यद अल-मुर्सलीन (स) की रिवायत है, जिन्होंने अमीरुल मोमेनीन (अ) को संबोधित करते हुए कहा कि जिब्रील ने सात गुणों के आधार पर चाहा कि वे आदम की संतानों में से होते: नमाज़ जमाअत, विद्वानों की सभा, मेल-मिलाप, अनाथों की देखभाल, बीमारों से मिलना, तशीए जनाजा में शामिल होना और हज के दौरान लोगों को पानी पिलाना। इससे पता चलता है कि हाजियों की सेवा करने जैसे काम से फ़रिश्तों को भी ईर्ष्या होती है।

हौज़ा न्यूज़: इस साल के हज में आपको सबसे ज़्यादा सुधार कहाँ नज़र आया?

मौलाना सय्यद अबुल क़ासिम रिज़वी: मदीना से लेकर मक्का, अराफ़ात, मुज़दलिफ़ा और मिना तक - सभी जगहों पर व्यवस्थाएँ पिछले सालों की तुलना में काफ़ी बेहतर रहीं। अनुमान है कि कुल 1.6 मिलियन हाजियों ने हज किया, जो बीस सालों में सबसे कम संख्या है; इसलिए, प्रबंधन और संगठन पर बेहतर ध्यान दिया गया है। यातायात, टेंट वितरण, पानी और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्रों में स्पष्ट प्रगति हुई है।

हाजियों की सेवा उन सद्गुणों में से एक है जिसके लिए जिब्रील ने चाहा कि वह इंसान होते

हौज़ा न्यूज़: इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल के साथ आपका अनुभव कैसा रहा?

मौलाना सय्यद अबुल क़ासिम रिज़वी: हाँ, भारत, ईरान और यू.के. के प्रतिनिधिमंडलों से संपर्क हुआ। विशेष रूप से, मैंने आयतुल्लाह सिस्तानी के वकील जवाद शहरिस्तानी, यू.के. से हुज्जतुल इस्लाम शेख मंसूर लेग़ाई और भारत से मास्टर साग़र हुसैनी के साथ विस्तृत चर्चा की। सभी सहमत थे और व्यवस्थाओं से संतुष्ट थे।

हाजियों की सेवा उन सद्गुणों में से एक है जिसके लिए जिब्रील ने चाहा कि वह इंसान होते

हौज़ा न्यूज़: आप हाजीयो को मार्गदर्शन देने की प्रक्रिया को व्यावहारिक रूप से कैसे अंजाम देते हैं?

मौलाना सय्यद अबुल क़ासिम रिज़वी: हमारी टीम ऑस्ट्रेलिया और यू.के. से आए कारवां का नेतृत्व कर रही है। हाजीयो का विस्तृत प्रशिक्षण, मौके पर विधिशास्त्रीय मार्गदर्शन, तथा विशेष रूप से पवित्र समागमों के दौरान जल, चिकित्सा सहायता तथा तत्काल सूचना का प्रावधान किया जाता है। मैं हाजीयो को हल्क, तकसीर तथा कुर्बानी जैसे चरणों में व्यक्तिगत मार्गदर्शन देना इबादत का कार्य मानता हूँ।

हौज़ा न्यूज़: इस अवसर पर मुस्लिम उम्माह को आपका क्या संदेश है?

मौलाना सय्यद अबुल क़ासिम रिज़वी: हज एकता तथा सेवा का प्रकटीकरण है। मैं ईद-उल-अज़हा तथा हज के अवसर पर इस्लाम के सभी लोगों, विशेष रूप से मराज ए ऐज़ाम तथा इमाम- अस्र (अ) को अपनी शुभकामनाएं देता हूँ। मैं दुआ करता हूँ कि हम सभी जिब्रील (अ) के वांछित गुणों को अपनाएँ - विशेष रूप से हाजीयो की निस्वार्थ सेवा - ताकि अल्लाह की विशेष सहायता हमारे साथ हो।

हाजियों की सेवा उन सद्गुणों में से एक है जिसके लिए जिब्रील ने चाहा कि वह इंसान होते

हौज़ा न्यूज़: आपके बहुमूल्य समय के लिए धन्यवाद। अल्लाह आपकी सेवाओं को स्वीकार करे।

मौलाना सय्यद अबुल क़ासिम रिज़वी: जज़ाकोमुल्लाहो खैरा, और हौज़ा न्यूज़ के माध्यम से सभी पाठकों के लिए मेरी ओर से दुआओ का हदिया।

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