गुरुवार 6 फ़रवरी 2025 - 21:43
"तारीख़ वसीक़ा अरबी कॉलेज" का विमोचन समारोह और हिंदुस्तान के प्रसिद्ध उलेमाओं के तअस्सुरात

हौज़ा/ किताब "तारीख़ वसीक़ा अरबी कॉलेज" के विमोचन समारोह पर हिंदुस्तान के प्रसिद्ध उलेमाओं ने अलग-अलग बयान जारी करते हुए किताब के संकल कर्ता की इस अज़ीम इल्मी कोशिश को सराहा है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, किताब "तारीख़ वसीक़ा अरबी कॉलेज" के विमोचन समारोह पर हिंदुस्तान के प्रसिद्ध उलेमाओं ने अलग-अलग बयान जारी किए और किताब के संकल कर्ता की इस अज़ीम इल्मी कोशिश को सराहा है।

लिखित: हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मौलाना शेख मुमताज़ अली वाइज़, इमाम जुम्मा व जमात इमामिया हॉल, नई दिल्ली

बेइस्मेही तआला

हिंदुस्तान में मदरसों का वजूद बहुत समय से है, इस समय में भी बहुत से विद्वानो ने दीनों-स्कूली शिक्षा स्थापित की है और छात्रों की तालीम और तरबियत का काम अंजाम दे रहे हैं; आज के मदरसों का इतिहास तो सभी के सामने है, लेकिन पुराने शिया मदरसों का इतिहास पर्दे में था, पुरानी बातें दिमागों से मिट रही थीं, नई नस्ल को उनकी तारीख से अवगत करने के लिए इंटरनेशनल नूर माइक्रो फिल्म सेंटर, ईरान कल्चर हाउस नई दिल्ली के डायरेक्टर जनाब डॉक्टर हाजी महदी ख़्वाजा पीरी साहब ने जनाब मौलाना इब्न हसन साहब अमलवी सदर-अल-अफ़ाज़ल, वाइज़ को नियुक्त किया। आपने बड़ी मेहनत से कुछ मदरसों के इतिहास का पता लगाया है। मोसुफ़ हमारी तालीम के ज़माने में मदरसा-ए-वाएज़ीन लखनऊ में हमसे सीनियर थे और मासिक पत्रिका "अल-वाइज़" लखनऊ के कामयाब एडिटर भी थे। आप ने मदरसों के इतिहास को लिखने का बड़ा काम किया है और बहुत मेहनत से उसे पूरा किया है। विभिन्न शहरों का दौरा भी किया और बहुत से विद्वानो और पुराने-नए छात्रों से संपर्क किया, जानकारी जुटाने में आपको बहुत मुसीबतों का सामना करना पड़ा। कहीं कुछ भी पता नहीं चला और कहीं सिर्फ़ धुंधला सा पता मिला, कुछ जगह अच्छा स्वागत भी हुआ, कुछ जगहों पर नज़रअंदाज़ी का सामना भी हुआ, मगर आपने हिम्मत नहीं हारी और किताब की लेखन को सफलतापूर्वक पूरा किया।

"तारीख़ वसीक़ा अरबी कॉलेज" का विमोचन समारोह और हिंदुस्तान के प्रसिद्ध उलेमाओं के तअस्सुरात

"तारीख़ जामेआ जवादीया बनारस" का प्रकाशन (विमोचन समारोह दरगाह फातिमान बनारस, तारीख़ 22 मई 2022, रविवार, 9 बजे दिन) बनारस और आस-पास के उलेमा, अफ़ाज़ल और छात्र तथा मुमिनीन का बहुत बड़ा जमावड़ा मौजूद था, सभी ने इस सेवा को खूब सराहा, अब भी यह काम बाकी है।

"तारीख़ वसीक़ा अरबी कॉलेज" का विमोचन समारोह और हिंदुस्तान के प्रसिद्ध उलेमाओं के तअस्सुरात

