हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ,एक रिपोर्ट के अनुसार ,मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने मुसलमानों से जुड़े एक विवादित प्रस्ताव को वापस ले लिया है इस प्रस्ताव में उन मुसलमानों के लिए गाइडलाइन थी जो ग़ैर-मुसलमानों के कार्यक्रमों में शामिल होते हैं अलग-अलग समूहों से तीखी आलोचना होने के बाद इस प्रस्ताव को मलेशिया की कैबिनेट ने रद्द कर दिया।
कैबिनेट की बैठक के बाद मलेशिया के प्रधानमंत्री ने सात फ़रवरी को कहा था गाइडलाइन की कोई ज़रूरत नहीं है क्योंकि मुसलमान होने के नाते पता होना चाहिए कि क्या करना है और क्या नहीं करना है जैसा कि अभी मैं यहां किसी दूसरे धर्म की प्रार्थना में शामिल होने के लिए नहीं आया हूँ ये सामान्य सी बात है इसको बहुत जटिल बनाने की ज़रूरत नहीं है इन सारी बातों से हमारे समाज में तनाव बढ़ता है इसीलिए हमारी कैबिनेट ने वापस लेने का फ़ैसला किया है. हमें कोई गाइडलाइन थोपने की ज़रूरत नहीं है।
दरअसल पूरा विवाद तब शुरू हुआ, जब मलेशिया में इस्लामिक मामलों के मंत्री की हैसियत रखने वाले नईम मुख़्तार ने चार फ़रवरी को संसद में एक लिखित जवाब दिया था।
इसमें कहा गया था कि सरकार ग़ैर-मुसलमानों के उत्सव और अन्य कार्यक्रमों में हिस्सा लेने वाले मुसलमानों के लिए नई गाइडलाइन लाने जा रही है।
ग़ैर मुस्लिम घरों और पूजा स्थलों में जाने को लेकर भी गाइडलाइन थी. ख़ास कर ग़ैर-मुसलमानों के वैवाहिक कार्यक्रम और अंतिम संस्कार में शामिल होने को लेकर
इस गाडलाइन में था कि जो ग़ैर-मुस्लिम अपने आयोजनों में मुसलमानों को शामिल करना चाहते हैं, उनके लिए प्रशासन से अनुमति और इस्लामिक अथॉरिटी से मशवरा अनिवार्य है
मुख़्तार ने कहा था कि ग़ैर-मुसलमानों के कार्यक्रमों में ऐसा कुछ भी नहीं होना चाहिए, जिससे मुसलमानों की संवेदनशीलता का अपमान होता हो यानी कोई ऐसा भाषण या संगीत नहीं होना चाहिए और न ही इस्लामिक मान्यताओं का मज़ाक बनाया जाना चाहिए
नईम मुख़्तार मलेशिया के शरिया कोर्ट के पूर्व चीफ़ जज हैं और अभी प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम के धार्मिक मामलों के इनचार्ज हैं
अनवर इब्राहिम की इस योजना की मलेशिया में आलोचना होने लगी थी लोगों ने कहना शुरू कर दिया था कि अनवर इब्राहिम जानबूझकर ऐसा कर रहे हैं और इससे मलेशिया में अंतरधार्मिक सद्भावना को चोट पहुँचेगी। इस वजह से सरकार को अपना प्रस्ताव वापस लेना पड़ा।
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