मंगलवार 11 फ़रवरी 2025 - 08:45
हज़रत अली अकबर ने अपने जीवन के हर क्षण को अल्लाह की आज्ञा, रसूल की मोहब्बत और इमामत और विलायत की रक्षा के लिए समर्पित किया

हौज़ा /नवासा-ए-रसूल (स) हज़रत इमाम हुसैन (अ)के प्रिय बेटे और शबीह-ए-मुस्तफ़ा (स) हज़रत अली अकबर के जन्मदिन की खुशी में 'अंजमने शरई शियाने जम्मू कशमीर' द्वारा इमाम बारगाह जोरीगुंड में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम को 'युवा दिवस' के रूप में मनाया गया, जिसमें मदरसों के छात्रों के अलावा युवाओं की बड़ी संख्या ने भाग लिया।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी, नवासा-ए-रसूल (स) हज़रत इमाम हुसैन (अ)के प्रिय बेटे और शबीह-ए-मुस्तफ़ा (स) हज़रत अली अकबर के जन्मदिन की खुशी में 'अंजमने शरई शियाने जम्मू कशमीर' द्वारा इमाम बारगाह जोरीगुंड में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम को 'युवा दिवस' के रूप में मनाया गया, जिसमें मदरसों के छात्रों के अलावा युवाओं की बड़ी संख्या ने भाग लिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता के कर्तव्य तौफीक हुसैन साहब ने निभाए, जबकि प्रमुख धार्मिक हस्तियों ने अपने विचार प्रस्तुत किए, जिनमें हुज्जतुल इस्लाम सय्यद मुहम्मद हुसैन सफ़वी, हुज्जतुल इस्लाम मौलाना गुलाम मुहम्मद गुलज़ार साहब और हुज्जतुल इस्लाम सय्यद मुहम्मद हुसैन मूसवी साहब शामिल थे

वक्ताओ ने अपने भाषण में युवाओं के महत्व, उनकी शिक्षा और एक अच्छे समाज की स्थापना में उनके महत्वपूर्ण योगदान पर चर्चा की।

उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी समाज की तरक्की और गिरावट, उस समाज के युवाओं की शिक्षा, प्रशिक्षण और उनकी मानसिक व व्यावहारिक क्षमता पर निर्भर करती है।

धर्माचार्यों ने हज़रत अली अकबर की पवित्र जिंदगी के विभिन्न पहलुओं पर रोशनी डालते हुए कहा कि युवा किसी भी समाज का सबसे कीमती संसाधन होते हैं। इस्लाम और मानवता की भलाई के लिए एक शिक्षित, धार्मिक और समझदार युवा वर्ग का अस्तित्व अत्यंत आवश्यक है।

वक़्ताओ ने यह भी कहा कि हज़रत अली अकबर ने अपनी जिंदगी के हर क्षण को अल्लाह की आज्ञा, रसूल (स) की मोहब्बत और इमामत और विलायत की रक्षा के लिए समर्पित किया; उनकी शानदार शख्सियत युवाओं के लिए एक आदर्श और मार्गदर्शक है।

मुक़र्रेरीन ने इस बात पर जोर दिया कि युवाओं को हज़रत अली अकबर की पवित्र जीवन से प्रेरणा लेकर अपने जीवन में धर्म और नैतिकता के सिद्धांतों को अपनाना चाहिए और अपनी जिम्मेदारियों को उसी आधार पर निर्धारित करना चाहिए।

कार्यक्रम के अंत में, जोरीगुंड के स्कूल की शिक्षिकाओं और आयोजकों को उनकी उत्कृष्ट कार्यों के लिए प्रोत्साहन पुरस्कार दिए गए।

इस प्रभावशाली और आत्मीय सभा ने प्रतिभागियों पर गहरा असर डाला और युवाओं में धर्म की सेवा का जज्बा और भी मजबूत किया।

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