सोमवार 7 जुलाई 2025 - 14:39
ईरान की जनता किसी भी हालत में घुटने नहीं टेकेगी: हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन अख़्तरी

हौज़ा / इस्लामी क्रांति समर्थन समिति के अध्यक्ष हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मोहम्मद हसन अख़्तरी ने कहा है कि ईरान की जनता किसी भी स्थिति में साम्राज्यवादी ताक़तों के सामने घुटने नहीं टेकेगी। तेहरान में एक टीवी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि ईरानी राष्ट्र ने हाल के 12 दिनों के युद्ध (संघर्ष) में हुसैनी संस्कृति, दृढ़ता और दुश्मन के सामने अडिग रहने का व्यावहारिक प्रदर्शन किया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस्लामी क्रांति समर्थन समिति के अध्यक्ष हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लेमीन मोहम्मद हसन अख़्तरी ने कहा कि ईरानी राष्ट्र किसी भी हालत में साम्राज्यवादी शक्तियों के सामने झुकेगा नहीं। तेहरान में एक टीवी चैनल पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि ईरानी लोगों ने हाल के 12 दिनों के संघर्ष में इमाम हुसैन अ.स. की संस्कृति, अटलता और दुश्मन के सामने डटे रहने का जीवंत उदाहरण पेश किया है। 

उन्होंने कहा कि आशूरा इमाम हुसैन की शहादत का दिन के मजलिसों और जुलूसों में जनता की भारी भागीदारी ने साबित कर दिया कि ईरान की जनता अहलेबैत (अ.स.) से गहरा प्रेम रखती है और मकतबे आशूरा (इमाम हुसैन का संदेश) से आज़ादी और प्रतिरोध की सीख लेती है।

इस साल आशूरा के दिन शोक समारोहों ने प्रतिरोध (मुक़ाविमा) के शहीदों और फिलिस्तीन के मज़लूम शहीदों की यादों को ताज़ा कर दिया, और यह शोक समारोह वैश्विक स्तर पर हुसैनी प्रेम और दृढ़ता का प्रतीक बन गया। 

हुज्जतुल इस्लाम वल मुस्लिमीन अख़्तरी ने इस्लामी क्रांति के सर्वोच्च नेता हज़रत आयतुल्लाहिल उज़मा ख़ामेनेई की हुसैनिया इमाम ख़ुमैनी (रह.) में अप्रत्याशित उपस्थिति को राष्ट्र के दिलों की रोशनी बताया और कहा कि रहबर की मौजूदगी ने पूरे समारोह को नए जोश से भर दिया। जनता ने हयहात मिन्ना ज़िल्ला (हम कभी भी अपमान स्वीकार नहीं करेंगे) के नारों के साथ यह साबित कर दिया कि यह राष्ट्र कभी भी अत्याचार और दमन के सामने सिर नहीं झुकाएगा। 

उन्होंने आगे कहा कि ईरानी राष्ट्र की एकता, दृढ़ता और बलिदान की भावना का स्रोत रहबर-ए मोअज़्ज़म की नेतृत्वशीलता है। 12 दिनों के युद्ध में ईरानी राष्ट्र ने दुनिया को दिखा दिया कि दुश्मन की धमकियों और हमलों से न तो राष्ट्र पीछे हटेगा और न ही नेतृत्व कमज़ोर होगा।

उन्होंने नौहाख़्वानों कवियों और साहित्यकारों से भी अपील की कि वे अहलेबैत अ.स.ईरानी राष्ट्र और प्रतिरोध (मुक़ाविमा) की महानता को अपनी रचनाओं में जीवित रखें। 

अंत में उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि दुश्मन के छल-कपट और बातचीत के झांसे में आए बिना, एकता, बलिदान और नेतृत्व का अनुसरण ही ईरानी राष्ट्र की सफलता की गारंटी है।

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