हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार , मिस्र के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मध्य पूर्व एक संवेदनशील और निर्णायक मोड़ पर खड़ा है और इज़राइली आक्रामकता, विशेष रूप से गाजा पर हालिया हमलों के मद्देनज़र अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एक न्यायपूर्ण नीति अपनानी होगी जो फिलिस्तीनी जनता सहित पूरे क्षेत्र के लोगों के अधिकारों का सम्मान करे।
बयान में यह भी ज़ोर दिया गया कि फिलिस्तीन समस्या के समाधान के लिए अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय ताकतों को एक साझा राजनीतिक दृष्टिकोण पर एकजुट होना चाहिए जो फिलिस्तीनी लोगों पर होने वाली ऐतिहासिक अन्यायों का अंत करे और उनके अपरिवर्तनीय अधिकारों को बहाल करे।
मिस्र ने अपने इस संकल्प को दोहराया कि वह फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों उनकी ज़मीन पर संप्रभुता और शरणार्थियों की वतन वापसी के अधिकार की पूरी तरह से समर्थन करता रहेगा।
यह बयान उस समय सामने आया जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने एक उत्तेजक प्रस्ताव पेश किया कि गाजा को क्षेत्र के अन्य अरब देशों जैसे मिस्र या जॉर्डन में मिला दिया जाए जिसे अरब देशों और फिलिस्तीनी नेतृत्व ने पूरी तरह से नकार दिया।
हमास के वरिष्ठ नेता इज़्जत अरशद ने ट्रम्प के बयान पर कड़ा प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि गाजा कोई संपत्ति नहीं है जिसे बेचा जा सके, बल्कि यह हमेशा फिलिस्तीन का हिस्सा रहेगा।
मिस्र ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया कि वह 1967 की सीमाओं के अनुसार एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना सुनिश्चित करे जिसका राजधानी शहर क़ुद्स हो ताकि क्षेत्र में स्थायी शांति का सपना हकीकत बन सके।
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