इंटरनेशनल नूर माइक्रो फिल्म सेंटर, ईरान कल्चर हाउस, नई दिल्ली के डायरेक्टर डॉक्टर हाजी महदी ख़्वाजा पीरी ने तक़रीबन 44 साल की मेहनत से क़लमी और प्रकाशित जानकारी का एक बड़ा खज़ाना जमा किया है, जिसके पढ़ने के बाद शिया उलेमा और मदरसों के बारे में रिसर्च और तद्दीक़ की तलाश करने वाले लोगों के लिए यह बड़ा अच्छा काम हो सकता है।

वसीक़ा अरबी कॉलेज, फैज़ाबाद की तारीख़ को जमा करने में मौजूदा प्रिंसिपल मौलाना मोहम्मद मोहसिन साहब क़िबल और वसीक़ा कॉलेज के कई बड़े फ़ारिग़ छात्र बहुत मददगार हो सकते हैं और मुझे उम्मीद है कि मौलाना इब्न हसन साहब अमलवी ने इन से ज़रूर मदद हासिल की होगी।

"तारीख़ वसीक़ा अरबी कॉलेज" का विमोचन समारोह और हिंदुस्तान के प्रसिद्ध उलेमाओं के तअस्सुरात

महकमा-ए-आसार क़दीमा वाले ज़मीन से निकलने वाले पत्थर और मिट्टी के ढेर में दबे हुए बरतन और पुराने सिक्कों से कौमों का खामोश इतिहास निकाल लेते हैं, पुरानी चीजें अपनी जुबान से इतिहास बयान कर देती हैं तो फिर अगर बोलने और जानकारी रखने वाले उलेमा और छात्र सामने आ जाएं तो मदरसों की ज़िंदा तस्वीर सामने आ सकती है, अगर यह वाकिफ़कार लोग जानकारी मांगते वक़्त सामने आ जाते और अपनी जानकारी से मुअल्लिफ़ का तआवुन करते तो तस्कीन में चार चाँद लग जाते; किताब मुकम्मल हो जाने के बाद अकसर दोस्तों को यह कहते देखा कि "इसमें तो फलां चीज़ छूट गई और फलां वाकिया लिख नहीं सका", काश पहले बता देते तो यह अधूरापन खत्म हो जाता, फिर भी मुअल्लिफ़ अपनी तहरीर को आखिरी नहीं मानते; नई जानकारी और नेक मशवरे का दिल से स्वागत करते हैं, यह उनकी उच्च दर्जे की समझदारी, खुशमिजाजी, खुले दिल और सच्चाई का इन्किसार है।

"तारीख़ वसीक़ा अरबी कॉलेज" का विमोचन समारोह और हिंदुस्तान के प्रसिद्ध उलेमाओं के तअस्सुरात

"तारीख़ वसीक़ा अरबी कॉलेज" का विमोचन समारोह और हिंदुस्तान के प्रसिद्ध उलेमाओं के तअस्सुरात

"तारीख़ वसीक़ा अरबी कॉलेज" का विमोचन समारोह और हिंदुस्तान के प्रसिद्ध उलेमाओं के तअस्सुरात

मुअल्लिफ़ ने ज़िक्र की गई तारीख़ों को जमा करने के लिए विभिन्न शहरों का दौरा किया, जगह-जगह खत लिखे, (माहनामे इसलाह लखनऊ, हौज़ा न्यूज़ एजेंसी और सोशल मीडिया में कई बार इसके लिए अपीलें प्रकाशित की गईं) इसके बाद जितनी जानकारी मिल सकी, वह किताबी शकल में मौजूद है। ख़ुदा तआला बिअ हक़ मुहम्मद व आल मुहम्मद अलीहिम सलाम मौलाना इब्न हसन साहब अमलवी और आक़ा डॉक्टर महदी ख़्वाजा पेरी साहब को अपनी तौफ़ीक़ात में और बढ़ाए और उन्हें सेहत और सलामती के साथ लंबी उम्र अता फरमाए। आमीन।

मुमताज़ अली, इमाम जुम्मा व जमात, इमामिया हॉल, नई दिल्ली

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